ट्रेन में महिला को शुरु हुई प्रसव पीड़ा, हॉस्पिटल लेकर पहुंचे… फिर डॉक्टरों ने बचाई तीन जानें

कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज और अपर इंडिया जच्चा-बच्चा अस्पताल में डॉक्टरों ने ट्रेन में प्रसव पीड़ा से पीड़ित महिलाओं की जान बचाई. एक महिला को ट्रेन में प्रसव पीड़ा के बाद गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ा. डॉक्टरों की तत्परता और कुशलता से महिलाओं और नवजात बच्चों को बचा लिया गया.

Aug 3, 2025 - 04:50
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ट्रेन में महिला को शुरु हुई प्रसव पीड़ा, हॉस्पिटल लेकर पहुंचे… फिर डॉक्टरों ने बचाई तीन जानें
ट्रेन में महिला को शुरु हुई प्रसव पीड़ा, हॉस्पिटल लेकर पहुंचे… फिर डॉक्टरों ने बचाई तीन जानें

डॉक्टर्स को धरती के भगवान कहा जाता है. इंसान की जिंदगी में कई ऐसे मंजर आते हैं तो वह पहले भगवान फिर डॉक्टर के सामने जिंदगी की भीख मांगता है. ऐसा ही कुछ बिहार से दिल्ली जा रहे एक दंपति के साथ हुआ. ट्रेन में महिला को प्रसव पीड़ा हुई, जिसके बाद महिला को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के जच्चा- बच्चा अस्पताल में भर्ती कराया. महिला की हालत गंभीर होने पर डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया और डॉक्टर ने जच्चा बच्चा दोनों की जान बचा ली. महिला मालदा एक्सप्रेस से बिहार से दिल्ली जा रही थी.

जानकारी के मुताबिक, मालदा एक्सप्रेस में सवार होकर महिला बिहार से दिल्ली जा रही थी. इसी दौरान कानपुर पहुंचने से पहले ही महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई. वहीं बच्चेदानी की झिल्ली फटने से महिला का हालत गंभीर हो गई. कानपुर स्टेशन पहुंचने के बाद महिला को तुरंत जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के जच्चा-बच्चा अस्पताल पहुंचाया गया. हालत गंभीर देख डॉक्टर ने तुरंत इलाज शुरू कर दिया. डॉक्टरों ने महिला का सफल इलाज कर जच्चा और बच्चा दोनों की जान बचा ली.

बिहार से जा रहे थे दिल्ली

बिहार के खगड़िया निवासी जिनैन कुमार अपनी 27 वर्षीय गर्भवती पत्नी मधुमिता और दो बेटियों के साथ अपनी 3 वर्षीय बेटी की आंखों के ट्यूमर के इलाज के लिए दिल्ली जा रहे थे. ट्रेन में यात्रा के दौरान मधुमिता को प्रसव पीड़ा शुरू हुई. महिला को एंबुलेंस द्वारा अपर इंडिया जच्चा-बच्चा अस्पताल कानपुर भेजा गया. जहां डॉक्टर नीना गुप्ता ने महिला की जांच की, जिसमें पता चला कि वह जुड़वां गर्भधारण (ट्विन प्रेग्नेंसी) में हैं, और नाल बाहर आ गई है. यह एक स्त्री रोग संबंधी आपातकाल स्थिति होती है. ऐसी स्थिति में मरीज का ऑपरेशन कर तुरंत बच्चों को निकालना आवश्यक होता है तथा ऐसी स्थिति में 42 प्रतिशत केसेस में बच्चों की मृत्यु होने की संभावना होती है. महिला को तुरंत ओपीडी से सीधे ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया.

डॉक्टरों ने किया सफल ऑपरेशन

महिला के शरीर में ब्लड की कमी पाई गई. वहीं तुरंत ब्लड के लिए ब्लड बैंक इंचार्ज डॉक्टर लुबना खान से बात की गई, तक महिला का ऑपरेशन शुरू कर दिया गया और जुड़वां जीवित पुत्रों का सुरक्षित जन्म कराया गया. ऑपरेशन डॉ नीना गुप्ता, डॉ. नूर व डॉक्टर सुगंधा की टीम द्वारा किया गया. ऑपरेशन के बाद मां और दोनों बच्चे स्वस्थ हैं. चिकित्सकों की तत्परता से एक बड़ी दुर्घटना टल गई.

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