कभी फुटपाथ पर बीता बचपन, आज माइक्रोसॉफ्ट के लिए कर रहीं काम
शाहिना 14 साल की थी, तब उनके पिता घर-घर व्यकर चूड़ियां बेचकर घर चलाते थे।
कभी फुटपाथ पर बीता बचपन, आज माइक्रोसॉफ्ट के लिए कर रहीं काम
शाहिना अतरावाला की कहानी, जिन्होंने साबित कर दिया कि अपने हुनर से कैसे भी हालात बदले जा सकते हैं
दिन की शुरुआत नकारात्मक खबरों से ही तो किसे अच्छा लगेगा। अखबार से ऐसी शिकायतें अक्सर पाठकों को रहती है। इसलिए आपके चहेते अखबार ने शुरू की है यह विशेष पेशकश 'जीत ले जहान'। हर सोमवार, यानी सप्ताह की शुरुआत हम दे रहे है ऐसी खबर जो बताएगी कि आपके आसपास बहुत कुछ ऐसा हो रहा है, जो उम्मीदों से भरा है। नाउम्मीदी के अंधेरो को उम्मीदों के उजाले से हराने वाले लोगों की अनसुनी कहानिया। आजमुंबईः बांदा की झोपडपट्टी में दरगशा वाली गली में मकान नंबर फलां फरयं। कभी यह पता होता था शाहिना अतरावाला का। अब वे दुनिया की नामी कंपनियों में शामिल माइक्रोसॉफ्ट के लिए काम करती हैं।
जब शाहिना 14 साल की थी, तब उनके पिता घर-घर व्यकर चूड़ियां बेचकर घर चलाते थे। लेकिन जब पिता को बीमारी ने घेर लिया, तो खोली का किराया देना मुस्किल हो गया और पूरा परिवार फुटपाथ पर अपने परिजन के साथ रहने मजबूर हो गया। शाहिना के घर की आर्थिक स्थिति ऐसी हो गई कि चाह कर भी उनके पिता उन्हें कंप्यूटर कोर्स के लिए पैसे नहीं दे सके। ऐसे में शाहिना ने को एक वक्त का खाना खाना छोड़ दिया।
साथ ही पैदल ही स्कूल जाने लगों, किराया बचे। इस तरह थोड़-थोड़े पैसे जोड़कर साहित्य ने कंप्यूटर की पढ़ाई की। पिता ने पहां-वहां से कुछ पैसे उधार लेकर राशीना को एक सेकंड हैंड कम्प्यूटर भी दिल्ला दिया। इसके साथ ही शाहिना ने मुंबई यूनिवर्सिटी से अच्छे नंबरों से पास होकर स्नातक पूरा कर लिया और फिर NIIT से विजुअल कम्युनिकेशन ऐंड डिजाइन का कोर्स किया। यहीं से शाहिना की किस्मत बदलनी शुरू हुई।
जब माइक्रोसॉफ्ट से मिला ऑफर शाहिना बताती हैं कि उन्होंने वयपन से ही गरीबी और तमाम संपषों को झेला है। इसके बावजूद उन्होंने अपनी क्रिएटिविटी को जिंदा रखा। वह स्कूल टाइम से ही कई तया के प्रॉडक्ट्स के डिलाइन बनाती थी। बाद में डिजाइनिंग का प्रफेशनल कोर्स करने से उनकी क्रिएटिविटी को नई दिशा मिली। इसका फायदा यह हुआ कि उनों मुंबई में कार के एक एक्सपो में भाग लेने का मौका मिला।
साथ ही वेगालुरु में जूमकार की लॉन्चिंग के दौरान उनके बनाए स्कूटी के डिलाइन को वरीयता मिली। स्कूटी का एक मॉडल बेंगलुरु में उनकी पहचान बन चुका है। इसके आयचा उन्होंने शादी डॉट कॉम, बुक माय शो, विनो, इंस्टाक्रेड और स्टाइलनुक जैसी दर्जनभर नामचीन कंपनियों में प्रोडक्ट डिजाइनिंग और रिसर्च की अहम जिम्मेदारी निभाई। लेकिन उन्हें असली सफलता तब मिली, जब 2021 में माइक्रोसॉफ्ट कंपनों से उन्हें ऑफर आया। वह वहां सीनियर रिसर्च पेड प्रॉडक्ट डिजाइनिंग मैनेजर के तौर पर काम कर रही है। चे माइक्रोसॉफ्ट के कई प्रोजेक्ट्स से जुड़ी है। फुटपाथ पर जिंदगी बसर करने से लेकर माइक्रोसॉफ्ट के दफ्तर तक का उनका सफर हजारों लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कार
करीब 30 साल पहले यूपी से रोजी-रोटी कमाने मुंबई आए शाहिना के पिता यूनुस अठरावला बांद्रा की जिस दरगाह कली गली में रहते थे, उसी के सामने ही शाहिना ने एक घर खरीद कर अपने माता-पिता को दिया है। इसका जिक्र वह अक्सर अपने सोशल मीडिया मंच पर करती है। झोपडपट्टी की जिदगी पर आधारित नेटफ्लिक्स की 'बैंड बॉय बिलेनियर्स इंडिया' में साहिना का वह झोपड़ा भी दिखाई देता है, जिसमें वह कभी रहा करती थी।
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