हाईवे के निर्माण का क्या मकसद… गोल्डन ऑवर स्कीम लागू नहीं होने पर SC ने केंद्र से पूछे सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से गोल्डन ऑवर कैशलेस इलाज स्कीम कब लागू की जाएगी इसको लेकर सवाल पूछा. जिस पर केंद्र की तरफ से कहा गया कि एक हफ्ते के अंदर ही यह स्कीम लागू हो जाएगी. कोर्ट ने योजना लागू होने में देरी होने पर फटकार लगाते हुए कहा, सड़क दुर्घटना में लोग मर रहे हैं. आप बड़े-बड़े हाईवे बना रहे हैं.

Apr 29, 2025 - 05:28
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हाईवे के निर्माण का क्या मकसद… गोल्डन ऑवर स्कीम लागू नहीं होने पर SC ने केंद्र से पूछे सवाल
हाईवे के निर्माण का क्या मकसद… गोल्डन ऑवर स्कीम लागू नहीं होने पर SC ने केंद्र से पूछे सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सड़क दुर्घटना में गोल्डन ऑवर (Golden Hour) कैशलेस इलाज की योजना को लेकर सवाल पूछे. कोर्ट ने कहा कि यह योजना अभी तक लागू क्यों नहीं हुई है. साथ ही जस्टिस ओका ने केंद्र से पूछा, हाईवे के निर्माण का क्या मकसद है, जब सड़क दुर्घटना में इतने लोग मर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से खड़े किए गए सवालों के बाद केंद्र सरकार ने सोमवार (28 अप्रैल) को कोर्ट को बताया कि “गोल्डन ऑवर” के दौरान सड़क दुर्घटना पीड़ितों के कैशलेस इलाज की योजना एक हफ्ते के अंदर लागू की जाएगी.

कोर्ट ने स्कीम लागू न होने को लेकर उठाए सवाल

जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 162(2) के तहत योजना तैयार करने के लिए केंद्र को निर्देश देने वाले अपने पहले के आदेश का अनुपालन न करने से संबंधित मामले की सुनवाई की. जहां कोर्ट ने केंद्र से सवाल पूछे कि यह स्कीम अभी तक लागू क्यों नहीं हुई. न्यायालय ने मामले को अनुपालन के लिए 13 मई, 2025 को सूचीबद्ध किया.

क्या होता है गोल्डन ऑवर?

धारा 162(2) के तहत, केंद्र सरकार को “गोल्डन ऑवर” के दौरान मोटर दुर्घटना पीड़ितों को कैशलेस इलाज की सेवा देनी है. गोल्डन ऑवर उस समय को कहते हैं जब सड़क पर दुर्घटना का शिकार होने के बाद चोट लगने के एक घंटे के पीरियड में ही पीड़ित को अस्पताल पहुंचाया जाए और मौत को टाला जा सके. हालांकि, धारा (162) 1 अप्रैल, 2022 को लागू हुई, लेकिन अभी तक इस धारा के चलते कोई योजना लागू नहीं की गई है. इसी के चलते कोर्ट ने केंद्र से सवाल पूछे जिस पर केंद्र ने कहा कि आने वाले हफ्ते में योजना लागू हो जाएगी.

केंद्र ने स्कीम को लेकर क्या कहा?

सुनवाई के दौरान, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत के सामने पेश हुए, क्योंकि उन्हें अदालत के निर्देशों का पालन करने में विफल रहने के लिए पहले ही तलब किया गया था. जस्टिस ओका ने सचिव से कहा कि आदेश का अनुपालन नहीं करने और विस्तार की मांग के लिए आवेदन भी दाखिल नहीं करने की वजह से वह अदालत की अवमानना ​​कर रहे हैं. बेंच ने सचिव से यह बताने को कहा कि योजना कब लागू की जाएगी.

सचिव ने अदालत को सूचित किया कि एक ड्राफ्ट तैयार किया गया था लेकिन सरकार को जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (जीआईसी) की तरफ से उठाए गए मुद्दों के कारण बाधा का सामना करना पड़ा.

इस को लेकर जस्टिस ओका ने टिप्पणी की कि अगर सचिव न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं कर सकते, तो उन्हें न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए था. उन्होंने देखा कि बड़े हाईवे के निर्माण के बावजूद, गोल्डन ऑवर कैशलेस इलाज देने वाली योजना की कमी के कारण लोग मर रहे हैं, उन्होंने बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित नहीं होने पर हाईवे के निर्माण के मकसद पर सवाल उठाया.

“सड़क दुर्घटना में लोग मर रहे हैं”

सड़क दुर्घटना में लोग मर रहे हैं. आप बड़े-बड़े हाईवे बना रहे हैं, लेकिन कोई सुविधा न होने की वजह से लोग मर रहे हैं. अभी तक गोल्डन ऑवर ट्रीटमेंट की कोई स्कीम नहीं है, तो फिर इतने हाईवे के निर्माण का क्या मकसद है?
केंद्र के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि MoRTH इस योजना को लागू करने की प्रक्रिया के दौरान सामने आई बाकी चुनौतियों का समाधान करने की कोशिश कर रहे थे. इस पर जस्टिस ओका ने कहा कि योजना में बाद में भी सुधार हो सकते थे, लेकिन इसको शुरू हो जाना चाहिए था.

जस्टिस ओका ने कहा, पिछले 2 साल से आप क्या कर रहे हैं. इस योजना का क्या मकसद है, कितने लोग ट्रीटमेंट नहीं मिल पाने की वजह से मर गए हैं.

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