नेतृत्व के साथ जनता भी एकजुट रहे

नेतृत्व के साथ जनता भी एकजुट रहे, The public should also remain united with the leadership,

May 9, 2025 - 22:12
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नेतृत्व के साथ जनता भी एकजुट रहे

नेतृत्व के साथ जनता भी एकजुट रहे

किस्तान पोषित आतंकवाद के विरुद्ध आपरेशन सिंदूर जैसे अविश्वसनीय परक्रम के प्रदर्शन ने एक साथ कई
बातें प्रम्यषित कर दी हैं। इनमें सर्वप्रमुख यह है कि राजनीतिक नेतृाय के पास दिशा, संकल्प और साहस ही ती बड़ी से बड़ी जीखिम भरी कार्रवाई कर देश को सुरक्षित कर सकता है। यदि राजनीतिक नेतृत्व की जनता कर समर्थन हो तो फिर संकल्प को पूरा करने में चाहे जितनी बाधाएं और पुनीतियों भाई, वह उनसे भी पार पा सकता है। पहले भी यही जान सेना, बटा सेना और नौसेना थी। बावजूद इसके 2009 में मुंबई बातंकी हमले के बाद पूरा देश मन मसोरा कर या गया। वायु सेना तब भी कार्रवाई के लिए तैयार थी, लेकिन तत्कालीन मनमोहन सिंत सरकार पाकिस्तान की और से आने वालों प्रतिक्रिया से हिचक गई। यदि उस समय भारत ने ऐसा ही दिखाती समार आतंक के खतरे पर एक हद तक अंकुश लगाया जा सकता था। यदि आान प्रयानमंत्री मोदी नहीं होते ती स्सा भारत एक साथ लश्कर, जैश और जिला परसूत्रीले कसको पेट केकीको मिसलों से ध्वस्त करने का साहस दिखावा? मोदी के नेतृाम में सेना ने 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और 2010 में पयर स्ट्राइक करके इस मिथ को तोड़ा था कि पाकिस्तन से जवाबी कार्रवाई समस्या बन सकती है। इस समय पाकिस्तान बयान जी भी है, भारतीय सैन्य कार्रवाई रोकने की उसकी तैयारी नहीं थी। उसकी परमाणु धमकी भी पुस्य ही गई। जब नेतृत्व के सामने देश की पूर्ण सुरक्षा और अपने लोगों के जान-माल की रक्षा लक्ष्य हो तो फिर वह दाएं-बाएं नहीं देशात्य।


पहलगाम हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी सार्वजनिक रूप में आतंकियों और सरपरस्तों को मिट्टी में मिलाने की घोषणा कर रहे थे और इसकी तैयारी के संकित भी दे रहे थे। यह तैयारी रंग लाई। आतंकियों के अड्डे मटियामेट हो गए। गनवा-ए-हिंद की सनक से ग्रस्त जैश का सरगना मौलाना मसूद अजहर रोते हुए बोला कि में क्यों जिंदा बोला। बच गय। निःसंदेह यह देश के लिए दुर्गातरकारी विजयोत्सव जैसा क्षण है, किंतु क्या देश के आम लोगों की इसके लिए मानसिक तैयारी है कि पाकिस्तान की सबक सिखाने के लिए जी कीमार चुकानी पड़े, हम चुकाएंगे? यदि पाकिस्तान प्रत्युचर में कार्रवाई करक है और सैन्य टकराव लंबा खिंचता है तथा हमें भी कुछ क्षति उठानी पड़ती है तो देश को इसी तरह राजनीतिक नेतृत्य के संकल्प के साथ खड़ा रहना होगा। यह इसलिए अपरिहार्य है, क्योंकि कुछ लोग सफलता की स्थिति में चरम आनंद और थोड़ी कठिनाई आने पर चरम विरोध की सीमा तक चले जाते हैं। इसकी भी अनदेखी न की जाए कि मोदी, भाजपा और संघ से एक वर्ग अपने वैचारिक विरोध की अंधविरोध के स्तर तक ले गया है। ऐसे लोग पागलपन की हद तक जाकर विरोध करने और भ्रम फैलाने की कोशिश करते हैं। आज किसी के पास सर्जिकल स्ट्रक्षक या एयर स्ट्राइक की तरह आपरेशन सिंदूर पर सवाल उठाने का कोई आधार नहीं है, क्योंकि पाकिस्तान स्वयं कह रहा है कि भारत ने उसके यहां मिसाइलें और ड्रीन दागे। आतंकी ठिकानों के नष्ट होने के बीडियो और तस्वीरें पाकिस्तान से ही आ रही हैं। यदि ऐसा न होता तो शायद इस समय सरकार के 

साथ खड़े विपक्षी नेता सेना और देश का मनोबल आपरेशन सिंदूर से राजनीति से लेकर समाज तक जो सकारात्मक माहौल बना, उसे बनाए रखने की जरूरत है. गिराने के लिए तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे होते। आपरेशन सिंदूर के बाद राजनीति से लेकर समाज के स्तर पर जी सकारात्मक माहौल बन्ना उसे बनाए रखने की जरूरत है। अभी यह मानना सही नहीं होगा कि पाकिस्तान सुधर जाएगा। जनरल असिम मुनीर ने मतहब, कलमा कल और जिहाद की पाकिस्तान की विचारधारा बताया तो यह अकेले उनका कुविचार नहीं है। पाकिस्तान दुषित विचारधारा वाला देश है और इसीलिए वह कश्मीर ही नाहीं, संपूर्ण भारत पर कब्जा करने का मुगाल पाले है। पाकिस्तान के कंधित उदार चेहरों की में भाषा कैसे बदल गई,

याह हमारे सामने है। जम्मू कामीर में अनुच्छेद 370 को निभा करना पाकिस्तान की विषली विचारधारा के विरुद्ध संविधानिक स्ट्राइक थी लेकिन देश में अनेक लीग यह समक्षाने की तैयार नहीं थे। यह आत्मवती व्यवहार है। चारों और दुश्मनों से घिरे इजरायल की तुलना पूरी तौर पर तो भारत से नहीं ही सकती, लेकिन भारात के दी पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश भी मजहब उन्माद से ग्रस्त हैं और चीन भी भारत से जलता है और पाकिस्तान का संरक्षक बना हुआ है। जो देश गजब-ए-हिंद की बात करत ही, उससे खतरा स्थायी है। इस खारे के प्रति हर समय सचेत रहना होगा क्वेंकि पाकिस्तान में लोग की भारत के खिलाफ जिहाद के नाम पर कुबांन होने को सनक सवार है।


भारत ने आपरेशन सिंदूर की सफलता बान करने के लिए कर्जत सोफिया कुरैशी और पिंग कमांडर व्योमिका सिंह की सामने लाकर यहाँ संदेश दिया कि यदि पाकिस्तानी आतंकी भारतीय महिलाओं का सुहाग उजाड़ते हैं तो वे और उनके आका नेस्तनाबूद होने के लिए तैयार रहे। निःसंदे आपरेशन सिंदूर की शानदार सफलता गर्व करने का क्षण है, कि आजाद भारत के इतिहास में 1971 के बाद यह दूसरा ऐतिहासिक क्षण है, किंतु यह पूर्ण विराम नहीं। आपरेशन सिंदूर ती जिहादी खतरे को
संपूर्ण रूप से नष्ट करने की शुरुआत है। (लेखक राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ

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