मुर्गा-मुर्गी बने ‘बॉडीगार्ड’: खंडवा की जबा चोरे का अनोखा शौक, नॉनवेज से दूरी के बावजूद पक्षियों से गहरा रिश्ता

Rooster and hen become 'bodyguards': Khandwa's Jaba Chor's unique hobby, मुर्गा-मुर्गी बने ‘बॉडीगार्ड’: खंडवा की जबा चोरे का अनोखा शौक, नॉनवेज से दूरी के बावजूद पक्षियों से गहरा रिश्ता, बचपन से पाला, परिवार का हिस्सा माना,

Aug 1, 2025 - 16:59
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मुर्गा-मुर्गी बने ‘बॉडीगार्ड’: खंडवा की जबा चोरे का अनोखा शौक, नॉनवेज से दूरी के बावजूद पक्षियों से गहरा रिश्ता
नॉनवेज से दूरी के बावजूद पक्षियों से गहरा रिश्ता

मुर्गा-मुर्गी बने ‘बॉडीगार्ड’: खंडवा की जबा चोरे का अनोखा शौक, नॉनवेज से दूरी के बावजूद पक्षियों से गहरा रिश्ता

खंडवा (मध्य प्रदेश)। अमूमन लोग मुर्गा-मुर्गी को मांस के लिए पालते हैं, लेकिन खंडवा जिले के नागचुन गांव की गृहणी जबा चोरे की कहानी इससे बिल्कुल अलग है। जबा ने मुर्गा और मुर्गी को अपने बच्चों की तरह पाला है। उनके घर में नॉनवेज का कोई नामोनिशान नहीं है, फिर भी वे इन पक्षियों को पूरे प्यार और लगन से संवारती हैं।

जबा जैसे ही आवाज लगाती हैं, उनका मुर्गा-मुर्गी दौड़ते हुए उनके पास आ जाता है। खेत हो या घर, सुबह हो या शाम — ये हर वक्त उनके साथ रहते हैं। गांव के लोग मजाक में इन्हें जबा के ‘बॉडीगार्ड’ भी कहते हैं, क्योंकि ये हमेशा उनके आगे-पीछे घूमते रहते हैं।

बचपन से पाला, परिवार का हिस्सा माना
जबा चोरे बताती हैं, “मैंने इन्हें बचपन से हाथों से खिलाया-पिलाया है। कभी जानवर नहीं समझा, हमेशा परिवार का हिस्सा माना। शायद इसी वजह से मेरी आवाज सुनते ही ये दौड़कर मेरे पास आ जाते हैं।”

अगर जबा कहीं चली जाएं तो ये उनके पीछे-पीछे घर से बाहर निकल जाते हैं। खेत में काम करते समय भी साथ रहते हैं और जब वह घर लौटती हैं, तो ये भी उनके साथ लौट आते हैं।

नॉनवेज नहीं, सिर्फ प्यार का रिश्ता
जबा कहती हैं, “हमारे घर में नॉनवेज बिल्कुल नहीं बनता। ये पक्षी हमारे लिए परिवार के सदस्य जैसे हैं। इनकी देखभाल करने में मुझे सुकून मिलता है।”

गांव के लोग भी मानते हैं कि जबा ने जिस तरह मुर्गा-मुर्गी को पाला है, वह पक्षी प्रेमियों के लिए प्रेरणा है। एक ग्रामीण बताते हैं, “आज के समय में लोग पालतू जानवर स्वार्थ के लिए पालते हैं, लेकिन जबा ने इन्हें केवल प्यार के लिए पाला है।”

मेहमान भी रह जाते हैं हैरान
जब भी कोई मेहमान उनके घर आता है, तो यह नजारा देखकर दंग रह जाता है कि मुर्गा-मुर्गी उनकी आवाज सुनते ही दौड़ पड़ते हैं। कई लोग तो यह तक पूछते हैं कि क्या इन्हें खास ट्रेनिंग दी गई है, लेकिन जबा कहती हैं, “यह सब केवल प्यार और देखभाल का नतीजा है। मैंने इन्हें कोई ट्रेनिंग नहीं दी, रिश्ता खुद ही मजबूत हो गया।”

@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,