पर्यावरण संरक्षण के लिए सांस्कृतिक चेतना को पुनः जागृत करने की आवश्यकता – राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया

पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया विद्या भारती उत्तर क्षेत्र और क्षेत्रीय औषधीय पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान में आयोजित पर्यावरण कार्यशाला के समापन समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के महामंत्री देश राज […] The post पर्यावरण संरक्षण के लिए सांस्कृतिक चेतना को पुनः जागृत करने की आवश्यकता – राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया appeared first on VSK Bharat.

Jun 13, 2025 - 10:02
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पर्यावरण संरक्षण के लिए सांस्कृतिक चेतना को पुनः जागृत करने की आवश्यकता – राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया

पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया विद्या भारती उत्तर क्षेत्र और क्षेत्रीय औषधीय पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान में आयोजित पर्यावरण कार्यशाला के समापन समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के महामंत्री देश राज शर्मा, उत्तर क्षेत्र के सह संगठन मंत्री बाल किशन, उत्तर क्षेत्र के उपाध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार अत्री एवं उत्तर क्षेत्र के पर्यावरण विषय के संयोजक ओम प्रकाश उपस्थित रहे।

समारोह में राज्यपाल ने इस आयोजन को स्वच्छ, सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य की दिशा में एक गंभीर और दूरदर्शी प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला महज एक औपचारिक आयोजन नहीं है, बल्कि प्रकृति के संरक्षण के प्रति सामूहिक संकल्प का प्रतीक है।

राज्यपाल ने 1952 से शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए विद्या भारती की सराहना की और कहा कि यह संस्था न केवल शैक्षणिक ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि छात्रों को जीवन के अन्य पहलुओं से भी जोड़ती है। विद्या भारती शिक्षा को किताबों तक सीमित नहीं रखती, बल्कि चरित्र निर्माण, राष्ट्रीय भावना और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे मूल्यों का भी विकास करती है। भारत में पर्यावरण संरक्षण की परंपरा शुरू से ही रही है। हमारे पूर्वज वृक्षों, नदियों और प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करते थे। हमें आज की पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए उस सांस्कृतिक चेतना को पुन: विकसित करने की आवश्यकता है।

कार्यशाला में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से प्राचार्य, वरिष्ठ व्याख्याता और प्रबंधन समिति के सदस्य शामिल हुए। कार्यशाला में औषधीय पौधों को बढ़ावा देने, पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करने और पर्यावरण शिक्षा के माध्यम से जन जागरूकता बढ़ाने पर चर्चा की गई।

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