वार्डन पर इस्‍लामियत सवार : आयशा रईस ने हिन्‍दू छात्राओं को मंदिर जाने से रोका, सुंदरकांड पढ़ने पर लिखवाया माफीनामा

भोपाल । देश भर में इस तरह की घटनाएं एक विशेष समुदाय के लोगों द्वारा घटाना जैसे आम बात होता जा रहा है। इन्‍हें अपने मजहब के लिए तो किसी प्रकार की कोई रोक-टोक बर्दाश्‍त नहीं, लेकिन ये दूसरों के धर्म, रिलीजन के लोगों को जरूर उनके अनुसार पूजा-पाठ करने से रोकते हैं। पहले दुर्गापूजा, […]

Nov 12, 2024 - 06:38
Nov 12, 2024 - 08:26
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भोपाल । देश भर में इस तरह की घटनाएं एक विशेष समुदाय के लोगों द्वारा घटाना जैसे आम बात होता जा रहा है। इन्‍हें अपने मजहब के लिए तो किसी प्रकार की कोई रोक-टोक बर्दाश्‍त नहीं, लेकिन ये दूसरों के धर्म, रिलीजन के लोगों को जरूर उनके अनुसार पूजा-पाठ करने से रोकते हैं। पहले दुर्गापूजा, फिर छठपूजा पर आईं खबरों के बाद अभी मध्‍यप्रदेश की राजधानी भोपाल के बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय में घटी घटना से सभी का ध्‍यान अपनी ओर खींचा है। यहां छात्रा हॉस्टल की चीफ वार्डन आयशा रईस ने न सिर्फ हिन्‍दू छात्राओं के द्वारा सुंदरकांड पढ़ने पर उनसे माफीनामा लिखवाया बल्‍कि इसके अलावा विश्‍वविद्यालय परिसर में स्‍थ‍ित मंदिर में भी छात्राओं को जाने पर रोक लगा दी, जिसके बाद यहां हिन्‍दू छात्राओं के बीच आक्रोश फैल गया और अब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस मामले पर अपना आंदोलन शुरू कर दिया है।

दरअसल, इस संबंध में विश्‍वविद्यालय की छात्राओं ने बताया कि चीफ वार्डन उन्‍हें मंदिर नहीं जाने देती है, फिर बहुत आग्रह करने के बाद मंदिर जाने से पहले अनुमति लेने की बात करती हैं जोकि उनकी इच्‍छा पर निर्भर रहता है। हाल ही की एक घटना का उल्‍लेख करते हुए छात्राओं ने सामुहिक तौर पर यह भी जानकारी दी कि वे जब सुंदरकांड पाठ में शामिल होने गईं और उसकी समाप्‍ति पर रात आठ बजे छात्रावास लौटीं तो उन्‍हें वार्डन ने छात्रावास में घुसने से रोक दिया था। छात्राओं से माफीनामा लिखवाया गया, तब कहीं रात को अंदर आने दिया गया । छात्राओं का आरोप है कि वार्डन को सिर्फ मंदिर जाने पर आपत्ति है, वार्डन ने उन्हें चेतावनी दी है कि अगर वे बिना इजाजत के मंदिर गए तो उन्हें हॉस्टल से निकाल दिया जाएगा, उनकी इस तानाशाही का हम विरोध करते हैं।


अब इस मुद्दे को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने सोमवार को अपना विरोध प्रदर्शन किया तथा विश्वविद्यालय के सामने रामधुन शुरू कर दी है। अभाविप की राष्‍ट्रीय मंत्री शामिली वर्मा का कहना है कि अनुशासन के नाम पर हमें जो हिन्‍दू विरोधी बनाया जा रहा है, इसे हम सहन नहीं करेंगे। यह प्रयास हमें हमारी आस्‍थाओं और संस्‍कृति से दूर करने का प्रयास है, इसी के विरोध में आज हम सभी रामधुन कर रहे हैं।

दूसरी ओर वार्डन आयशा रईस ने इस मामले में अपनी सफाई दी है, इनका कहना है कि यह अनुशासन से जुड़ा मामला है। विश्वविद्यालय के नियमों के मुताबिक छात्राओं की वक़्त पर वापसी जरूरी है। उनका कार्य छात्राओं की सुरक्षा एवं अनुशासन का पालन सुनिश्चित करना है। छात्राओं को कैंपस में आयोजित विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति है। यह पहले ही “सुलझा” लिया गया विषय है, वाइस चांसलर ने जांच के लिए एक समिति गठित कर दी है। हालांकि उन्होंने यह माना कि छात्राएं इस मुद्दे को लेकर नाराज़ जरूर हुई हैं ।

उल्‍लेखनीय है कि इससे पहले भी बरकतउल्ला विश्वविद्यालय ऐसे ही मामलों को लेकर विवादों में आ चुका है । नवरात्रि के दौरान दुर्गा उत्सव मनाने को लेकर विश्वविद्यालय की ओर से आदेश जारी किया गया था, जिसमें लिखा था कि फीस जमा होने के बाद ही दुर्गा उत्सव मनाने की इजाजत दी जाएगी। वहीं, यहां पर कुलपति पर छात्र-छात्राओं द्वारा भगत सिंह की जयंती मनाने की अनुमति न देने का भी आरोप लग चुका है, तब भी छात्रों का विरोध प्रदर्शन किया जाना सामने आया था, तब जाकर उन्‍हें भगत सिंह की जयंती मनाने की अनुमति मिली थी।

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