‘शक्ति और सुशासन एक-दूसरे के पूरक’

सागर मंथन में ‘सुशासन की शक्ति’ सत्र में जामनगर (उत्तर) से भाजपा की युवा विधायक रिवाबा जडेजा से पाञ्चजन्य की सलाहकार संपादक तृप्ति श्रीवास्तव ने बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश-   सुशासन में शक्ति के महत्व को आप कैसे देखती हैं? आप बिना शक्ति के विकास या सुशासन को नहीं समझ सकते। […]

Dec 31, 2024 - 16:00
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‘शक्ति और सुशासन एक-दूसरे के पूरक’

सागर मंथन में ‘सुशासन की शक्ति’ सत्र में जामनगर (उत्तर) से भाजपा की युवा विधायक रिवाबा जडेजा से पाञ्चजन्य की सलाहकार संपादक तृप्ति श्रीवास्तव ने बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश-

 

सुशासन में शक्ति के महत्व को आप कैसे देखती हैं?
आप बिना शक्ति के विकास या सुशासन को नहीं समझ सकते। शक्ति को धर्म के साथ जोड़कर देखने की आवश्यकता है। हम जिन देवी-देवताओं की उपासना करते हैं, वे स्वयं को शक्ति के साथ जोड़कर देखते हैं। जैसे गौरी-शंकर, राधा-कृष्ण, लक्ष्मी-नारायण। सुशासन के छह स्तंभ हैं- न्याय, समानता, प्राकृतिक संतुलन, समृद्धि, शांति-सौहार्द और सामाजिक कल्याण। जी-20 बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत ही मुखर होकर कहा था कि हम महिला नेतृत्व के साथ विकास की बात करेंगे। महिलाओं और बहनों के विकास के बिना विकसित भारत का सपना पूरा नहीं हो सकता। हम तो उस देश में रहते हैं, जहां शिवाजी महाराज या महाराणा प्रताप की पहली गुरु उनकी माता थीं। यानी शक्ति और सुशासन दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

आप महिलाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। इसकी वजह क्या है?
2018 में मैं प्रधानमंत्री जी से मिली। उन्होंने कहा कि राजनीति में अच्छे लोगों की जरूरत है। उसके बाद मैं 2019 में भाजपा में आ गई। इससे पहले मैं जो करती थी, वह अपने ट्रस्ट के जरिए करती थी। अंत्योदय के विचार को लेकर मैं जामनगर जिले के करीब 200 गांवों में गई, वहां महिलाओं और बहनों से मुलाकात की। उन्हें स्वास्थ्य, अर्थ, राजनीति को लेकर जागरूक किया। मैंने यथासंभव अपने ट्रस्ट के माध्यम से उनकी मदद की। शायद यही कारण है कि महिलाएं मेरा सम्मान करती हैं।

अपनी अलग पहचान बनाने में आपको किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा?
मुझे इस बात का गर्व है कि मुझे मेरे पति के जरिए पहचान मिली। मैं इस पहचान को बचाए रखना चाहती हूं, क्योंकि बड़ी शक्तियां बड़ी जिम्मेदारी के साथ आती हैं। बाद में मैंने उन्हें भी भाजपा की सदस्यता दिलवाई। ऐसा इसलिए किया कि कोई हमसे यह न पूछे कि आपके घर के कितने लोग भाजपा से जुड़े हैं?

रिवाबा जडेजा और क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की जीवनशैली में अंतर है। जब आप कभी अन्य क्रिकेट खिलाड़ियों की पत्नियों के साथ बैठती हैं, तो क्या आपको कुछ दिक्कत होती है?
बिल्कुल नहीं! मैंने कभी असहज महसूस नहीं किया। इसके उलट मैं यह मानती हूं कि मेरे पार्टी नेतृत्व ने मुझे यह अवसर दिया है कि सरकार के माध्यम से जितने भी कार्य हो रहे हैं, उसकी एक आवाज मैं भी हूं। जमीन पर क्या हो रहा है, उसको लेकर मैं बात कर सकती हूं। अगर आपको असली भारत की तस्वीर देखनी है तो आपको लोगों के बीच में बैठकर खाना होगा, उनके सवालों को समझना होगा। गली-गली, नुक्कड़ नुक्कड़ जाकर आपको सारी चीजों को समझना होगा। इसलिए मैं कभी भी और कहीं भी असहज महसूस नहीं करती।

आप अवध ओझा को अपना शैक्षणिक गुरु मानती हैं। राजनीति में आप उनसे पहले आई हैं, विधायक भी हैं। ऐसे में आप उनके लिए क्या कहना चाहेंगी?
मैं उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूं, क्योंकि गुरु चाहे किसी भी क्षेत्र में हों, वे आपके गुरु ही हैं। उनका मैं बहुत सम्मान करती हूं। इसलिए उन पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगी, लेकिन उनकी एक बात की चर्चा अवश्य करना चाहती हूं। वे अक्सर मजाक में कहते थे, ‘‘भले ही यूपीएससी करके कलेक्टर बनें या न बनें, लेकिन अच्छा ज्ञान अर्जित करके आप एक अच्छे राजनीतिज्ञ तो बन ही जाएंगे।’’

जब आप क्षेत्र में वोट मांगने के लिए निकलती हैं, तो किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? 
जब विधानसभा चुनाव के लिए मेरा नाम तय किया गया तो लोगों के दिमाग में एक ही बात थी कि ये तो एक किक्रेटर की पत्नी हैं, 10 माह तो बाहर ही रहती हैं। इस धारणा को तोड़ने के लिए मैंने जितना हो सका, जमीनी स्तर पर लोगों से संपर्क किया।   मैंने लोगों को यह विश्वास दिलाया कि जितना संभव हो सकता है, उतना मैं आप लोगों के बीच में रहूंगी, आपसे जुड़ी रहूंगी। अच्छी बात यह रही कि लोगों ने मुझ पर भरोसा किया।

आपके पास राजनीतिक और पारिवारिक दोनों दायित्व हैं। इनको कैसे निभाती हैं?
मेरे पति का जो व्यक्तित्व है, उसमें आपसी समझदारी बहुत ज्यादा है। खेल का जो दबाव होता है, उसे वे घर के अंदर नहीं लाते। यद्यपि उन्हें कुछ चर्चा करनी होती है तो उनका सबसे पहला सवाल यही होता है कि तुम्हारा दिन कैसा बीता? हमारी जब भी बात होती है तो वे अभिभावक की भूमिका में होते हैं।

राजनीतिक कार्य के लिए आपको अपने पति का कितना समर्थन मिलता है और इस कार्य में क्या चुनौतियां रहती हैं?
जब आप 100 प्रतिशत मन बना लें, तभी आपको राजनीति में आना चाहिए, अन्यथा यह क्षेत्र आपके लिए नहीं है। यह मान के चलिए कि आपको 24 घंटे और सप्ताह के सातों दिन लोगों के लिए उपलब्ध रहना होगा।

राजनीति में महिलाओं को किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? 
आपको अपने पर भरोसा होना बहुत जरूरी है। आपका दृढ़निश्चयी होना आवश्यक है। आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। और नैतिकता को साथ लेकर आगे बढ़ना पड़ेगा।

 कोई एक ऐसा बदलाव, जो आप एक नेता तौर पर करना चाहती हैं?
2047 में जब हम आजादी के 100 साल पूरे करें तो विकसित भारत हो। इसी उद्देश्य के साथ मैं अपनी पार्टी के साथ काम कर रही हूं।

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