पहलगाम हमले से तिनके की तरह बिखरी जम्मू-कश्मीर की उम्मीद, ठंडे बस्ते में गया राज्य का दर्जा

अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा फिर से मिलने की उम्मीदें पहलगाम हमले के बाद ठंडी पड़ गई हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी फिलहाल इसकी मांग को अनुचित बताया है, क्योंकि सुरक्षा हालात अभी भी चिंताजनक बने हुए हैं। केंद्र सरकार की ओर से यह दर्जा वापस करने का भरोसा तो दिया गया है,लेकिन उचित समय पर।

Apr 29, 2025 - 11:43
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पहलगाम हमले से तिनके की तरह बिखरी जम्मू-कश्मीर की उम्मीद, ठंडे बस्ते में गया राज्य का दर्जा
नई दिल्ली: 2019 में जब केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर के अनुच्छेद 370 (आर्टिकल 370) खत्म किया और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों (UT) में तब्दील किया, तभी से यह कयास लग रहे हैं कि आखिर इसके प्रदेश का दर्जा फिर से कब बहाल होगा। लेकिन, पहलगाम हमले के बाद सोमवार को विधानसभा के एक दिन के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जो कुछ कहा, उससे साफ हो गया है कि यह मुद्दा अब पूरी तरह से ठंडे बस्ते में जा चुका है। क्योंकि, 2019 के बाद जिस तरह से आतंकियों ने UT में कत्लेआम मचाया है, जब प्रदेश में चुनाव करवाने को जल्दाबाजी कही जा रही है तो इसे पूर्ण राज्य का दर्जा मिल पाना अभी कहां मुमकिन है।

राज्य के दर्जे की उम्मीद हुई और दूर

सोमवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला में मारे गए 25 पर्यटकों और एक स्थानीय को श्रद्धांजलि देते हुए कई बार भावुक दिखाई पड़े। इसी दौरान उन्होंने कहा कि अभी राज्य का दर्जा मांगना मुझ पर लानत होगी। उन्होंने पर्यटकों को लेकर कहा कि 'मैंने उन्हें आमंत्रित किया था, लेकिन मैं मेजबान की अपनी ड्यूटी निभाने में नाकाम हो गया।' अब्दुल्ला कह रहे हैं कि क्या 26 लोगों की जान के मोल पर मुझे केंद्र से राज्य का दर्जा देने की मांग करनी चाहिए? दरअसल, उमर को अहसास हो चुका है कि यह मांग फिलहाल मुमकिन भी नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट भी दे चुका है निर्देश

11 दिसंबर,2023 को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आर्टिकल 370 हटाने के केंद्र के कदम पर मुहर लगाने वाला ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने इसके साथ ही केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को जल्द राज्य का दर्ज वापस लौटाने का भी निर्देश दिया था। अपने इसी आदेश में सर्वोच्च अदालत ने चुनाव आयोग और केंद्र को 30 सितंबर, 2024 तक UT में विधानसभा चुनाव करवाने का भी आदेश दिया था, जिसपर तामील भी की गई। लेकिन, राज्य का दर्जा मिलना संभव न हो सका।

प्रधानमंत्री के स्तर पर दिया गया है भरोसा

इसके बाद कम से कम दो बार खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू-कश्मीर जाकर वहां के लोगों को राज्य का दर्जा बहाली का भरोसा दे चुके हैं। पहले उन्होंने 21 जून,2024 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर श्रीनगर में 'जल्द' इसे राज्य बनाने का भरोसा दिया। फिर उसी साल 19 सितंबर को कटड़ा के एक चुनाव रैली में भी उन्होंने कहा, 'जम्मू और कश्मीर में राज्य की बहाली होगी। यह प्रतिबद्धता हमने संसद में जताई है। '

अब कब आएगा 'उचित' समय?

अब हम हमले के ठीक 15 दिन पहले चलते हैं। यह हमला 22 अप्रैल को हुआ और 7 अप्रैल को जम्मू में बीजेपी विधायकों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद से जुड़े हालात नियंत्रण में लाए जाएंगे। इस दौरान उन्होंने भी जम्मू-कश्मीर में राज्य की वापसी की बात कही लेकिन, साथ ही यह भी कहा कि यह 'उचित समय' पर होगा। इससे पहले 28 मार्च को भी एक सम्मेलन में उनसे इसको लेकर सवाल पूछे गए थे। तब उन्होंने कहा था, 'हमने ये पक्का वादा किया है कि राज्य का दर्जा वापस मिलेगा। शुरू से ही हम कहते आए हैं कि राज्य का दर्जा दिया जाएगा। लेकिन, ये कब दिया जाएगा, ये हम खुले मंच पर नहीं बता सकते।' जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाली के लिए 'उचित समय' का इंतजार केंद्र सरकार तभी से कर रही है, जब इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। शाह ने संसद में भी 'उचित' समय की ही बात कही थी।

ठंडे बस्ते में गया राज्य का दर्जा

जम्मू-कश्मीर में पिछले साल पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव जितनी सफलतापूर्वक संपन्न करवाए गए, उससे सरकार के भी हौसले बुलंद थे। मार्च में उसी सम्मेलन में अमित शाह ने कहा था, 'कश्मीर में 40 साल बाद ऐसा हुआ है कि कहीं पर भी दोबारा वोटिंग नहीं करानी पड़ी। मतलब, सब कुछ शांति से हो गया। एक भी आंसू गैस का गोला नहीं छोड़ा गया और न ही कोई गोली चली। यह बहुत बड़ी बात है।' लेकिन, पहलगाम हमले ने हालात पूरी तरह से बदल दिए हैं। हमले के बाद सेना के रिटायर्ड अधिकारी तक चुनाव के लिए दबाव बनाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक पर सवाल उठा चुके हैं। ऐसे में मौजूदा माहौल में राज्य की बहाली का मामला पूरी तरह से लटकता लग रहा है और अब इसमें कितना वक्त लगेगा, अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।

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