श्रीहरिकोटा से भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह सीएमएस-03 का सफल प्रक्षेपण

नई दिल्ली। इसरो ने श्रीहरिकोटा से भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह सीएमएस-03 (जीसैट-7आर) का सफल प्रक्षेपण किया। इसे भारतीय प्रक्षेपण यान द्वारा भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में पहुँचाया गया, यह भारी रॉकेट सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित हुआ। मिशन का उद्देश्य नौसेना संचार को बेहतर बनाना और सुदूर क्षेत्रों में डिजिटल कनेक्टिविटी को […] The post श्रीहरिकोटा से भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह सीएमएस-03 का सफल प्रक्षेपण appeared first on VSK Bharat.

Nov 4, 2025 - 07:47
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श्रीहरिकोटा से भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह सीएमएस-03 का सफल प्रक्षेपण

नई दिल्ली। इसरो ने श्रीहरिकोटा से भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह सीएमएस-03 (जीसैट-7आर) का सफल प्रक्षेपण किया। इसे भारतीय प्रक्षेपण यान द्वारा भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में पहुँचाया गया, यह भारी रॉकेट सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित हुआ। मिशन का उद्देश्य नौसेना संचार को बेहतर बनाना और सुदूर क्षेत्रों में डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है। यह भारत के सबसे शक्तिशाली रॉकेट की पाँचवीं परिचालन उड़ान है। यह उपग्रह एक बहु-बैंड सैन्य संचार प्रणाली है।

यह उपग्रह भारतीय भूभाग सहित समुद्री क्षेत्र में विस्‍तृत सेवाएँ प्रदान करेगा। एलवीएम3 रॉकेट भारत का सबसे भारी प्रक्षेपण यान है और 4 हजार किलोग्राम तक का भार अंतरिक्ष में ले जा सकता है। इसने चंद्रयान-3 जैसे चंद्रमा मिशनों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है, जिससे भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला देश बना।

सीएमएस-03 उपग्रह से नौसेना के लिए कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा। यह उच्च क्षमता वाली बैंडविड्थ भी प्रदान करेगा, जिससे दूरस्थ क्षेत्रों तक डिजिटल पहुँच में सुधार होगा।

उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह सीएमएस-03 के सफल प्रक्षेपण पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन – इसरो और भारतीय नौसेना को बधाई दी।

सोशल मीडिया पोस्ट पर उपराष्ट्रपति ने बताया कि कैसे भारत का शक्तिशाली एलवीएम3-एम5 रॉकेट जीसैट-7आर – सीएमएस-03 के सफल प्रक्षेपण के साथ एक बार फिर आसमान में उड़ान भर रहा है। यह अब नौसेना का सबसे भारी और सबसे उन्नत संचार उपग्रह है, जिसे जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित किया गया है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह स्वदेशी रूप से विकसित उपग्रह हिंद महासागर क्षेत्र में अंतरिक्ष-आधारित संचार, संपर्क और समुद्री डोमेन जागरूकता को सुदृढ़ करेगा। इसरो अंतरिक्ष अन्वेषण में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल करना जारी रखे हुए है।

प्रधानमंत्री ने इस बात की सराहना की कि कैसे अंतरिक्ष क्षेत्र उत्कृष्टता और नवाचार का पर्याय बन गया है। उन्होंने कहा कि देश के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों द्वारा प्राप्त इन सफलताओं ने राष्ट्रीय प्रगति को आगे बढ़ाया है और असंख्य लोगों को सशक्त बनाया है।

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