बादलों को इधर-उधर भेज सकेगा क्लाउड चैंबर

तैयारी बादलों पर होगा शोध, नमी, हवा की गति और तापमान का होगा आकलन, बादलों का घनत्व कम करने के लिए, अधिक वर्षा वाले बादलों को ऐसे इलाकों की ओर भेजने की होगी कोशिश, जहां हो रही कम वर्षा बादलों को इधर-उधर भेज सकेगा क्लाउड चैंबर

May 21, 2025 - 15:57
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बादलों को इधर-उधर भेज सकेगा क्लाउड चैंबर
बादलों को इधर-उधर भेज सकेगा क्लाउड चैंबर

बादलों को इधर-उधर भेज सकेगा क्लाउड चैंबर

तैयारी बादलों पर होगा शोध, नमी, हवा की गति और तापमान का होगा आकलन, बादलों का घनत्व कम करने के लिए, अधिक वर्षा वाले बादलों को ऐसे इलाकों की ओर भेजने की होगी कोशिश, जहां हो रही कम वर्षा

: दिल्ली में कृत्रिम वर्षा के ट्रायल की तैयारी के बीच मौसम विभाग (आइएमडी) क्लाउड सीडिंग तकनीक पर काम करने की तैयारी कर रहा है। मौसम विभाग की रिसर्च विंग पुणे में स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट आफ ट्रापिकल मीट्रियोलाजी (आइआइटीएम) में एक क्लाउड चेंबर स्थापित किया जाएगा। इस चैंबर में बादलों पर शोध होगा। 


गौरतलब है कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का दुष्प्रभाव मौसम चक्र को प्रभावित करने के साथ साथ वर्षा पैटर्न को भी बदल रहा है। मात्रा के लिहाज से भले ही अब भी साल भर में और मानसून के दौरान सामान्य वर्षा हो रही हो, लेकिन उसका वितरण असमान हो गया है। कृषि जगत के लिए भी समस्या उत्पन्न हो गई है। भविष्य में इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए क्लाउड सीडिंग तकनीक पर काम करना समय की जरूरत बन गया है।

मौसम विज्ञानियों का कहना है कि बादल का बेस आमतौर पर धरती की सतह से एक से डेढ़ किमी दूर तक होता है, लेकिन इनकी ऊंचाई 12 से 13 किमी तक हो सकती है। अब देश को ऊंचाई पर हो रहे बदलावों के लिए तैयार किया जाएगा। इसमें नमी, हवाओं की गति व तापमान का आकलन होगा। बादलों के घनत्व को कम करने के लिए, अधिक वर्षा वाले बादलों को ऐसे इलाकों की ओर भेजने की कोशिश होगी जहां वर्षा कम हो रही है। मौसम विज्ञानियों ने यह भी बताया कि साल दर साल वर्षा के पैटर्न में बदलाव आया है। इसी पैटर्न को समझने और इस बदलते पैटर्न से निपटने की तैयारी है। दूसरे चरण में बिजली गिरने की समस्या से निपटने पर काम होगा। दूसरे चरण में ही फाग की समस्या से निपटने पर भी शोध होगा। इससे फाग को कम करने की तैयारी होगी। वर्षा के बदलते पैटर्न से इनके पूर्वानुमान में चुनौतियां आ रही है। इस पर काम किया जाएगा। 

क्लाउड चैंबर के लिए आइआइटीएम पुणे परिसर में स्थान तय कर लिया गया है। अब टेंडरिंग प्रक्रिया चल रही है। टेंडर अवार्ड हो जाने के बाद लगभग आठ माह में क्लाउड चैंबर बनकर तैयार हो जाएगा। इसके बाद क्लाउड सीडिंग तकनीक के विभिन्न पहलुओं पर शोध आरंभ हो जाएगा।
- रविचंद्रन, सचिव, केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय

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