300 शरणार्थियों को मिली भारतीय नागरिकता
सीएए के तहत नागरिकता देने का काम शुरू, 14 शरणार्थियों को गृह सचिव ने सौंपे सर्टिफिकेट
- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ना के शिकार होकर भारत आए गैर-मुस्लिमों को दी जा रही नागरिकता
- गृह मंत्री शाह ने बताया ऐतिहासिक दिन, कहा- आजादी के समय किया गया वादा प्रधानमंत्री मोदी ने किया पूरा
- 31 दिसंबर 2014 से पहले आए धार्मिक अल्पसंख्यकों - हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को नागरिकता देने का प्रविधान
पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ना के शिकार होकर भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत भारतीय नागरिकता देने का काम शुरू हो गया है। बुधवार को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने नार्थ ब्लाक स्थित अपने कार्यालय में 14 शरणार्थियों को भारत की नागरिकता का सर्टिफिकेट सौंपकर इसकी शुरुआत की। वैसे देशभर में कुल 300 शरणार्थियों को सीएए के तहत नागरिकता प्रदान की गई। अन्य लोगों को ईमेल से नागरिकता सर्टिफिकेट भेजे गए।
इस बीच, गृह मंत्री अमित शाह ने इसे ऐतिहासिक दिन बताते हुए कहा कि आखिर शरणार्थियों का दशकों का इंतजार खत्म हुआ। उन्होंने इसे मोदी की गारंटी यानी वादा पूरा होने की गारंटी बताया। शाह ने दशकों तक पीड़ित शरणार्थियों को न्याय और उनका अधिकार देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का वादा आजादी के समय तत्कालीन नेताओं ने किया था, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने आज पूरा करके दिखाया है।
उन्होंने सभी शरणार्थियों को भरोसा दिलाया कि मोदी सरकार सीएए के माध्यम से हरेक शरणार्थी को भारत की नागरिकता देकर रहेगी। सीएए बंगाल में एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना हुआ है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसके खिलाफ बयान दे रही हैं। वहीं, अमित शाह ने ममता बनर्जी पर सीएए को लेकर लोगों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया। बता दें कि 2019 में सीएए पारित होने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे और इसे भेदभावपूर्ण बताया गया था। सीएए विरोधी प्रदर्शनों और पुलिस कार्रवाई के दौरान सौ से अधिक लोगों की जान चली गई थी।
नागरिकता के आवेदन के लिए आनलाइन पोर्टल, पूरी प्रक्रिया है डिजिटल सीएए के तहत नागरिकता के लिए सरकार ने
Indiancitizenshiponline.nic.in नामक पोर्टल लांच कर आनलाइन आवेदन की सुविधा दी है और शरणार्थियों को आवेदन करने में मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया। नागरिकता देने का काम तेजी से पूरा करने के लिए पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बनाया गया। सभी जिलों में वरिष्ठ डाक अधीक्षक की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समितियों का गठन किया गया है। जिला स्तरीय समितियां आवेदन के साथ दिए दस्तावेज के सत्यापन के बाद आवेदकों को भारत के प्रति निष्ठा की शपथ दिलाती हैं। उसके बाद राज्य स्तर पर निदेशक (जनगणना संचालन) की अध्यक्षता में गठित समिति इन आवेदनों पर विचार करती है और उन्हें भारत की नागरिकता के सर्टिफिकेट जारी करती है। जिन 14 शरणार्थियों को गृह सचिव ने सर्टिफिकेट दिया, वे दिल्ली के हैं और दिल्ली की राज्य स्तरीय समिति ने उन्हें भारत की नागरिकता के लिए उपयुक्त पाया है।
वैसे तो दिसंबर 2019 में संसद में सीएए पास हुआ था, लेकिन विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर इस पर अमल नहीं हो पाया था। लगभग साढ़े चार साल के इंतजार के बाद 11 मार्च को गृह मंत्रालय ने सीएए के नियमों को अधिसूचित कर इसे अमली जामा पहनाने का काम शुरू किया। इसमें 31 दिसंबर 2014 से पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले छह धार्मिक अल्पसंख्यकों हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को नागरिकता देने का प्रविधान है।
आदर्श नगर के महाराणा प्रताप बस्ती की कच्ची और उबड खाबड़ रास्ते पर गुलाब और गेंदे के फूल बिखरे हुए हैं। रास्ते में बच्चे खेलते हुए खुशी से मिलते हैं। आगे एक टीनशेड वाले घर के सामने काफी लोग इकट्ठा हैं। जहां फूलों की वर्षा हो रही है। तेज आवाज में देशभवित के संगीत बज रहा है। मिठाईयों से मुंह मीठा कराते हुए लोग भारत माता के जयकारे लग रहे हैं। सभी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह का दिल से आभार जताते नहीं थक रहे हैं।
इस बस्ती में रहने वाले पांच हिंदुओं को बुधवार को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत नागरिकता मिली है, अब वे शरणार्थी नहीं हैं। बल्कि, भारत के नागरिक के तौर पर उनका पुर्नजन्म हुआ है। इसलिए, पूरी बस्ती, नए उत्साह, उमंग और उम्मीदों और सपनों के साथ खुशी से झूम रही है। नागरिकता पाए लोगों का स्वागत माला पहनाकर और पुष्प वर्षा कर किया जा रहा है। इसी तरह का उत्सवी माहौल मजनू का टीला स्थित पाकिस्तान से आप हिंदू शरणार्थियों की बस्ती में भी है। जहां, भी पांच हिंदुओं को नागरिकता मिली है। भारत सरकार द्वारा नागरिकता देने का यह क्रम बुधवार से शुरू हो गया है। उम्मीद है कि कुछ दिनों में दिल्ली के विभिन्न शरणार्थी बस्तियों में रहते बाकि बचे हजारों आवेदकों को भी नागरिकता मिल जाएगी।
बस्ती में मौजूद विहिप के मुखर्जी नगर जिले के महामंत्री प्रेम शर्मा बताते हैं कि इस बस्ती से 220 लोगों ने फार्म भरे हैं। इसके लिए यहां विशेष सहायता केंद्र भी खोला गया है, जहां से अभी भी इंटरनेट माध्यम से फार्म भरवाए जा रहे हैं। यहां के स्थानीय विहिप पदाधिकारियों और मंदिरों द्वारा उनके पक्ष में शपथपत्र जमा कर उनकी गारंटी ली जा रही है। प्रेम शर्मा खुद भी दो हजार से अधिक हिंदू शरणार्थियों के लिए शपथ पत्र जमा कराया है। घूम सकेंगे देश, गुजरात जाने की हसरत : महाराणा प्रताप बस्ती में अर्जुन, लक्ष्मी, चंद्र कला, बावना व हरजी की नागरिकता मिली है। ये सभी 18 से 28 वर्ष आयु वर्ग के हैं, जो वर्ष 2014 में धर्म आधारित प्रताड़ना व उत्पीड़न से बचने के लिए अपना सबकुछ छोड़कर परिवार के सदस्यों के साथ यहां आकर रह रहे थे।
इसी तरह, मजनू का टीला बस्ती में भारत कुमार यसौदा, हरेश, धोलाराम व शीतलदास को नागरिकता मिली है जो 24 से 35 वर्ष के बीच के हैं। बस्ती में कई बच्चे ऐसे हैं जो यहीं जन्म लिए हुए हैं। नागरिकता पाने वालों में सबसे कम उम्र की छात्रा बावना है, जो 18 वर्ष की है। हाल ही में उसने 10 वीं की परीक्षा करीब 70 प्रतिशत अंकों से उर्तीण हुई है। आगे वह पढ़ाई कर के देश की सेवा करना चाहती है। वह गुजरात घूमने के साथ वृंदावन जाकर भगवान कृष्ण के दर्शन करना चाहती है। नागरिकता से अब उसके सपने पूरे होंगे। 46 वर्षीय राधा भरी आंखों से कहती हैं कि उनके बहुत सारे परिवार के लोग पाकिस्तान में रह गए हैं, जो धर्म के आधार पर उत्पीड़न, दमन और शोषण के शिकार हो रहे हैं। उन्हें भी भारत सरकार से काफी उम्मीदें हैं।