लद्दाख में दुश्मनों को चकमा देकर धूल चटाएंगे 'कृत्रिम पत्थर - भारतीय सेना

भारतीय सेना लद्दाख

Sep 20, 2023 - 18:53
Sep 20, 2023 - 19:38
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लद्दाख में दुश्मनों को चकमा देकर धूल चटाएंगे 'कृत्रिम पत्थर - भारतीय सेना
लद्दाख सेना ,कृत्रिम पत्थर

लद्दाख में दुश्मनों को चकमा देकर धूल चटाएंगे 'कृत्रिम पत्थर

सर्विलांस बोल्डर... एक ऐसा '' जो चीन और पाकिस्तान के षड्यंत्रों को चकमा देकर विफल कर करने का दम रखता है। इन्हें बर्फीले रेगिस्तान लदाख में अग्रिम क्षेत्रों में लगाया गया है। ये बोल्डर अत्याधुनिक तकनीक से युक्त हैं और आठ किलोमीटर दूर अपने कंट्रोल रूम में दुश्मन की प्रत्येक गतिविधि को लाइव दिखाते हैं। इन कृत्रिम पत्थरों के अंदर स्नाइपर राइफल के साथ पर घात लगा सकता है भारतीय सेना ने इन्हें खुद तैयार किया है और लाख में इनका इस्तेमाल इस वर्ष की शुरुआत से हो रहा है। लद्गाख के पहाड़ों पर वनस्पति नहीं है और न ही झाड़ियां। इस बर्फीले रेगिस्तान में मानव गतिविधियों को दूर से ही देखा जा सकता है। यही नियम सैन्य गतिविधियों पर लागू होता है। दुश्मन देश अपने क्षेत्र में रहकर ही दूरदर्शी यंत्रों से हमारी गतिविधियों को देख सकता है। भारतीय सेना की चौकियों पर तैनात जवान दुश्मनों की इन हरकतों पर नजर रखते हैं। इसके बावजूद चुनौतियां कम नहीं हैं। इन्हीं से निपटने के लिए भारतीय सेना ने बड़े-बड़े कृत्रिम (त्रिशंकु वगोल) पत्थर बनाए हैं। इन्हें सर्विलांस बोल्डर नाम दिया गया है। लद्माख में चट्टानों और दूर तक बिखरे पत्थरों के बीच ये बोल्डर दुश्मनों के ड्रोन, सैटेलाइट या थर्मल इमेजर को भी चकमा देने में सक्षम हैं। इन्हें खोजा नहीं जा सकता। यहां तक कि पशु-पक्षी भी इन्हें नहीं पहचान सकते। सर्विलांस बोल्डर तैयार करने वाली सेना की ॥2 जैकलाई के सैन्यकर्मी सुखवीर सिंह का कहना है कि हम ऐसे बोल्डर लह्बाख में इस्तेमाल कर रहे हैं। यह लद्बाख के पत्थरों से मेल खाता है। इसलिए इन्हें आसानी से खोजा नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि सेना की उत्तरी कमान इस समय यू सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए नवाचार को सुखवीर सिंह का कहना है कि हम ऐसे बोल्डर लह्बाख में इस्तेमाल कर रहे हैं। यह लद्बाख के पत्थरों से मेल खाता है। इसलिए इन्हें आसानी से खोजा नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि सेना की उत्तरी कमान इस समय यू सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए नवाचार को आठ किलोमीटर रद कंट्रोल पैनल से देख सकते हैं सैनिक ये सर्विलांस बोल्डर आधुनिक यंत्रों व दुर्गम हालात में ड्यूटी देने वाले सैनिकों कीसूझ-बूझ का मिला हुआ रूप है | इसमें हाई डेफिनेशन कैमरे लगे हैं। थर्मल इमेजर भी है। सेंसर भी लगे हैं, जिससे दिन-रात मिलने वाली लाइव फीड को भारतीय सैनिक

आठ किमी दूर बैठकर कंट्रोल पैनल से

देख सकते हैं। सर्विलांस बोल्डर बैटरी से संचालित हैं । इसकी बैटरी एक बार चार्ज होने पर 5 घंटे काम कर सकती है।इस पर वायरलेस एंटीना है, जिसकी रेंज आठ किमी है | लद्बाख के अत्याधिक ठंडे माहौलमें भी यह क्रियाशील रहने में सक्षम हैं। सर्दीमें यह अंदर से गर्म रहता है।

20 किलो से कम वजन, सिर्फ

20 हजार रुपये में तैयार सैन्यकर्मी सुखवीर सिंह ने बताया कि सर्विलांस बोल्डर को चीनी और फेविकोल के साथ गत्ते को मिलाकर इसके लेप से तैयार किया गया है । इसके आधार और ऊपरी भाग को सहारा देने के लिए पाइप

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,