तालिबान ने महिलाओं के लिए नर्सिंग की पढ़ाई की बंद : लोगों को डर “ अब कौन करेगा महिलाओं का इलाज..?”

अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए तालिबान का एक और फरमान आया है। हालांकि इसे अभी तक आधिकारिक रूप से जारी नहीं किया है, मगर फिर भी ऐसा कहा जा रहा है कि तालिबान के सबसे बड़े नेता ने उन महिलाओं पर पाबंदी लगा दी है, जो नर्सिंग और दाई बनने के संस्थानों में पढ़ाई कर […]

Dec 7, 2024 - 06:53
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तालिबान ने महिलाओं के लिए नर्सिंग की पढ़ाई की बंद : लोगों को डर “ अब कौन करेगा महिलाओं का इलाज..?”

अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए तालिबान का एक और फरमान आया है। हालांकि इसे अभी तक आधिकारिक रूप से जारी नहीं किया है, मगर फिर भी ऐसा कहा जा रहा है कि तालिबान के सबसे बड़े नेता ने उन महिलाओं पर पाबंदी लगा दी है, जो नर्सिंग और दाई बनने के संस्थानों में पढ़ाई कर रही थीं।

हालांकि तालिबान ने लड़कियों की पढ़ाई पर पहले ही रोक लगा रखी है। कक्षा 6 के बाद लड़कियां स्कूल नहीं जा सकती हैं, मगर फिर भी कुछ ऐसे क्षेत्र थे, जहां पर लड़कियां अभी भी पढ़ाई कर पा रही थीं और चूंकि लड़कियां पुरुष डॉक्टर्स को नहीं दिखा सकती हैं, तो महिलाओं के लिए नर्सिंग और दाई के कार्य की पढ़ाई अभी कुछ निजी संस्थानों में चल रही थी, अब इसे भी बंद कर दिया गया है।

बीबीसी के अनुसार अफगानिस्तान के अलग-अलग पाँच संस्थानों ने यह पुष्टि की कि तालिबान ने उन्हें अगले नोटिस तक अपने संस्थानों को बंद करने का हुक्म दिया है। और इसके साथ ही सोशल मीडिया पर कई वीडियो साझा किये जा रहे हैं, जिनमें लड़कियां रो रही हैं।

जब कक्षा 6 से ऊपर की कक्षाओं के लिए लड़कियोंकी पढ़ाई तालिबान ने बंद की थी, तब यह कहा गया था कि जैसे ही मामलों का हल निकलता है, वैसे ही लड़कियों के लिए स्कूल खुल जाएंगे, मगर वह तो नहीं हुआ, बल्कि उसके स्थान पर हुआ यह कि कुछ ऐसे संस्थान, जहां पर लड़कियां जा सकती थीं और कुछ हासिल कर सकती थीं, वह भी उनसे छिन गया है।

लोगों को डर है कि इस फैसले से लड़कियों की सेहत पर प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि तालिबान द्वारा यह फरमान पहले ही जारी किया जा चुका हैकि जब तक महिलाओं के साथ कोई पुरुष अभिभावक नहीं होगा, तब तक कोई भी पुरुष चिकित्सक महिलाओं का इलाज नहीं कर सकता।

बीबीसी के अनुसार तीन महीने पहले बीबीसी तालिबान द्वारा चलाए जा रहे दाई प्रशिक्षण केंद्र में गया था और वहाँ पर कई लड़कियों से बात की थी, जो यह सीख रही थीं कि प्रसव कैसे कराना है। मगर उस समय भी कई लड़कियों ने यह आशंका जताई थी कि यह भी कहीं जल्दी बंद न हो जाए। और उनकी आशंका अब सच हो चुकी है। आंकड़ों की यदि बात की जाए तो 17,000 महिलाएं प्रशिक्षण ले रही थीं। अब उनका भविष्य क्या होगा, यह सब अनिश्चित है।

सोशल मीडिया पर कई वीडियो साझा किये जा रहे हैं। बीबीसी के अनुसार उसके साथ भी कई वीडियो साझा किये गए हैं। एक छात्रा वीडियो में कह रही है कि उन्हें केवल उनके बैग उठाने का ही समय दिया गया। उसका कहना था कि उन्हें बाहर खड़ा भी नहीं होने दिया गया, क्योंकि तालिबान कभी भी पहुँच सकते थे और कुछ भी हो सकता था।

ये प्रशिक्षण कार्यक्रम लड़कियों के लिए आशा का एकमात्र केंद्र थे, क्योंकि इनके सहारे से उन्हें बेरोजगारी से लड़ने में सहायता मिलती थी। मगर अब वे भी बंद कराए जा रहे हैं। प्रश्न यही है कि लड़कियों को लगातार धीरे-धीरे सार्वजनिक पटल से गायब किया जा रहा है और पूरा विश्व चुप रहकर देख रहा है। जो कट्टरपंथी इस्लामिक देश हैं, उनसे कोई अपेक्षा नहीं की जा सकती है, मगर न ही उदारवादी मुस्लिम देश और न ही वे संस्थाएं, वे देश महिलाओं के साथ हो रहे इस जघन्य अत्याचार पर कुछ बोल रहे हैं, जो महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने में उस्ताद माने जाते हैं।

वहीं अफगानिस्तान के स्टार क्रिकेटर्स ने तालिबान से आग्रह किया है कि वे महिलाओं की शिक्षा पर लगी हुई पाबंदियाँ हटाएं। राशिद खान ने तालिबान से अपील करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखा कि “तालीम का इस्लाम में बहुत बड़ा स्थान है और जो महिला और पुरुष दोनों ही के लिए ज्ञान की तलाश पर जोर देती है।“

उसके बाद आगे लिखा है कि अफगानिस्तान की बहनों और माओं के लिए शैक्षणिक और चिकित्सीय संस्थानों का बंद होना दुखद है, जो उनके ही नहीं बल्कि समाज के भविष्य को भी प्रभावित करेगा।

वहीं तालिबान के इस फैसले की यूएन ने भी निंदा की है। अफ़गानिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष Rapporteur – या स्वतंत्र विशेषज्ञ – रिचर्ड बेनेट ने प्रतिबंध को “अस्पष्ट और अनुचित” बताया।

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