पश्चिम बंगाल में ओबीसी की पहचान को नया सर्वे, हाईकोर्ट के झटके के बाद ममता बनर्जी ने SC से ली अनुमति, जानें

West Bengal OBC Survey: पश्चिम बंगाल में अगले विधानसभा चुनावों से पहले ममता बनर्जी ने राज्य में नया ओबीसी सर्वे कराने का फैसला किया है। पिछले साल कोलकाता हाईकोर्ट ने पिछले 13 सालों में जारी किए ओबीसी सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया था। ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार चुनावों से पहले इस बड़े को ठीक करना चाहती है।

Mar 19, 2025 - 06:42
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पश्चिम बंगाल में ओबीसी की पहचान को नया सर्वे, हाईकोर्ट के झटके के बाद ममता बनर्जी ने SC से ली अनुमति, जानें
कोलकाता/नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में 13 सालों में जारी किए ओबीसी प्रमाणपत्रों के मुद्दे पर घिरी ममता बनर्जी सरकार अब नए सिर सर्वे करेगी। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि पश्चिम बंगाल में नया ओबीसी सर्वेक्षण होगा। यह काम तीन महीने में पूरा कर लिया जाएगा। पिछले साल मई, 2024 में कोलकाता हाईकोर्ट ने पिछले 13 सालों में जारी किए ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द कर दिया था। तब ममता सरकार को बड़ा झटका लगा था। अब ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस की सरकार इस मुद्दे का हल करने में जुटी, ताकि उसे चुनावों में इस मुद्दे पर नुकसान नहीं उठाना पड़े। सुप्रीम कोर्ट में क्या बोली सरकार? जस्टिस बी आर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच के सामने राज्य सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह काम तीन महीने में पूरा हो जाएगा। उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट के 2010 से जारी OBC प्रमाणपत्र रद्द करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित करने की मांग की। कोर्ट ने राज्य की मांग मान ली और कहा कि इस प्रक्रिया से किसी भी पक्ष के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे। राज्य सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट के 22 मई 2024 के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें पश्चिम बंगाल में कई जातियों को OBC का दर्जा रद्द कर दिया गया था। तब हाई कोर्ट ने कहा था कि धर्म ही इन समुदायों को ओबीसी घोषित करने का एकमात्र मापदंड प्रतीत होता है। 77 जातियों को बनाया था ओबीसी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार ने 77 जातियों को OBC सूची में शामिल करने के अपने फैसले का समर्थन किया। सरकार ने कहा कि ये बदलाव आवश्यक तीन-स्तरीय प्रक्रिया के बाद किए गए थे। इसमें दो सर्वेक्षण और पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा सुनवाई शामिल थी।हालांकि सरकार ने यह भी बताया कि कुछ मुस्लिम समुदायों के मामले में यह पूरी प्रक्रिया 24 घंटे से भी कम समय में पूरी कर ली गई थी। अब इस मामले में आगे क्या होगा, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं. पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि वह सभी नियमों का पालन कर रही है और किसी भी समुदाय के साथ अन्याय नहीं करना चाहती। दसरी तरफ याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार ने नियमों का उल्लंघन किया है और धर्म के आधार पर आरक्षण दिया है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,