46 दिन में सात आतंकी हमले में 11 सैन्य जवान बलिदान हो चुके हैं

जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में भारतीय सेना ने घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया है। माछिल सेक्टर में सेना ने एक घुसपैठिए को मार गिराया है। वहीं एक जवान बलिदान हो गया है।

Jul 27, 2024 - 13:51
Jul 27, 2024 - 19:01
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46 दिन में  सात आतंकी हमले  में 11 सैन्य जवान बलिदान हो चुके हैं

LOC पर बड़ी साजिश नाकाम: आतंकियों की मदद कर रही पाकिस्तानी सेना, एक जवान का बलिदान; घुसपैठिया ढेर

जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में सुरक्षाबलों ने घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया है। एलओसी पर भारतीय सेना और पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम के बीच फायरिंग हुई। इस दौरान एक घुसपैठिया मारा गया है। वहीं एक जवान का बलिदान हो गया। एक जवान घायल बताया जा रहा है। कुपवाड़ा के माछिल क्षेत्र में सेना ने घुसपैठ की कोशिश को नाकाम किया है।

एक जवान का बलिदान और चार अन्य घायल

सेना ने जानकारी देते हुए कहा कि फायरिंग में एक जवान का बलिदान हो गया है। और कैप्टन समेत अन्य चार जवान घायल हो गए हैं। भारतीय सेना के चिनार कॉर्प्स ने जानकारी देते हुए बताया कि नियंत्रण रेखा पर माछिल सेक्टर के कामकारी में एक चौकी पर अज्ञात लोगों ने फायरिंग कर दी। जिसमें एक पाकिस्तानी नागरिक मारा गया है। जिसमें हमारे दो सैनिक घायल हुए हैं और उन्हें निकाल लिया गया है।

रक्षा विभाग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, माछिल सेक्टर में मुठभेड़ हुई है। भारतीय सेना ने घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया है। पाकिस्तानी बोर्ड एक्शन टीम (BAT) ने भातीय सेना के जवानों पर एलओसी पर हमला कर दिया। इस हमले में पाकिस्तान की सेना भी शामिल थी। जो कि आतंकी संगठनों के साथ मिलकर काम करती है।

जम्मू में बढ़ती आतंकी वारदातें

वर्ष 2008 के बाद एक बार फिर लगातार आतंकी वारदातों से लोग डरे और चिंतित हैं। पिछले 46 दिन से सात आतंकी वारदातों में 11 सैन्य जवान बलिदान हो चुके हैं और 10 आम नागरिकों की मौत हो गई। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, अब इस पर निर्णायक रणनीति का समय आ चुका है। हर बार आतंकी हमला कर गायब हो गए। इन आतंकियों की जंगलों में अब भी मौजूदगी लोगों को परेशान कर रही है। 

सेना के पूर्व कर्नल सुशील पठानिया का कहना है कि बीहड़ और कठिन इलाकों में जल्दबाजी में आतंकवादियों का पीछा करने से हमारे सैनिकों को हाईनि हो रही है। जिन इलाकों में आतंकवादियों के होने की सूचना है। यहां वहां ग्रेनेड, मोर्टार और गनशिप हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करके उन्हें मार गिराया जाना चाहिए। इस रणनीति का इस्तेमाल पहले भी किया जा चुका है और इसके बहुत अच्छे परिणाम मिले हैं। 

पूर्व डीजीपी एसपी वेद कहते हैं कि पहले भी आतंकी वारदातें होती थीं। तब आतंकी फिदायीन के रूप में आते थे। हमला कर सात आठ लोगों को मारा और खुद भी मर गए। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा। वह मारने से पहले भागने का रास्ता तय कारते हैं। ताकि एक हमला करने के बाद फिर से हमला कर सकें। यह आतंकियों की नई रणनीति है। वह अब फिदायीन बनकर नहीं आते। वह अपने लिए ठिकाना बनाते हैं।

 फिर घात लगाकर हमला करते हैं। हमला कर भाग जाते हैं। वह जंगल, पहाड़ और युद्ध में लड़ने का प्रशिक्षण लेकर आए हैं। इन तक पहुंचने के लिए ठोस रणनीति बनानी पड़ेगी। पूर्व कर्नल सुशील पठानिया कहते हैं कि सुरक्षा बलों को आतंकवाद विरोधी अभियान चलाते समय सेक्शन और प्लाटून अभ्यास पर ही टिके रहना चाहिए।

जम्मू संभाग में हाल ही में हुए आतंकवादी हमलों के बाद सेना और पुलिस की ओर से चलाए गए तलाशी अभियानों में अभी तक कोई ठोस सफलता नहीं मिली है।

पहला हमला: 9 जून, रियासी

9 जून को रियासी के शिवखोड़ी में यात्रियों की बस पर हमला हुआ, जिसमें 10 यात्रियों की मृत्यु हो गई और 40 घायल हो गए। इसके बाद सेना और पुलिस ने पिछले 46 दिनों में 25 तलाशी अभियान चलाए, लेकिन एक भी आतंकी का पता नहीं चला।

दूसरा हमला: 11-12 जून, डोडा और भद्रवाह

11 और 12 जून को डोडा और भद्रवाह में पुलिस और सेना के अस्थायी कैंप पर हमले हुए, जिसमें 7 जवान घायल हो गए। हमलों के बाद से आतंकियों की तलाश जारी है, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।

तीसरा हमला: 7 जुलाई, राजौरी

7 जुलाई को राजौरी जिले में सुरक्षा चौकी पर हमले में एक सैन्यकर्मी घायल हो गया। हमले के बाद से आतंकियों का कोई पता नहीं चला।

चौथा हमला: 8 जुलाई, कठुआ

8 जुलाई को कठुआ में आतंकवादी हमले में 5 जवान शहीद हो गए। इनकी तलाश में 3000 जवान लगे हुए हैं, लेकिन अब तक एक भी आतंकी नहीं मारा गया है।

पांचवां हमला: 16 जुलाई, डोडा

16 जुलाई को डोडा के जंगल में सेना पर घात लगाकर हमला हुआ, जिसमें 4 जवान शहीद हो गए। अभी तक आतंकियों का कोई सुराग नहीं मिला है।

छठा हमला: 22 जुलाई, राजोरी

22 जुलाई को राजोरी के गुंदा क्वास में बीडीसी सदस्य के घर पर हमला हुआ, जिसमें बीडीसी सदस्य विजय कुमार और सेना का एक जवान घायल हो गए। तलाशी अभियान जारी है, लेकिन आतंकियों का कोई पता नहीं चला।

सातवां हमला: 7 जुलाई, राजोरी

7 जुलाई को राजोरी के मंजाकोट के गलुति में सेना के कैंप पर आतंकी हमला हुआ, जिसमें एक जवान घायल हो गया। आतंकियों का कोई पता नहीं चल पाया है।

पाकिस्तान की बदली साजिश

केरन, गुरेज और उड़ी सेक्टर में हाल ही में घुसपैठ के प्रयास पाकिस्तान की गहरी साजिश को उजागर करते हैं। पाकिस्तान अत्याधुनिक अमेरिकी और ऑस्ट्रियाई हथियारों से लैस अफगान युद्ध-प्रशिक्षित आतंकवादियों को कश्मीर घाटी में भेजकर हिंसा को बढ़ाना चाहता है। आतंकियों के पास आस्ट्रिया, अमेरिका, चीन और जर्मनी के हथियार हैं। उनके पास नाइट विजन वाले स्नाइपर राइफल भी हैं।

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AGUSTYA ARORA युवा पत्रकार BJMC Tilak School of Journalism and Mass Communication C.C.S. University MEERUT