हमारी ऋषि परम्परा के संवाहक महर्षि अत्रि

आयुर्वेद की आत्रेय परम्परा भी अत्रि ऋषि की परम्परा का विस्तार है, जो काया चिकित्सा की परम्परा का प्राचीनतम उद्यम है। महान आयुर्वेदाचार्य चरक भी आत्रेय सम्प्रदाय के ही शिष्य और आचार्य थे।

Jun 20, 2024 - 05:11
Jun 21, 2024 - 17:05
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हमारी ऋषि परम्परा के संवाहक महर्षि अत्रि

हमारी ऋषि परम्परा के संवाहक महर्षि अत्रि

ब्रह्मा के मानसपुत्र माने जाने वाले महर्षि अत्रि वैदिक काल के प्रधान ऋषियों में से एक हैं। उनकी गणना सप्तर्षियों में की जाती है। आकाशस्थ सप्तर्षि तारामण्डल में भी एक नक्षत्र को अत्रि ऋषि के नाम से जाना जाता है।

अत्रि ऋषि ऋग्वेद के पंचम मण्डल के द्रष्टा तो हैं ही, साथ-साथ सामवेद के भी कई सूक्तों में उनका ऋषित्व दृष्टिगोचर होता है। उनकी वंश परम्परा और शिष्य परम्परा को आत्रेय सम्प्रदाय के नाम से जाना जाता है।

आयुर्वेद की आत्रेय परम्परा भी अत्रि ऋषि की परम्परा का विस्तार है, जो काया चिकित्सा की परम्परा का प्राचीनतम उद्यम है। महान आयुर्वेदाचार्य चरक भी आत्रेय सम्प्रदाय के ही शिष्य और आचार्य थे।

अत्रि और उनकी पत्नी अनुसूइया गृहस्थधर्म के जीवन्त प्रतिमान माने जाते हैं। स्वयं त्रिदेवों को इन्होंने धरती पर आने को विवश कर दिया था। पौराणिक कथानकों के अनुसार वनवास के दौरान माता सीता को पतिव्रत धर्म की शिक्षा अत्रिपत्नी अनुसूइया ने ही दी थी।

ऐसी मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय के रूप में स्वयं भगवान विष्णु ने अत्रि ऋषि के पुत्र के रूप में जन्म लिया था। इसके अलावा 10 प्रजापति भी अत्रि ऋषि के ही वंशज थे। आन्ध्रप्रदेश के एक गाँव का नाम ही आत्रेयपुरम हैं, जहाँ अत्रि ऋषि का मन्दिर भी है।

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Abhishek Chauhan भारतीय न्यूज़ का सदस्य हूँ। एक युवा होने के नाते देश व समाज के लिए कुछ कर गुजरने का लक्ष्य लिए पत्रकारिता में उतरा हूं। आशा है की आप सभी मुझे आशीर्वाद प्रदान करेंगे। जिससे मैं देश में समाज के लिए कुछ कर सकूं। सादर प्रणाम।