भारत की विरासत केवल इतिहास नहीं, विज्ञान भी है : नरेन्द्र मोदी

भारत पहली बार विश्व धरोहर समिति की बैठक की कर रहा मेजवानी , 150 से अधिक देशों के 2,000 से अधिक प्रतिनिधि ले रहे हिस्सा प्रधानमंत्री ने भारत यूनेस्को वल्ड हैरिटेज सेंटर के लिए 10 लाख डालर का अनुदान देने की घोषणा भी की। इसे वर्ल्ड हैरिटेज साइटों के संरक्षण, कैपेसिटी बिल्डिंग और टैक्निकल असिस्टेंस में खर्च किया जाएगा।

Jul 22, 2024 - 20:37
Jul 22, 2024 - 20:38
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भारत की विरासत केवल इतिहास नहीं, विज्ञान भी है : नरेन्द्र मोदी

भारत की विरासत केवल इतिहास नहीं, विज्ञान भी है : नरेन्द्र मोदी

विश्व धरोहर समिति के 10 दिन चलने वाले 46वें सत्र का शुभारंभ हो गया है। भारत पहली बार इस बैठक की मेजबानी कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को भारत मंडपम में बैठक का उद्‌द्घाटन किया। उन्होंने भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति का महत्व बताते हुए प्राचीन भारत के वैज्ञानिक सोच और क्षमता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत की विरासत केवल एक इतिहास नहीं है, एक विज्ञान भी है।  

प्रधानमंत्री ने भारत यूनेस्को वल्ड हैरिटेज सेंटर के लिए 10 लाख डालर का अनुदान देने की घोषणा भी की। इसे वर्ल्ड हैरिटेज साइटों के संरक्षण, कैपेसिटी बिल्डिंग और टैक्निकल असिस्टेंस में खर्च किया जाएगा। विशेष रूप से ये पैसा ग्लोबल साउथ के देशों के काम आएगा। इस अवसर मौके पर यूनस्को की महानिदेशक आई अजोले भी मौजूद थीं। इसके अलावा विदेश मंत्री एस. जयशंकर, संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, राज्यों के संस्कृति मंत्री, यूनस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधि

विशाल वी. शर्मा और देश विदेश से आए प्रतिनिधि मौजूद थे। इसमें 150 से अधिक देशों के 2,000 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। प्रधानमंत्री ने संबोधन की शुरुआत ज्ञान और अध्यात्म के पर्व गुरुपूर्णिमा की बधाई से की। उन्होंने कहा कि हर वैश्विक आयोजन की तरह यह आयोजन भी भारत में सफलता के नए कीर्तिमान गढ़ेगा। भारत की समृद्ध विरासत और वैज्ञानिक ज्ञान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व में विरासतों के अलग अलग केंद्र होते हैं, लेकिन भारत इतना प्राचीन है कि यहां वर्तमान का हर बिंदु किसी न किसी गौरवशाली अतीत को गाथा कहता है। दिल्ली का उदाहरण लें  तो दुनिया दिल्ली को भारत की राजधानी के रूप में जानती है, जबकि यह शहर हजारों वर्ष की पुरानी विरासतों का केंद्र भी रहा है। यहां कदम-कदम पर ऐतिहासिक विरासतों के दर्शन होंगे। प्रधानमंत्री ने हजारों वर्ष पहले हुए निर्माण में वैज्ञानिक सोच और जानकारी का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां से करीब 15 किलोमीटर दूर ही कई टन का लौह स्तंभ है जो दो हजार वर्षों से खुले में खड़ा है, इसमें आज तक जंग नहीं लगी। इससे पता चलता है कि उस समय भी भारत का धातु ज्ञान कितना उन्नत था। भारतीय निर्माण और इंजीनियरिंग का उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली से कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर 3,500 मीटर की ऊंचाई पर केदारनाथ मंदिर है जो आठवीं शताब्दी में बना था।

यहां किसी तरह का निर्माण चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इसके निर्माण में कठोर वातावरण और ग्लेशियर्स का पूरा ध्यान रखा गया। यही नहीं इसके निर्माण में कहीं भी मोर्टर का इस्तेमाल नहीं हुआ है, लेकिन यह मंदिर आज भी अटल है। ऐसा ही दक्षिण में चोल राजाओं द्वारा निर्मित बृहदीश्वर मंदिर है जिसका वास्तु देखते ही बनता है। गुजरात में धौलावीरा और लोथल 3,000 बीसी और 1,500 बीसी पहले के हैं, लेकिन इनकी टाउन प्लानिंग प्राचीन सभ्यता में आधुनिक स्तर को बताता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां मौजूद दुनिया के विशेषज्ञों को उत्तर प्रदेश के सिनौली में मिले सुबूतों को जरूर देखना चाहिए जो सिंधु घाटी सभ्यता की जगह वैदिक सभ्यता से मेल खाते हैं। यहां 2018 में चार हजार वर्ष पुराना रथ मिला है, जिसमें घोड़े लगते थे। ये शोध के नए तथ्य बताते हैं कि भारत को जानने के लिए अवधारणाओं से मुक्त सोच का जरूरत है। 

 प्रधानमंत्री ने कहा कि विरासत केवल इतिहास नहीं, बल्कि मानवता की साझी चेतना है। हम दुनिया में कहीं भी किसी भी विरासत को देखते हैं तो हमारा मन वर्तमान में जियो पोलिटिकल फैक्टर से ऊपर उठ जाता है। हमें विरासत की इस क्षमता को विश्व की बेहतरी के लिए प्रयोग करना चाहिए। हमें अपनी विरासतों के जरिये दिलों को जोड़ना है। भारत का पूरे विश्व से यही आह्वान है। आइए हम सब एक दूसरे को विरासत को आगे बढ़ाने के लिए, मानव कल्याण की भावना के विस्तार के लिए जुड़ें। विरासत को संरक्षित करते हुए पर्यटन बढ़ाने और ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर बनाने के लिए जुड़ें।

 उन्होंने कहा कि दुनिया ने वो दौर भी देखा है जब विकास की दौड़ में विरासत को नजरअंदाज किया जाने लगा था, लेकिन आज का युग ज्यादा जागरूक है। भारत का विजन है- विकास भी, विरासत भी। पिछले 10 वर्षों में भारत ने एक और आधुनिक विकास के नए आयाम हुए हैं, वहीं विरासत पर गर्व का संकल्प भी लिया है। विरासत के संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने काशी विश्वनाथ कारीडोर निर्माण, राममंदिर निर्माण और नालंदा विश्वविद्यालय का आधुनिक कैंपस बनाए जाने का उल्लेख किया उन्होंने कहा कि नहीं वयं की है।

संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि जी-20 के बाद विश्व का भारत के प्रति नजरिया बदला है। पूरी दुनिया का ध्यान भारत पर केंद्रित हो गया। सम्मेलन में भारत के ज्ञान, विज्ञान और समृद्धि संस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन होगा। साथ ही विश्व धरोहर से संबंधित सभी मामलों के प्रबंधन और विश्व धरोहर सूची में शामिल स्थलों के बारे में निर्णय लिए जाएंगे। विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने के लिए विभिन्न देशों द्वारा भेजे गए प्रस्तावों पर विचार भी होगा। भारत की ओर से इस बार असम में स्थित मोइदाम (असम के शाही कब्र स्थल) को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा गया है। यह भारत की 43वीं धरोहर होगी जो विश्व धरोहर सूची में शामिल होगी। बैठक में 124 विद्यमान विश्व धरोहर संपत्तियों के संरक्षण की स्थिति, अंतरराष्ट्रीय सहायता और विश्व धरोहर निधियों के उपयोग आदि पर चर्चा होगी। बैठक के साथ ही विश्व धरोहर युवा पेशेवरों और प्रबंधकों का भी सत्र और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलेगा।

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