टैरिफ वॉर से हमें मजबूर कर रहे हैं ट्रंप, क्या 1 करोड़ रोजगार का मौका लपक पाएगा भारत?

ट्रंप प्रशासन की व्यापारिक नीतियां भारत को वस्त्र एवं परिधान उद्योग में विशाल अवसर दे सकती हैं। अगर नीतिगत सुधार लागू किए जाएं, तो यह उद्योग दस लाख नए रोजगार पैदा कर सकता है। कच्चे माल पर आयात शुल्क समाप्त करना, उत्पादन को बढ़ावा देना और प्रमुख कंपनियों के साथ साझेदारी करना आवश्यक है।

Mar 10, 2025 - 10:15
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टैरिफ वॉर से हमें मजबूर कर रहे हैं ट्रंप, क्या 1 करोड़ रोजगार का मौका लपक पाएगा भारत?
ट्रम्प के व्हाइट हाउस में वापसी के साथ दुनियाभर में राजनीतिक और आर्थिक समीकरण बदल रहे हैं। व्यापार के मामले में, उनकी सरकार टैरिफ और आर्थिक राष्ट्रवाद पर जोर दे रही है। यह हमारे लिए चुनौती भी है और एक बड़ा मौका भी। अगर हमारी नीतियां सही हों, तो भारत इस बदलाव का फायदा उठा सकता है। हमें टेक्सटाइल, खाद्य प्रसंस्करण, और क्लीनटेक जैसे क्षेत्रों में बड़े नीतिगत सुधार लागू करके मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना होगा।खास तौर पर टेक्सटाइल और कपड़ों का उद्योग भारत में लाखों नौकरियां पैदा कर सकता है। ऑटो या फार्मा जैसे पूंजीप्रधान क्षेत्रों के विपरीत इसमें शुरुआत करना आसान है। यह छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों को भी बढ़ने का मौका देता है, जिससे समावेशी विकास को बढ़ावा मिलता है। लेकिन, भारत अभी तक इस क्षेत्र की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पाया है।दुनियाभर में 70% टेक्सटाइल और कपड़ों का बाजार मानव निर्मित रेशों (MMF) से बना है, बाकी 30% कपास से। भारत में यह उल्टा है। मानव निर्मित रेशों के लिए कच्चा माल या तो पॉलिएस्टर फाइबर या विस्कोस फाइबर होता है। इन दोनों का उत्पादन सिर्फ दो बड़े भारतीय समूह करते हैं। फाइबर से धागा बनता है, धागे से कपड़ा। इस कपड़े को प्रोसेस किया जाता है, फिर घरेलू बाजार या निर्यात के लिए कपड़े बनाए जाते हैं।हम दुनिया के छठे सबसे बड़े टेक्सटाइल और परिधान निर्यातक हैं। हमारा टेक्सटाइल निर्यात ₹3 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। जैसा कि प्रधानमंत्री ने भारत टेक्स 2025 में कहा था, 'हमारा महत्वाकांक्षी लक्ष्य 2030 तक इस आंकड़े को तीन गुना बढ़ाकर ₹9 लाख करोड़ करना है।' लेकिन, ठोस नीतिगत कार्रवाई के बिना यह संभव नहीं होगा।पहला कदम, हमें कच्चे माल के स्तर पर, खासकर मानव निर्मित रेशों के बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धामक क्षमता की कमी को दूर करना होगा। पॉलिएस्टर और विस्कोस जैसे कच्चे माल पर उच्च आयात शुल्क लगता है। पहले, इन पर उच्च एंटी डंपिंग शुल्क भी लगाया जाता था, जिसे ठोस प्रयासों के बाद हटा दिया गया। लेकिन अब इस शुल्क की जगह (QCO) ने ले ली है।इनका भी वही असर होता है- सस्ते, महत्वपूर्ण कच्चे माल के आयात को सीमित करना। मानव निर्मित रेशों के लिए कच्चा माल, घरेलू बाजार में हमारे प्रतिस्पर्धियों की तुलना में लगभग 20% अधिक महंगा है। जैसे-जैसे हम मूल्य श्रृंखला में नीचे जाते हैं, इस लागत का नुकसान बढ़ता जाता है। हमारे मानव निर्मित रेशा उद्योग को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सभी आयात शुल्क को शून्य करने के साथ क्यूसीओ को भी समाप्त कर देना चाहिए।दूसरा कदम, हमें बड़े पैमाने पर उत्पादन की कमी के कारणों को समझना होगा। इस कमी को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (PM-MITRA) पार्क योजना शुरू की गई थी। ₹4,500 करोड़ के परिव्यय (आउटले) के साथ ऐसे सात पार्क घोषित किए गए हैं, और इनसे प्रत्येक में ₹10 हजार करोड़ का निवेश आने की उम्मीद है। इन पार्कों का विकास तेजी से होना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि कपड़ों और टेक्सटाइल उद्योग की पूरी मूल्य श्रृंखला यहां समेकित हो। इसी तरह, 1 अरब डॉलर के आउटले के साथ एक प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) की भी घोषणा की गई।तीसरा कदम, हमें कपास की उत्पादकता बढ़ानी होगी। भारत दुनिया में कपास के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। लेकिन विश्व कपास सांख्यिकी के अनुसार, भारत में कपास की उपज लगभग 450 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जबकि वैश्विक औसत 812 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में कपास की उत्पादकता 1,500 से 2,200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक है।केंद्रीय बजट 2025-26 में कपास उत्पादकता के लिए पांच साल के मिशन की घोषणा की गई। इसे तेजी से लागू किया जाना चाहिए। देश में कपास के आयात पर भी 10% आयात शुल्क लगता है, जिसे सूती वस्त्रों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए हटा दिया जाना चाहिए। कपास आयात बाजार में मूल्य निर्धारण सरकार द्वारा निर्धारित होने के बजाय बाजार द्वारा निर्धारित होना चाहिए। कपास का सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद चीन अभी भी कपास के आयात की अनुमति देता है।चौथा कदम, हमें तकनीकी वस्त्रों की क्षमता को उजागर करना होगा। इनका उपयोग कृषि, निर्माण, ऑटोमोबाइल, स्वास्थ्य सेवा आदि क्षेत्रों में होता है। भारत में तकनीकी वस्त्र क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन शुरू किया गया था। हालांकि, हमारे बाजारों में इनकी पैठ अंतरराष्ट्रीय मानकों से काफी कम है। घरेलू विनिर्माण को मजबूत करना, रीसाइक्लिंग पहल के माध्यम से स्थिरता को बढ़ावा देना, और वैश्विक ब्रैंडिंग का निर्माण करना महत्वपूर्ण होगा।पांचवा कदम, हमें घरेलू विनिर्माण मूल्य श्रृंखला को विकसित करने के लिए अग्रणी फर्मों के साथ काम करना होगा। रणनीतिक नीतिगत उपायों से हमारे विनिर्माण क्षेत्र (मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर) में महत्वपूर्ण प्रगति हो सकती है। हमने मोबाइल विनिर्माण में भारत की जीत देखी है। 2014-15 में केवल 0.2 अरब डॉलर के निर्यात से अब हम 15 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के मोबाइल फोन का निर्यात कर रहे हैं। 2017 में नगण्य स्तर से अब लगभग 15% आईफोन्स भारत में बनते हैं। हाल ही में ऐपल प्रॉडक्ट्स के घरेलू स्तर पर उत्पादित पुर्जों को वियतनाम और चीन जैसे देशों में निर्यात किए जाने की खबर हमारी क्षमता का प्रमाण है। जैसे हमने मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में किया है, वैसे ही हमें कपड़ा क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार सृजित करने के लिए नीतिगत बदलाव शुरू करने चाहिए।भारत का परिधान उद्योग वैश्विक स्तर पर अगुआ और सबसे बड़ा रोजगार सृजनकर्ता बनने की क्षमता रखता है, लेकिन इसके लिए साहसिक सुधार आवश्यक हैं। संक्षेप में, पहला- मानव निर्मित रेशों और कपास के लिए कच्चे माल पर आयात शुल्क पूरी तरह से समाप्त किया जाना चाहिए। दूसरा- क्यूसीओ के रूप में सभी गैर-शुल्क बाधाओं को समाप्त किया जाना चाहिए। तीसरा, मूल्य श्रृंखला को मजबूत करके और PM-MITRA का लाभ उठाकर विनिर्माण पैमाने को हासिल किया जाना चाहिए। चौथा, कपास की उत्पादकता बढ़ाई जानी चाहिए, और कपास मूल्य निर्धारण बाजार आधारित होना चाहिए। पांचवां, हमें अग्रणी फर्मों के साथ काम करना चाहिए और उन्हें भारत में विनिर्माण स्थापित करने के लिए आमंत्रित करना चाहिए, जैसा कि हमने मोबाइल विनिर्माण के मामले में किया है।मोबाइल विनिर्माण की सफलता दर्शाती है कि सही नीतियों के साथ भारत वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा कर सकता है। हमें इस क्षेत्र में 1 करोड़ नई नौकरियां पैदा करने का लक्ष्य रखना चाहिए। यह निर्णायक रूप से कार्य करने और भारत को दुनिया के कपड़ा और परिधान नेता के रूप में स्थापित करने का समय है।लेखक भारत के G20 शेरपा और NITI आयोग के पूर्व CEO हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,