वर्ष 2050 तक भारत में हो जाएंगे दोगुने बुजुर्ग

यूएनएफपीए की भारत प्रमुख बोलीं, 60 साल से ऊपर के 34.60 करोड़ बूढ़े होंगे, संस्था ने स्वास्थ्य देखभाल, आवास व पेंशन में अधिक निवेश की जरूरत बताई बुजुरग महिलाओ को अकेले रहने व गरीबी का सामना करने की अधिक आशंका तक देश का 50 प्रतिशत 2050 हिस्सा शहरी होने का अनुमान से 19 साल की उम्र के 25.2 करोड़ 10 लाग देश में हैं मौजूदा समय में

Jul 22, 2024 - 21:19
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वर्ष 2050 तक भारत में हो जाएंगे दोगुने बुजुर्ग

वर्ष 2050 तक भारत में हो जाएंगे दोगुने बुजुर्ग

बुजुरग महिलाओ को अकेले रहने   व गरीबी का सामना करने की अधिक आशंका तक देश का 50 प्रतिशत 2050 हिस्सा शहरी होने का अनुमान से 19 साल की उम्र के 25.2 करोड़ 10 लाग देश में हैं मौजूदा समय में  

यूएनएफपीए की भारत प्रमुख एंड्रिया वोजनार ने  आबादी 2050 तक दोगुनी होने की उम्मीद है। महज अगले 26 सालों में देश में बुजुर्गों की आबादी 34.60 करोड़ हो जाएगी। इसलिए स्वास्थ्य देखभाल, आवास और पेंशन के क्षेत्र में अधिक निवेश करने की आवश्यकता है। खासकर बुजुर्ग महिलाओं का भविष्य सुरक्षित रखने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है जिनके 'अकेले रहने और गरीबी का सामना करने की अधिक आशंका है'।


यूएनएफपीए की भारत प्रमुख वोजनार ने 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के कुछ दिन बाद एक इंटरव्यू में कहा, "भारत के 2050 तक 50 प्रतिशत शहरी होने का अनुमान है। झुग्गी-बस्तियों में वृद्धि, वायु प्रदूषण और पर्यावरणीय मुद्दों के प्रबंधन के लिए स्मार्ट सिटी, मजबूत बुनियादी ढांचे और किफायती आवास का निर्माण महत्वपूर्ण है।"


उन्होंने बताया कि 2050 तक 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या दोगुनी होकर करीब 34 करोड़ 60 लाख होने का अनुमान है। इसलिए स्वास्थ्य देखभाल, आवास और पेंशन योजनाओं में निवेश बढ़ाने की सख्त जरूरत है। विशेष रूप से वृद्ध महिलाओं के लिए जिनके अकेले रहने और गरीबी का सामना करने की आशंका अधिक होती है। संतुलित विकास के लिए प्रवासियों या पीछे छूट गए जीवनसाथी के रूप में महिलाओं के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है।

 
उन्होंने कहा कि फिलहाल भारत में एक बड़ी युवा आबादी है, जिसमें 10 से 19 साल  की उम्र के 25.2 करोड़ लोग हैं। लिहाजा, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, नौकरी प्रशिक्षण और नौकरी सृजन में निवेश, इस जनसांख्यिकीय की क्षमता को अनलाक कर सकता है, जिससे देश को स्थायी प्रगति की ओर ले जाया जा सकता है।


उन्होंने कहा, "शहरी योजनाओं में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार के लिए महिलाओं की सुरक्षा व स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और नौकरियों तक पहुंच की जरूरतों पर भी विचार किया जाना चाहिए।"

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