भारत के प्रति घृणा से सना पाकिस्तान

भारत के प्रति घृणा से सना पाकिस्तान, विवेक काटजू पाकिस्तानी लोगों की यही मानसिकता है कि यदि भारत को परत करने की कोशिश में उनकी अर्थव्यवस्था तबाह हो जाए तो भी कोई बात नहीं, Pakistan filled with hatred towards India

May 9, 2025 - 22:08
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भारत के प्रति घृणा से सना पाकिस्तान

भारत के प्रति घृणा से सना पाकिस्तान

 

विवेक काटजू पाकिस्तानी लोगों की यही मानसिकता है कि यदि भारत को परत करने की कोशिश में उनकी अर्थव्यवस्था तबाह हो जाए तो भी कोई बात नहीं रीब दो हजार साल पहले चीनी रणनीतिकार सुन जू ने बहुत मार्के की बात कही थी। सुन जू के अनुसार, 'अगर आप अपने दुश्मन और अपनी क्षमताओं से परिचित हो तो आपको तमाम लड़ाइ‌यों के परिणाम की फिक्र करने की जरूरत नहीं। अगर आपको अपनी क्षमताएं पत्ता हैं, लेकिन दुश्मन की नहीं ती हर जीत की स्थिति में भी आप हार महसूस करेंगे।

अगर आप न अपने दुश्मन से न से परिचित हैं और न खुद से तो हर लड़ाई में आपकी हार तय है। एक ऐसे समय में जब पाकिस्तान के साथ हमारी तनातनी जारी है तो सुन जू का यह शाश्वत ज्ञान हमारे लिए भी बहुत उपयोगी है। पहलगाम के नृशंस आतंकी हमले के जवाब में भारत के आपरेशन सिंदूर के बाद से जब पाकिस्तान के साथ तल्खी और बढ़ने पर है तब हमारे लिए अपने दुश्मन और उससे जुड़े हुए सभी पहलुओं से परिचित होना कहीं अधिक आवश्यक हो जाता है। याद रहे कि पाकिस्तान में भारत को स्थायी शत्रु माना जाता है और यह कुविचार पाकिस्तानी जनता की मानसिकता में घुला हुआ है। हमें इस दूषित मानसिकता के मर्म की समाना होगा।

भारत के प्रति पाकिस्तान को विषैली मानसिकता द्विराष्ट्र सिद्धांत से ओतप्रोत है। इसी जहरीले नजरिये को बीते दिनों पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने एक संबोधन में जाहिर भी किया, जब उन्होंने हिंदू और मुसलमानों को दो अलग-अलग कौमों के रूप में रेखांकित किया। पाकिस्तान में सत्ता की वास्तविक नियंत्रक सेना यही चाहती है कि बचपन से ही देशवासियों में इस नफरती चिंतन और भारत से घृणा के बीज बोए जाएं।

इससे भी बदतर यह है कि लोगों को यही छु‌ट्टी पिलाई जाती है कि हिंदू-मुसलमान के बीच कभी सुलह नहीं हो सकती। पाकिस्तान में यही मान्यता है कि मजहब ही राष्ट्रवाद का आधार है। हालांकि यह बात अलग है कि खुद को इस्लामिक राष्ट्र मानने वाले पाकिस्तान में कभी यह सहमति नहीं बन पाई कि उसे इस्लाम की किस धारा का अनुसरण करना चाहिए। इसलिए आरंध से ही वह सांप्रदाविकता का शिकार रहा है।


पाकिस्तान के उलट भारत में यही मान्यता है कि उसके सभी नागरिकों के पास बराबर अधिकार हैं और धर्म मजहब निजी मामला है। यह भाव आपरेशन सिंदूर के बाद हुई मीडिया ब्रीफिंग में भी नजर आया, जब एक मुस्लिम महिला सैन्य अधिकारी एक हिंदू महिला सैन्य अधिकारी के साथ उस मंच पर नजर आईं, जिसके जरिये पाकिस्तान में हुए हमले की जानकारी सार्वजनिक की गई। राष्ट्रीय एवं सामाजिक एकजुटता भारत की बड़ी ताकत रही है। भारतीयों की सामाजिक एकजुटता का रणनीतिक महत्व भी समझाना चाहिए।

सोच के सार पर भी भारत और पाकिस्तान बहुत अलग हैं। पाकिस्तान में कुलीन वर्ग के लोग यह सोचते हैं कि भारतीय उपमहाद्धीप के वास्तविक शासक वही हैं। वे अतीत की उन्हीं स्मृतियों में डूबे रहते हैं कि अंग्रेजों के आगमन से पहले मुस्लिम राजवंशों ने ही सैकड़ों वर्षों तक भारत पर राज किया। इसलिए, एक सेक्युलर, समृद्ध एवं सशक्त भारत का विचार उन्हें पचता नहीं, जिसे विश्व की एक बड़ी शक्ति के रूप में मान्यता मिल रही है। पाकिस्तानी हरसंभव तरीके से भारत को खारिज करने में लगे रहते है। इसके लिए आतंक के इस्तेमाल से भी परहेज नहीं किया जाता। भारत के खिलाफ बड़े स्तर पर दुष्प्रचार किया जाता है।

विशेषकर इस्लामिक देशों के बीच भारत के विरुद्ध विषनमन किया जाता है ताकि पाकिस्तान अपने नापाक मंसूबे किसी तरह सिरे चढ़ा सके। भारत की परत करने के प्रयासों में अगर अपनी अर्थव्यवस्था भी तबाह हो जाए ती भी वहां इसे लेकर यही बरगलाया जाता है कि यह तो यह कीमत है, जी हमें चुकानी पड़ेगी। पाकिस्तान को इसका खामियाजा भुगतना भी पड़ रहा है। पाकिस्तानी सेना और कुलीन वर्ग की आम जनता के हितों की कोई परवाह नहीं। उनके स्वार्थ और फजी श्रेष्ठताबोध की कीमत आम पाकिस्तानियों को चुकानी पड़ रही है। 

पाकिस्तानी जनता की मानसिकता का एक और पहलू यह है कि चाहे जो हालात हीं, पर बदला लेना ही होगा। खासतौर से सेना में यह मुगालता बहुत गहराई से पैठ बनाए हुए है। वह हमेशा प्रतिशोध की अग्नि में झुलसती रहती है। वह आज तक 1971 में हुए पाकिस्तान के विभाजन के लिए भारत के प्रति बैर पाले हुए है। जबकि सच्चाई यही है कि सेना का रवैया और जुल्फिकार अली भु‌ट्टो जैसे नेता ही पाकिस्तान के विभाजन और बांग्लादेश के सूजन के लिए जिम्मेदार रहे। बदले की भावनाओं को व्यवत करते हुए ही पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने कहा कि आपरेशन सिंदूर में मारे गए लोगों की मौत का बदला लिया जाएगा।

इस चमकी की अनदेखा नहीं किया जा सकता। भारतीय नीति-नियंताओं को और सतर्क रहना होगा। पाकिस्तान यह दावा करने में भी लगा है कि भारत के खिलाफ उनकी वायु सेना को बड़ी कामयाबी मिली है। वह दुनिया के सामने खुद को आतंक से पीड़ित देश के रूप में भी दिखाने के प्रयास में लगा है। यह पाकिस्तान के दोहरे चरित्र की ही उजागर करता है। पाकिस्तान का दौरा करके लौटने वाले कुछ भारतीय अक्सर पाकिस्तानियों के आतिथ्य सत्कार की तारीफ करते हैं। 

कुछ पाकिस्तानियों से भारतीयों की घनिष्ठ मित्रता भी हो सकती है। कुछ पाकिस्तानी भारत के बारे में अच्छी भावनाएं रखते हौं, लेकिन इससे भारत के प्रति उनके देश एवं सेना के रवैये पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। यह भी एक तथ्य है कि पाकिस्तान विशेषकर सेना भारत को सेक्युलर नहीं, बल्कि हिंदू राष्ट्र के रूप में देखती है और हिंदुओं के प्रति उनके पूर्वाग्रह हमेशा से जाहिर रहे हैं। इससे भी अनदेखा नहीं किया जा सकता कि आज पाकिस्तान में नाम मात्र के हिंदू बचे हैं।

इसलिए हिंदुओं की परंपराओं से उनका कोई सरोकार नहीं बचा। इससे पूर्वाग्रतों को और खाद-पानी मिलता है। इसलिए अक्सर पाकिस्तानों दुष्प्रचार में हिंदू-विरोधी भावनाएं मुखरित होती हैं और हिंदुओं का उपहास उड़ाया जाता है। यह पाकिस्तानी जनता की मानसिकता के कुछ खास पहलू हैं, जिनकी अनदेखी नहीं को जानी चाहिए।

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