कश्मीरी हिंदुओं के बच्चों को आधुनिक शिक्षा संग संस्कार से जोड़ने की पहल

चार वर्षों में अब तक इन दोनों स्कूलों से 1,500 से अधिक बच्चे लाभांवित भी हुए हैं। ऊधमपुर का स्कूल 10वीं तक है, जिसमें 1700 बच्चे हैं। वहीं, राम नगर का आठवीं तक है ओर इसमें 300 बच्चे हैं। ऊधमपुर के स्कूल में अटल इनोवेशन लैब भी है।

May 24, 2024 - 20:30
May 24, 2024 - 20:52
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कश्मीरी हिंदुओं के बच्चों को आधुनिक शिक्षा संग संस्कार से जोड़ने की पहल

कश्मीरी हिंदुओं के बच्चों को आधुनिक शिक्षा संग संस्कार से जोड़ने की पहल

 विस्थापितों के साथ ही आर्थिक रूप से अक्षम घरों के बच्चों को भी मिलती शिक्षा, प्रदेश के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा व केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने सराहा

1947 में गुलाम विस्थापितों के साथ ही आर्थिक रूप से अक्षम घरों के बच्चों को भी मिलती शिक्षा, प्रदेश के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा व केंद्रीय मंत्रीजम्मू-कश्मीर से विस्थापन का दौर हो या वर्ष 1989 के बाद पाक परस्त आतंकवाद के चलते हजारों हिंदुओं का अपने देश के विभिन्न राज्यों में कश्मीर से पलायन। जम्मू में अब भी विस्थापित बस्तियों में हजारों हिंदू शरण लिए हुए हैं, जिनमें से कई परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 व 35ए को मोदी सरकार ने हटाया तो विस्थापितों के बीच दिल्ली की वृंदा खन्ना जैसे युवाओं का भी कुछ करने का मार्ग आखिरकार प्रशस्त हुआ है। समाज में समृद्धि का मार्ग शिक्षा से होकर जाता है।

ऐसे में वृंदा ने जम्मू के ऊधमपुर और रामनगर में वर्ष 2020 में ऐसे दो स्कूल स्थापित किए, जिसमें विस्थापित हिंदुओं के साथ ही गरीब घरों के बच्चों को आधुनिक और संस्कारित शिक्षा दी दिल्ली के राजेंद्र नगर निवासी व एमबीए और कानून की शिक्षा ग्रहण करने वाली वृंदा ने ये दोनों स्कूल खुद के पैसों से स्थापित किए हैं। इसके साथ ही स्कूल में बच्चों को भेजने के मद्देनजर अभिभावकों को प्रेरित करने के लिए न्यूनतम फीस रखी गई। गरीब छात्रों के लिए शिक्षा निश्शुल्क है। स्कूल के माध्यम से इस अभिनव प्रयोग को खुद स्कूल भ्रमण कर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा व केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने सराहा है।


चार वर्षों में अब तक इन दोनों स्कूलों से 1,500 से अधिक बच्चे लाभांवित भी हुए हैं। ऊधमपुर का स्कूल 10वीं तक है, जिसमें 1700 बच्चे हैं। वहीं, राम नगर का आठवीं तक है ओर इसमें 300 बच्चे हैं। ऊधमपुर के स्कूल में अटल इनोवेशन लैब भी है।

साथ ही आधुनिक शिक्षा के लिए दिल्ली से भी समय-समय पर अध्यापक जाते हैं। वृंदा बताती हैं कि स्कूलों में पढ़ने वाले 30 से 40 प्रतिशत बच्चे विस्थापित हिंदू परिवारों से हैं। इसके साथ ही कई स्थानीय मुस्लिम परिवारों से भी हैं। उन्हें एनसीसी, फुटबाल समेत विज्ञान की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से जोड़ा जा रहा है। आसान नहीं था दिल्ली से जम्मू का सफरः दिल्ली से जम्मू तक का सफर वृंदा के लिए आसान नहीं था। वह बताती है कि करीब 10 वर्ष पहले उन्होंने समाज में बेहतर शिक्षा का उजियारा फैलाने के लिए हरियाणा के पानीपत के सेवा बस्तीडा. जितेंद्र सिंह ने सराहा में एक स्कूल शुरू किया था।

वहअब भी चल रहा है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर की यात्रा में वहाँ के लोगों तथा विस्थापित परिवारों की स्थिति को देखा। सेना पर पत्थर फेंकते किशोर और युवाओं की वो तस्वीरें भी देखीं, जो हर किसी को विचलित और चिंतित करती थीं। स्थानीय लोगों ने भी उनसे आग्रह किया, तब उन्होंने यहां भी कुछ करने का बीड़ा उठाया। ऊधमपुर का स्कूल अब 10 एकड़ में है, जमीन खरीदने में अनुच्छेद 370 व 35ए का हटना सहायक बना। जब वहां स्कूल शुरू किया तो रास्ता भी नहीं था। यही हाल राम नगर का भी था।

अतिरिक्त सामग्री देश के असली हीरो को करती हैं सम्मानितपरदादा संत राम खन्ना व परदादी ईश्वरी देवी के नाम पर शुरू संत ईश्वर सम्मान देश के असली हीरो तथा संस्थाओं को दिया जाता है, जो बिना किसी चमक दमक के समाज में बदलाव की राह बना रहे है। खास बात कि इस सम्मान के लिए आवेदन मगाए नहीं जाते, बल्कि देशभर में उनकी तलाश की जाती है और उन्हें दिल्ली बुलाकर पुरस्कृत किया जाता है। अब तक 118 से अधिक ऐसे साधकों को सम्मानित किया जा चुका है। संत ईश्वर फाउडेशन की संचालक वृंदा खन्ना बताती है कि पुरस्कृत लोगों की सूची को केंद्र सरकार को भी भेजा जाता है। सत ईश्वर सम्मान से सम्मानित कई विभूतियों को बाद में पद्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है

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