राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि सांस्कृतिक मार्क्सवाद के नाम पर वामपंथी विचारधारा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि सांस्कृतिक मार्क्सवाद के नाम पर वामपंथी विचारधारा

Sep 19, 2023 - 21:25
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि सांस्कृतिक मार्क्सवाद के नाम पर वामपंथी विचारधारा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि सांस्कृतिक मार्क्सवाद के नाम पर वामपंथी विचारधारा के लोगों ने पूरे विश्व में विनाश शुरू किया है और वामपंथियों के इस संकट से विश्व को मुक्त करने का दायित्व भारत पर ही है.

लेखक अभिजीत जोग द्वारा लिखित “जगाला पोखरणारी डावी वाळवी” मराठी पुस्तक का विमोचन डॉ. मोहन जी भागवत के हाथों सिम्बॉयोसिस विश्व भवन सभागार में संपन्न हुआ. दिलीपराज प्रकाशन ने पुस्तक का प्रकाशन किया है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. शांतिश्री पंडित, दिलीपराज प्रकाशन के प्रबंधकीय विश्वस्त राजीव बर्वे, अभिजीत जोग तथा अन्य मान्यवर इस अवसर पर उपस्थित थे. दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई.

डॉ. भागवत जी ने कहा कि सारे विश्व में ही मांगल्य के विरोध में वामपंथी खड़े हैं. इसलिए सांस्कृतिक मार्क्सवाद के नाम पर पूरे विश्व में और विशेषकर पश्चिमी देशों में वामपंथियों ने मांगल्य के विरोध में भूमिका लेते हुए विनाश शुरू किया है. विमर्श के नाम पर समाज में गलत विचार बोने का प्रयास वामपंथियों ने शुरू किया है. इससे समाज का नुकसान ही हो रहा है, तथा मानवी आचरण पशुता की ओर झुक रहा है. वामपंथियों का यह संकट अब भारत पर भी आ रहा है. हमारे समाज में ही नहीं, बल्कि घर-घर तक वह पहुंचा है. इसलिए भारतीय समाज को अधिक सजग रहना आवश्यक है.

सरसंघचालक जी ने कहा कि आज हमें जो संघर्ष दिख रहा है, वह नया नहीं है. देव और असुरों में हुए संघर्ष का ही यह आधुनिक रूप है. वामपंथियों के इस संकट से बचने का सामर्थ्य भारतीय संस्कृति और सनातन मूल्य में ही है. वामपंथियों के विमर्श पर मात करने हेतु सत्य, करूणा, शुचिता और तपस इस चतु:सूत्री का अंगिकार समाज को करना होगा. हमारे सनातन मुद्दे नयी पीढ़ी तक पहुंचाने चाहिए. भारत ने इतिहास काल से लेकर ऐसे संकटों का सामना किया है और इस संकट को पचाने की ताकत भी भारतीय समाज में है. सनातन मूल्य के मार्ग पर चलकर सारा समाज यह काम कर सकता है. इसके लिए ऐसी कई पुस्तकें सभी भाषाओं में प्रकाशित होनी चाहिए. अन्य मार्गों से भी हमारे मूल्य व हमारे विचार घर-घर तक पहुंचाने चाहिए. यह किसी एक संगठन का काम नहीं है, बल्कि सारे समाज का दायित्व है. इससे हम केवल अपने देश ही नहीं, बल्कि विश्व को भी इस संकट से मुक्त कर सकते हैं.

डॉ. शांतिश्री पंडित ने कहा कि वामपंथियों ने अपना विचार आगे बढ़ाने के लिए और उसे प्रस्तावित करने के लिए मजबूत इकोसिस्टम तैयार किया है. वामपंथियों को प्रभावशाली वैचारिक उत्तर देने के लिए हमें भी ऐसा ही मजबूत इकोसिस्टम खड़ा करना होगा. हमारे विचार, हमारे मूल्य विश्व के सामने रखते हुए हमें डरना नहीं चाहिए.

अभिजीत जोग ने कहा, “ईर्ष्या, द्वेष व अराजकता यही वामपंथियों के विचारों का केंद्र है. इससे पूरे विश्व में वह किस तरह विनाश कर रहे हैं, इसी का चित्रण मैंने इस  पुस्तक में किया है”.

राजीव बर्वे ने उपस्थित सबका स्वागत किया. सिम्बॉयोसिस संस्था की ओर से संस्थापक प्रमुख डॉ. शां. ब. मुजुमदार व डॉ. विद्या येरवडेकर ने सरसंघचालक जी को सम्मानित किया. मिलिंद कुलकर्णी ने सूत्र संचालन किया तथा मधुमिता बर्वे ने आभार व्यक्त किया.

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,