860 खदानें और सालाना 50 टन उत्पादन... फिर भी इस देश के पास नहीं है रत्तीभर सोना

सोने की कीमत आज एक बार फिर नए रेकॉर्ड पर पहुंच गई। इस तेजी के कई कारण हैं। कई देशों के सेंट्रल बैंकों ने हाल में अपने सोने के भंडार में काफी बढ़ोतरी की है। लेकिन एक देश ऐसा भी है जिसके पास सोने की 860 खदानें हैं। मगर उसके बैंकों में कोई गोल्ड रिजर्व है।

Mar 19, 2025 - 20:28
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860 खदानें और सालाना 50 टन उत्पादन... फिर भी इस देश के पास नहीं है रत्तीभर सोना
नई दिल्ली: में हाल में काफी तेजी आई है। इस तेजी के कई कारण हैं। लेकिन सबसे बड़ी वजह यह है कि दुनिया के कई देश तेजी से अपने गोल्ड रिजर्व को बढ़ा रहे हैं। भारत, चीन, पोलैंड और तुर्की जैसे देशों के सेंट्रल बैंकों ने हाल में बड़ी मात्रा में सोना खरीदा है। दुनिया का सबसे बड़ा गोल्ड रिजर्व अमेरिका के पास है। हेज के रूप में सोने को सबसे सेफ माना जाता है। दुनिया में जब भी कोई संकट आता है तो सोने की चमक बढ़ने लगती है। लेकिन एक देश ऐसा भी है जहां सोने की सैकड़ों खदानें हैं और वह सालाना 50 टन सोने का उत्पादन करता है। फिर भी उसके बैंकों में सोने का कोई भंडार नहीं है।हम बात कर रहे हैं अफ्रीकी देश माली की। इस देश में सोने की 860 खदानें हैं और सालाना 50 टन सोने का उत्पादन होता है। इसके बावजूद इसके बैंकों में सोने का कोई भंडार नहीं है। माली दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है। इसकी जीडीपी पर कैपिटा महज $837 है और यह यूएन के 47 सबसे कम विकसित देशों की लिस्ट में है। लेकिन कभी यह अफ्रीका का सबसे अमीर देश हुआ करता था। इसके राजा मनसा मूसा को इतिहास का सबसे अमीर व्यक्ति माना जाता है। उसके पास करीब 415 अरब डॉलर की दौलत थी।

कौन था मनसा मूसा

मनसा मूसा का जन्म 1280 में हुआ था। वह 1312 में माली की गद्दी पर बैठा। उसका साम्राज्य आज के मॉरीटोनिया, सेनेगल, गांबिया, गिनी, बुर्किना फासो, माली, चाड और नाइजीरिया तक फैला था। वहां सोने के बहुत बड़े भंडार हुआ करते थे। उस दौर में सोने की मांग बहुत ज्यादा थी और दुनिया का आधा सोना मूसा के पास ही था। उसने टिम्बकटू और गाओ जैसे शहरों को विकसित किया था जो उस समय के अहम सांस्कृतिक केंद्र थे। मूसा ने मिडल ईस्ट और अफ्रीका के दूसरे देशों से वास्तुकारों को बुलाया जिन्होंने इन शहरों में इमारतों का डिजाइन बनाया।मूसा को विरासत में अमीरी मिली थी लेकिन उसने माली को अफ्रीका का सबसे अमीर सल्तनत बनाया। सॉल्ट और गोल्ड के साथ-साथ हाथीदांत से भी उसकी काफी कमाई होती थी। 1324 में जब वह हज के लिए मिस्र होते हुए मक्का के लिए निकला तो इस यात्रा की चर्चा पूरी दुनिया में होने लगी। तब तक पश्चिम अफ्रीका के बाहर माली को कोई नहीं जानता था। अरब इतिहासकारों के मुताबिक उनके काफिले में हजारों लोग और दर्जनों ऊंट थे। हर ऊंट पर 136 किलो सोना लदा था।

कैसे बर्बाद हुआ माली

काहिरा में मूसा ने मिस्र के सुल्तान से मुलाकात की। उसके लोगों ने सोने को पानी तरह बहा दिया। इससे मिस्र में अगले 12 साल तक सोने की कीमत गिरी रही। हज से लौटने के बाद मूसा ने अपने शहरों को नए रूप देना शुरू कर दिया। मस्जिदें और दूसरी पब्लिक बिल्डिंग्स बनाई गईं। टिम्बकटू इस्लामी शिक्षा का प्रमुख सेंटर बनकर उभरा। पूरी दुनिया से इस्लामी विद्वान और वास्तुकार माली आए।उस दौर में माली की रुतबा दुनिया में अपने चरम पर पहुंच गया। मूसा की मृत्यु 1337 में हुई लेकिन उसके बेटे साम्राज्य को चला नहीं पाए। इस तरह उनकी सल्तनत समय के साथ छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट गई। आज माली दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है। पिछले एक दशक से देश भूख और कुपोषण की समस्या से जूझ रहा है। साथ ही इस देश में पानी की भी बड़ी समस्या है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,