गूगल क्यों दे रहा है कुछ कर्मचारियों को 'काम न करने' की तनख्वाह? जानिए पूरा मामला

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Apr 9, 2025 - 20:58
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गूगल क्यों दे रहा है कुछ कर्मचारियों को 'काम न करने' की तनख्वाह? जानिए पूरा मामला

गूगल क्यों दे रहा है कुछ कर्मचारियों को 'काम न करने' की तनख्वाह? जानिए पूरा मामला

आज के दौर में जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है, बड़ी टेक कंपनियों के बीच टैलेंट की होड़ भी बढ़ गई है। इस प्रतिस्पर्धा में सबसे बेहतर प्रतिभाओं को बनाए रखने के लिए गूगल ने एक अनोखा — और कुछ हद तक विवादित — तरीका अपनाया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गूगल अपनी ही कुछ टीमों, खासतौर पर DeepMind से जुड़े कर्मचारियों को 'कुछ न करने' की स्थिति में भी वेतन दे रहा है। यह सुनने में भले ही सपना जैसा लगे, लेकिन इसके पीछे की सच्चाई कुछ और है।

यह पूरा मामला "नॉन-कम्पीट एग्रीमेंट" (Non-compete Agreement) से जुड़ा है। इसके तहत यदि कोई कर्मचारी गूगल छोड़ता है, तो वह किसी प्रतियोगी कंपनी में एक निश्चित समय, जैसे 6 महीने या 1 साल तक, काम नहीं कर सकता। इस दौरान गूगल उसे वेतन देता है, लेकिन वह कहीं और नौकरी नहीं कर सकता। Business Insider की रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है।

गूगल का कहना है कि यह कदम केवल चुनिंदा और संवेदनशील प्रोजेक्ट्स को सुरक्षा देने के लिए उठाया गया है। लेकिन AI इंडस्ट्री के कई विशेषज्ञ इसे एक प्रकार का "पॉवर का दुरुपयोग" मान रहे हैं। Microsoft AI के वाइस प्रेसिडेंट और DeepMind के पूर्व अधिकारी नांडो डी फ्रेइटास ने इस मुद्दे को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर उठाया। उन्होंने लिखा, "इन कॉन्ट्रैक्ट्स पर साइन बिल्कुल न करें। किसी अमेरिकी कंपनी को यूरोप में इतना अधिकार नहीं होना चाहिए। यह एक प्रकार का शोषण है।"

कैलिफोर्निया जैसे अमेरिकी राज्यों में नॉन-कम्पीट कॉन्ट्रैक्ट अवैध माने जाते हैं, लेकिन ब्रिटेन में — जहां DeepMind स्थित है — ऐसे एग्रीमेंट्स वैध हैं, जब तक उन्हें दोनों पक्षों के लिए उचित समझा जाए।

AI इंडस्ट्री में हो रहे तेज बदलावों के बीच छह महीने या एक साल का ब्रेक लेना कई शोधकर्ताओं के लिए करियर में रुकावट बन सकता है। एक पूर्व DeepMind कर्मचारी ने Business Insider से कहा, "AI की दुनिया में एक साल बहुत लंबा समय होता है। कौन चाहेगा कि आप एक साल बाद आकर काम शुरू करें?"

गूगल के इस कदम ने इंडस्ट्री में एक नई बहस छेड़ दी है — क्या यह रणनीति जरूरी है या प्रतिभाशाली दिमागों को पीछे धकेलने का एक तरीका? जहां एक ओर कंपनियां अपने रिसर्च और टेक्नोलॉजी को सुरक्षित रखना चाहती हैं, वहीं दूसरी ओर AI एक्सपर्ट्स को अपने भविष्य को लेकर चिंता हो रही है।

इस पूरे मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि AI जैसी तेजी से बदलती दुनिया में 'कुछ न करना' भी एक रणनीति बन गई है — लेकिन क्या यह रणनीति सभी के लिए उचित है, यह सवाल बना हुआ है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,