तुर्की में कुचला जाएगा विद्रोह या एर्दोगान का होगा तख्तापलट, इन फैक्ट्स से समझिए

इस्तांबुल के मेयर और विपक्षी नेता इकराम इमामोअलु की गिरफ्तारी के बाद तुर्की में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. एर्दोगान सरकार इस पर कड़ा रुख अपना रही है, सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा रही है और सार्वजनिक समागमों पर रोक लगा रही है. यह घटना एर्दोगान सरकार के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शनों में से एक है, जिसमें गेजी पार्क प्रदर्शन और 2016 का सैन्य तख्तापलट का प्रयास शामिल हैं.

Mar 21, 2025 - 07:08
 0  12
तुर्की में कुचला जाएगा विद्रोह या एर्दोगान का होगा तख्तापलट, इन फैक्ट्स से समझिए
तुर्की में कुचला जाएगा विद्रोह या एर्दोगान का होगा तख्तापलट, इन फैक्ट्स से समझिए

तुर्की में फिर से लोग सड़कों पर उतर आए है. वजह है रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी (CHP) के नेता इकरम इमामोअलु की गिरफ्तारी. इकरम वर्तमान में तुर्की के शहर इंस्ताबुल के मेयर भी हैं. इकरम को गिरफ्तार किए जाने के बाद से लोग लगातार सड़को पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

तुर्की की रेचेप तैयप एर्दोगान सरकार को इन प्रदर्शन को रोकने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है. देश में कई जगहों पर सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने की खबर देखने को मिल रही है, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में सामाजिक समारोह पर भी पाबंदी की बातें सामने आ रही है. वहीं लोग बड़ी संख्या में इकठ्ठे न हो सकें इसके लिए मेट्रो स्टेशन भी बंद किए गए हैं.

यह पहली घटना नहीं है जब एर्दोगान सरकार को विरोध-प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा है, आइए जान लेते हैं, पहले कब-कब उनके खिलाफ प्रदर्शन किया गया हैं.

1. गेजी पार्क विरोध प्रदर्शन

एर्दोगान के शासन के खिलाफ सबसे पहला प्रदर्शन 2013 में देखने को मिला था. तुर्की के शहर इस्तांबुल के गेजी पार्क विरोध प्रदर्शन शुरु हुआ था. यह प्रदर्शन कुछ लोगों ने शुरू किया था जो की शहरी विकास के खिलाफ ‘पर्यावरण प्रदर्शन’ के रूप में शुरू हुआ था, लेकिन कुछ ही समय में यह राष्ट्रव्यापी सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया. इसमें लाखों लोगों ने एर्दोगान की बढ़ती तानाशाह नीतियां और पुलिस की बर्बरता का विरोध किया. एर्दोगान ने बेहद कठोरता से साथ दमन किया, इसके परिणामस्वरूप कई मौतें हुईं और हजारों गिरफ्तारियां भी हुईं.

2. भ्रष्टाचार के आरोप

इसी साल, 2013 के अंत में, भ्रष्टाचार जांच में एर्दोगान की सरकार में उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों का नाम आया. इसमें मंत्री और उनके परिवारों के लोगों के शामिल होने के आरोप थे. बाद में इसे एर्दोगान और उनके पूर्व सहयोगी फेथुल्लाह गुलेन के बीच एक आंतरिक सत्ता संघर्ष के रूप में देखा गया. एर्दोगान ने जांच को “न्यायिक तख्तापलट” करार दिया और गुलेन से जुड़े हजारों पुलिस अधिकारियों और न्यायाधीशों को हटा दिया.

3. कुर्द विद्रोह और पीकेके संघर्ष

तुर्की की सत्ता संभालने के बाद से, एर्दोगान ने कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) और उसके सहयोगियों के खिलाफ लड़ाई लगातार जारी रखी है. कार्यकाल के शुरुआती सालों में उन्होंने कुर्द नेताओं के साथ शांति वार्ता की, लेकिन 2015 में वे टूट गए. इसके बाद से ये फिर से संघर्ष शुरू हो गया.

शांति वार्ता खत्म होते ही, एर्दोगान की सरकार ने कुर्द आतंकवादियों को निशाना बनाते हुए दक्षिण-पूर्वी तुर्की, सीरिया और इराक के सीमा से साथ सटे हुए इलाकों में सैन्य अभियान शुरू किया. इसी दौरान तुर्की ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचडीपी) पर भी कार्रवाई की, उसके नेताओं को गिरफ्तार किया, इन नेताओं पर ‘आतंकवाद’ से संबंध रखने के आरोप लगाया गए.

4. सैन्य तख्तापलट का प्रयास

एर्दोगान के खिलाफ सबसे नाटकीय विद्रोह 15 जुलाई, 2016 देखने को मिला, जब सेना के एक गुट ने उनकी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए तख्तापलट का प्रयास किया. सैनिकों ने प्रमुख संस्थानों पर नियंत्रण कर लिया. इसी बीच संसद पर बमबारी और सत्ता पर कब्जा करने का प्रयास किया गया. हालांकि, इसी बीच एर्दोगान ने सोशल मीडिया और सार्वजनिक साधनों का इस्तेमाल करते हुए समर्थकों को एकजुट करने में कामयाबी हासिल की.

इसके साथ ही ​​तख्तापलट कुछ ही घंटों में विफल हो गया. इसमें 250 से अधिक लोग मारे गए और तख्तापलट की साजिश रचने वालों की सामूहिक गिरफ्तारी की गई. एर्दोगान ने इसके लिए फेतुल्लाह गुलेन को दोषी ठहराया था. इसके बाद, सरकार ने बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया, जिसमें हजारों सैन्य कर्मियों और साजिश में शामिल लोगों को जेल में डाल दिया गया.

तुर्की का हालिया विवाद क्या है?

तुर्की में विपक्षी नेता ने एर्दोगान पर सवाल उठा रहे हैं कि वे अपनी विपक्षी नेताओं से घबरा गए हैं, इसलिए उन्होंने इकराम को गिरफ्तार किया है. इकराम इस समय इस्तांबुल के मेयर हैं और विपक्ष के सबसे मजबूत चेहरे हैं. इकराम की पार्टी सीपीसी 23 मार्च को एक कांग्रेस करने वाली थी, जिसमें उन्हें विपक्ष की और से राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया जाना तय था. ऐसे में उनकी गिरफ्तारी पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

तुर्की में भी 2028 में चुनाव हैं, इकरम इमामोअलु की लोकप्रियता उनके लिए भविष्य में चुनौती हो सकती है, इसलिए अब देखना होगा कि रेचेप तैयप एर्दोगान इस बार सत्ता में काबिज रह पाएंगे या नहीं.

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,