प्रियंका गांधी से हुए डैमेज को कंट्रोल करने में जुटे हैं तेजस्वी! 2020 में एक फैसले ने बदल दिया था चुनावी हवा का रुख

पहले हरियाणा, फिर महाराष्ट्र और उसके बाद दिल्ली जीतकर बीजेपी ने अपना दम दिखा दिया है. अब बारी बिहार विधानसभा चुनाव की है. ऐसे में तेजस्वी यादव पिछली ग़लतियों से सबक लेते हुए इस बार धार्मिक ध्रुवीकरण रोकने में जुटे हैं.

Mar 22, 2025 - 19:32
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प्रियंका गांधी से हुए डैमेज को कंट्रोल करने में जुटे हैं तेजस्वी! 2020 में एक फैसले ने बदल दिया था चुनावी हवा का रुख

प्रियंका गांधी ने जो गड्ढा किया था, तेजस्वी यादव अब उसे भरने में जुटे हैं. बात हैरान करने वाली है, पर है सोलह आने सच. कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी की ज़िद के कारण पिछली बार बिहार में महागठबंधन की सरकार नहीं बन पाई थी. किया कांग्रेस ने और भरना पड़ा तेजस्वी यादव को. प्रियंका गांधी के कहने पर पिछले विधानसभा चुनाव में एक टिकट बदलना पड़ा. यही दांव उल्टा पड़ गया. चुनाव जिन्ना समर्थक बनाम जिन्ना विरोधी हो गया. बीजेपी की लॉटरी निकल गई, तो कांग्रेस और आरजेडी का मिथिलांचल में सफाया हो गया.

बड़ी पुरानी कहावत है. दूध का जला छांछ भी फूंक-फूंककर पीता है, तो तेजस्वी यादव ने भी इसी कहावत की डोर पकड़ ली है. इस बार वो कोई गलती करने के मूड में नहीं हैं. वैसे भी गलती उनकी तरफ से नहीं, कांग्रेस से हुई थी.

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पिछले विधानसभा चुनाव में जो कमियां रह गईं, तेजस्वी यादव अब उसे सुधारने में जुटे हैं. वे दरभंगा के दौरे पर थे. जहां पहले वे अहिल्या देवी के मंदिर गए. पूजा पाठ किया. फिर शाम होते ही रोजा इफ़्तार पार्टी में पहुंच गए. संदेश बस इतना कि चुनाव हिंदू बनाम मुसलमान न हो पाए.
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2020 में कांग्रेस ने जाले से ऋषि मिश्रा की जगह मशकूर उस्मानी को उम्मीदवार बनाया

बिहार के दरभंगा जिले में जाले नाम से एक विधानसभा सीट है. साल 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां से ऋषि मिश्रा को टिकट देने का मन बनाया था, लेकिन प्रियंका गांधी के कहने पर टिकट मशकूर उस्मानी को मिल गया. पता चला कि संदीप सिंह के कहने पर ऐसा हुआ था. संदीप उन दिनों प्रियंका के निजी सचिव थे. उस्मानी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष रह चुके थे. संदीप सिंह से उनकी दोस्ती थी. रणदीप सूरजेवाला तब बिहार में कांग्रेस के प्रभारी थे. वे चाहते थे ललित नारायण मिश्र के पोते ऋषि को ही टिकट मिले, पर मिला उस्मानी को.

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(मशकूर उस्मानी, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जाले से कांग्रेस के उम्मीदवार)

मशकूर पर एएमयू के छात्रसंघ अध्यक्ष रहते हुए जिन्ना की तस्वीर कमरे में लगाने का आरोप

मशकूर अहमद उस्मानी पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के छात्रसंघ अध्यक्ष रहते हुए जिन्ना की तस्वीर को कमरे के अंदर लगाने का आरोप लगा था. उस समय जिन्ना का महिमामंडन करने को लेकर काफी बवाल भी हुआ था. वे 2017 में एएमयू छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे. उस्मानी के चुनावी मैदान में उतरते ही चुनाव हिंदू बनाम मुसलमान का हो गया. दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया से लेकर सुपौल जिले तक महागठबंधन के उम्मीदवारों की बैंड बज गई. आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल बारी सिद्दीकी तक अपनी सीट नहीं बचा पाए. मिथिलांचल की 30 सीटों में से आरजेडी बस 5 सीटें ही जीत पाई, जबकि इस इलाके में कांग्रेस का तो खाता तक नहीं खुला. मिथिलांचल एक तरह से कांग्रेस और आरजेडी का गढ़ माना जाता था.

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अभी से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण रोकने में जुटे तेजस्वी

पिछली ग़लतियों से सबक लेते हुए तेजस्वी यादव इस बार सांप्रदायिक ध्रुवीकरण रोकने में जुटे हैं. वैसे तो बिहार में चुनाव धर्म नहीं, बल्कि जातियों के गुना गणित से तय होते हैं, लेकिन पिछला विधानसभा चुनाव अपवाद रहा था. इसीलिए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का इस बार पूरा फोकस मिथिलांचल पर है. अहिल्या देवी मंदिर जाकर उन्होंने सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेला है. भगवान राम ने अहिल्या का उद्धार किया था. अब तेजस्वी आरजेडी के उद्धार की जुगत में हैं. पिछली बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल में उनका खेल बिगाड़ दिया था. इसीलिए रोजा इफ़्तार पार्टी जाकर मुस्लिम वोटरों को सहेज रहे हैं.

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तेजस्वी के इस बार मिथिलांचल के फुलपरास से चुनाव लड़ने की खबर

पहले हरियाणा, फिर महाराष्ट्र और उसके बाद दिल्ली जीतकर बीजेपी ने अपना दम दिखा दिया है. अब बारी बिहार विधानसभा चुनाव की है. बीजेपी अपने सामाजिक समीकरण के साथ-साथ हिंदुत्व की रथ पर सवार है. अगर चुनाव सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की तरफ मुड़ा तो नुक़सान आरजेडी का है. इसीलिए तेजस्वी इस बार मिथिलांचल में फुलपरास विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने पर भी विचार कर रहे हैं. इसी बहाने वे अति पिछड़ी जातियों को आरजेडी से जोड़ने की कोशिश में हैं. तेजस्वी इस बार नए सामाजिक समीकरण के साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं.

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,