बिहार चुनाव में 'खाका पॉलिटिक्स' का खेल! कांग्रेस के दलित वाले दांव से लालू खेमे में खलबली क्यों?

Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस ने अपने कम महत्वपूर्ण लेकिन अहम किरदार को बड़ी जिम्मेदारी दी है। राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। अब इसे लेकर बिहार की सियासत में अलग तरह की हलचल है। उधर, प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार कार्यालय पहुंचे राजेश कुमार बड़ी बातें कही। राजेश कुमार कार्यालय पहुंचकर सभी नेताओं से मिलते हुए नजर आए।

Mar 22, 2025 - 17:18
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बिहार चुनाव में 'खाका पॉलिटिक्स' का खेल! कांग्रेस के दलित वाले दांव से लालू खेमे में खलबली क्यों?
पटना: 'पार्टी ने मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है, उसका मैं सही तरीके से निर्वहन करूंगा। देखिए कांग्रेस एक महापरिवार है। ये सदियों से है। कांग्रेस के आगे कोई नहीं ठहरता है। कांग्रेस के आजादी से लेकर कई मामलों में योगदान रहा है। मैं आज पार्टी कार्यालय आया था। लोगों से मिलने, उन्हें बताने और समझाने कि को लेकर हम लोगों को किस तरह की लड़ाई लड़नी है। मैं अपने वरिष्ठ नेताओं से आशीर्वाद लेने आया था। मैं पार्टी कार्यालय में कुछ कहने और सुनने आया था।' उपरोक्त बयान प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार सदाकत आश्रम पहुंचे राजेश कुमार का था।

पार्टी के प्रति आभार

कांग्रेस नेतृत्व के प्रति आभार व्यक्त करते हुए 56 वर्षीय राजेश कुमार ने ये भी कहा है कि मुझ पर भरोसा और विश्वास जताने के लिए मैं पार्टी का आभारी हूं। मेरी दो मुख्य प्राथमिकताएं होंगी। कांग्रेस के संगठनात्मक आधार को मजबूत करना और विकास के मोर्चे पर एनडीए सरकार की विफलताओं को लेकर पार्टी का नेतृत्व करना। साथ ही पलायन और बेरोजगारी से निपटने के लिए एक खाका पेश करना। राजेश कुमार की नियुक्ति के साथ, कांग्रेस के पास अब बिहार में युवा नेताओं की तिकड़ी हो गई है, जिसमें एआईसीसी के राज्य प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और पार्टी की छात्र शाखा, एनएसयूआई के एआईसीसी प्रभारी कन्हैया कुमार शामिल हैं।

पिता से सीखी राजनीति

औरंगाबाद जिले के ओबरा के निवासी राजेश कुमार ने अपने पिता दिलकेश्वर राम के मार्गदर्शन में अपनी राजनीतिक पारी शुरू की, जो 1980 से 1985 के बीच दो बार राज्य मंत्री रहे। वे रविदास समुदाय से आते हैं, जो राज्य की 19.65% अनुसूचित जाति (एससी) आबादी का लगभग 5.25% है। पिछले 10 वर्षों से, उन्होंने 2010 से 2016 तक राज्य पार्टी महासचिव होने के अलावा बीपीसीसी के एससी/एसटी सेल के प्रमुख के रूप में कार्य किया है। बिहार के एक कांग्रेस नेता ने कहा कि यह एक अच्छी नियुक्ति है क्योंकि राजेश कुमार एक अच्छे वक्ता हैं और युवा हैं। वह इस महत्वपूर्ण समय में पार्टी को आगे ले जा सकते हैं। पार्टी ये भी जानती है कि उसे दलितों को अपने आधार में जोड़ने की जरूरत है।

दलितों पर ध्यान

राजेश अब बीपीसीसी का नेतृत्व करने वाले आठ साल में पहले दलित कांग्रेस नेता बन गए हैं। उनकी पदोन्नति को राज्य पार्टी इकाई पर राष्ट्रीय जनता दल आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद के "प्रभाव" को रोकने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है क्योंकि राजेश के पूर्ववर्ती अखिलेश प्रसाद सिंह लालू के बेहद करीबी माने जाते थे। राजेश ने अक्टूबर 2005 के विधानसभा चुनावों में निर्दलीय के रूप में अपनी असफल शुरुआत की थी। पांच साल बाद, वह कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में फिर से हार गए।

सादा जीवन उच्च विचार

राजेश कुमार पहली बार 2015 में सुर्खियों में आए जब उन्होंने कुटुम्बा निर्वाचन क्षेत्र में हम (एस) के उम्मीदवार और वर्तमान मंत्री संतोष कुमार सुमन को हराया। 2020 के चुनावों में, एनडीए की लहर के बीच, राजेश उन कुछ कांग्रेस नेताओं में से एक थे जिन्होंने अपनी सीट बरकरार रखी, उन्होंने हम (एस) के उम्मीदवार श्रवण भुइयां को हराया। अपनी छवि को कम ही बनाए रखने के लिए जाने जाने वाले राजेश अपने राजनीतिक जीवन के अधिकांश समय में अशोक राम और पूर्व बीपीसीसी प्रमुख अशोक कुमार चौधरी जैसे अन्य दलित नेताओं की छाया में ही रहे।

राजेश कुमार को प्रमोशन

राजेश की पदोन्नति को कांग्रेस हलकों में पार्टी द्वारा चौधरी द्वारा की गई गलतियों को सुधारने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है। चौधरी, जो 2013 से 2017 तक बिहार कांग्रेस के प्रमुख थे, पार्टी इकाई को विभाजित करने के अपने कथित प्रयास के कारण पार्टी नेतृत्व से अलग हो गए थे। आखिरकार, चौधरी ने 2018 में कांग्रेस छोड़ दी और जेडीयू में शामिल हो गए, वर्तमान में नीतीश कुमार कैबिनेट में मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। इसके बाद कांग्रेस ने मदन मोहन झा (एक ब्राह्मण नेता) और बाद में अखिलेश प्रसाद सिंह (एक भूमिहार नेता) को बीपीसीसी प्रमुख के रूप में नामित किया।

सच्चे संगठनकर्ता को कमान

हालांकि, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा सत्ता के पदों पर दलितों और पिछड़े तथा अति पिछड़े वर्गों (ओबीसी और ईबीसी) को अधिक प्रतिनिधित्व दिए जाने की वकालत के बाद, अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाने की मांग तेज हो गई है। पिछले साल अक्टूबर में बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में लालू को आमंत्रित करने के अखिलेश के कदम को कई कांग्रेस नेताओं ने पसंद नहीं किया था। राजेश की नियुक्ति का स्वागत करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रेम चंद्र मिश्रा ने कहा कि आखिरकार बिहार में हमें एक असली कांग्रेसी मिला है। राजेश कुमार एक सच्चे संगठनकर्ता हैं।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,