दो विकलांग बच्चों के माता-पिता भी गोद ले सकते हैं तीसरा बच्चा... बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा, अगर दो विकलांग बच्चों के माता-पिता एक और सामान्य बच्चा गोद लेना चाहते हैं तो कुछ गलत नहीं है। अदालत ने अधिकारियों को दंपति की याचिका पर फिर से विचार करने का आदेश दिया है। अदालत ने केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) के फैसले को रद्द कर दिया।

Apr 14, 2025 - 04:50
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दो विकलांग बच्चों के माता-पिता भी गोद ले सकते हैं तीसरा बच्चा... बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। ने कहा कि अगर दो विकलांग बच्चों के माता-पिता एक और, यानी तीसरा सामान्य बच्चा गोद लेना चाहते हैं, तो इसमें कोई गलत बात नहीं है। कोर्ट ने अधिकारियों को मुंबई के एक दंपती की अर्जी पर फिर से विचार करने का आदेश दिया है। इसके लिए उन्हें छह हफ्ते का समय दिया गया है। दरअसल, सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) ने 2023 में एक फैसला लिया था। इस फैसले में कहा गया था कि अगर किसी दंपती के पहले से ही दो बच्चे हैं, तो वे तीसरा बच्चा गोद नहीं ले सकते। हाई कोर्ट ने CARA के इस फैसले को रद्द कर दिया है। का कहना है कि उनके दोनों बच्चे, जिनका जन्म 2014 और 2019 में हुआ था, विकलांग हैं। वे 'पर्सन्स विद डिसेबिलिटीज एक्ट' के तहत आते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे में दंपती तीसरा सामान्य बच्चा गोद ले सकते हैं। जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस अद्वैत सेठना ने 7 अप्रैल को एक आदेश में कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है अगर वे एक नई उम्मीद और आशा के साथ अपने परिवार में एक और सदस्य को शामिल करना चाहते हैं। ऐसा करके वे आपसी संतुष्टि प्राप्त कर सकते हैं और जीवन को और अधिक सार्थक बना सकते हैं। गोद लेने के नियमों में कुछ खास मामलों में छूट देने का प्रावधानहाई कोर्ट ने यह भी कहा कि 2022 में बने गोद लेने के नियमों में कुछ खास मामलों में छूट देने का प्रावधान है। दंपती का मामला भी कुछ ऐसा ही है। इसलिए नियमों को समग्र रूप से लागू किया जाना चाहिए था। कोर्ट ने आगे कहा कि किसी भी कानून का यह मतलब नहीं हो सकता कि दो विकलांग बच्चों वाले दंपती को सामान्य बच्चा गोद लेने से रोका जाए। कोर्ट ने कहा कि मानव जीवन आकांक्षाओं, उम्मीदों और चुनौतियों का एक मिश्रण है। बच्चों के साथ गहरे संबंध जीवन को सार्थक बनाते हैं और संतुष्टि देते हैं। बच्चा गोद लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करायाबता दें कि दंपती ने 10 सितंबर, 2022 को CARA पोर्टल पर बच्चा गोद लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। उस समय 2017 के गोद लेने के नियम लागू थे। उनकी अर्जी पर विचार चल ही रहा था कि 22 सितंबर, 2022 को नए नियम आ गए। इन नियमों के अनुसार, जिन दंपतियों के पहले से ही दो बच्चे हैं, उन्हें केवल 'विशेष जरूरतों' वाले या 'मुश्किल से रखे जाने वाले' बच्चे ही मिल सकते हैं। नियमों के मुताबिक, 'मुश्किल से रखा जाने वाला' बच्चा वह होता है जो पांच साल से कम उम्र का हो और रेफरल के 60 दिनों के भीतर गोद न लिया गया हो।दंपती ने लगाए ये आरोपदंपती का कहना था कि उनकी अर्जी को मनमाने ढंग से खारिज कर दिया गया। 2017 के नियम के अनुसार, अधिकारियों को आवेदकों द्वारा जरूरी दस्तावेज अपलोड करने के 30 दिनों के भीतर एक होम स्टडी रिपोर्ट पूरी करनी थी। यह काम 10 सितंबर को ही पूरा हो गया था। लेकिन केंद्रीय और राज्य गोद लेने वाले अधिकारियों ने उन पर 2022 के नियम लागू कर दिए। मार्च 2023 में, केंद्रीय प्राधिकरण ने कहा कि 2022 के नियम दो बच्चों वाले दंपती को सामान्य बच्चा गोद लेने से रोकते हैं। लेकिन ऐसे दंपती 'तत्काल प्लेसमेंट या विशेष जरूरतों वाले पोर्टल' पर उपलब्ध बच्चों के लिए पात्र हैं।दंपती ने मांगी थी छूटसितंबर 2024 में, दंपती ने CARA से छूट मांगी। कोई जवाब न मिलने और उनकी अर्जी पहले ही खारिज हो जाने के बाद, उन्होंने 2025 में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्रीय प्राधिकरण के फैसले को रद्द करने की मांग की। हाई कोर्ट ने कहा कि अस्वीकृति तर्कपूर्ण नहीं थी और फैसला सुनाया कि याचिका विशेष विचार की हकदार है।

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