अमेरिका से 31 'प्रीडेटर' 15 ड्रोन नौसेना को और आठ-आठ थलसेना और वायुसेना को मिलेंगे
पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने एमक्यू-बी 'हंटर किलर' ड्रोन की खरीद को मंजूरी दी थी।
चीन के विरुद्ध भारतीय सेना की युद्धक क्षमता को बढ़ाना है खरीद का उद्देश्य
भारत ने मंगलवार को अमेरिका के साथ एक बड़े समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत विदेशी सैन्य बिक्री मार्ग से अमेरिकी रक्षा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी 'जनरल एटामिक्स' से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदे जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि इनकी लागत करीब चार अरब डालर होगी। इस खरीद का उद्देश्य चीन के साथ विवादित सीमाओं पर भारतीय सेना की युद्धक क्षमता को बढ़ाना है।
अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में भारत के शीर्ष रक्षा और रणनीतिक अधिकारियों की मौजूदगी में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए जो दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि का प्रतीक है। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से महज कुछ सप्ताह पहले ड्रोन खरीद के इस समझौते को अंतिम रूप दिया गया है। पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने एमक्यू-बी 'हंटर किलर' ड्रोन की खरीद को मंजूरी दी थी। इस बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले 'जनरल एटामिक्स ग्लोबल कारपोरेशन' के मुख्य कार्यकारी विवेक लाल भी समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान उपस्थित थे।
भारत विशेष रूप से चीन के साथ विवादित सीमा पर सशस्त्र बलों की निगरानी व्यवस्था को बढ़ाने के लिए इन ड्रोन को खरीद रहा है। एमक्यू-१बी ड्रोन एमक्यू-9 'रीपर' का एक प्रकार है, जिसका उपयोग हेलफायर मिसाइल के संशोधित संस्करण को दागने के लिए किया गया था। जुलाई, 2022 में काबुल के मध्य में इसके हमले में अलकायदा नेता अयमन अल-जवाहिरी मारा गया था।
समझौते के तहत भारतीय नौसेना को 15 'सी गार्डियन ड्रोन' मिलेंगे, जबकि भारतीय वायुसेना और थलसेना को आठ-आठ 'स्काई गार्डियन ड्रोन' मिलेंगे। काफी ऊंचाई में काम करने में योग्य ये ड्रोन 35 घंटे से अधिक समय तक हवा में रहने में सक्षम हैं और चार हेलफायर मिसाइलें व लगभग 450 किलोग्राम बम ले जाने की क्षमता रखते हैं। 'सी गार्डियन ड्रोन' इसलिए खरीदे जा रहे हैं क्योंकि वे समुद्री निगरानी, पनडुब्बी रोधी युद्ध और सीमा पार लक्ष्य साधने सहित कई तरह की भूमिकाएं निभा सकते हैं।
ड्रोन खरीदने का समझौता भारत सबको जोड़ने में विश्वास करता है, तोड़ने में नहीं : राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को तेलंगाना के दामागुंडम वन क्षेत्र में नौसेना के बेहद निम्न आवृत्ति (वीएलएफ) वाले रडार स्टेशन की आधारशिला रखी। इस अवसर पर उन्होंने कहा, भारत सबको जोड़ने में विश्वास करता है, तोड़ने में नहीं। इसलिए हम अपने मित्र पड़ोसी देशों को साथ लेकर चलने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं। रक्षा मंत्री ने भारत संग समुद्री सीमा साझा करने वाले देशों को संदेश देते हुए कहा, समुद्री सुरक्षा सामूहिक प्रयास है। बाहरी ताकतों को दहलीज तक आमंत्रित करने से एकता के प्रयासों को झटका लगेगा।
राजनाथ ने कहा, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। इसमें भारत के मित्र देशों का सहयोग जरूरी है। यदि एक भी देश छूट गया तो सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। उन्होंने कहा, जब नौसेना के वीएलएफ का परिचालन शुरू हो जाएगा तो यह समुद्री बलों के लिए महत्वपूर्ण होगा।
तेलंगाना के विकाराबाद में बनने जा रहा यह रडार स्टेशन देश में नौसेना का दूसरा वीएलएफ संचार ट्रांसमिशन स्टेशन है। तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में आइएनएस कट्टाबोम्मन रडार स्टेशन पहला स्टेशन है। तेलंगाना सरकार के बयान के अनुसार, रडार स्टेशन की आधारशिला रखने के अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी और केंद्रीय मंत्री बंदी संजय कुमार भी मौजूद रहे। इससे पहले हैदराबाद में पत्रकारों से बातचीत में केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि यह तेलंगाना के लिए गर्व का क्षण है, क्योंकि यह देश में दूसरी परियोजना (रडार स्टेशन) है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
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