अजमेर दरगाह में शिव मंदिर का दावा: कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य माना, दरगाह कमेटी समेत 3 को नोटिस

अजमेर सिविल कोर्ट पश्चिम में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें दावा किया गया है कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर स्थित है। यह याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर की गई है। सिविल जज मनमोहन चंदेल की बेंच ने इसे सुनवाई योग्य मानते हुए […]

Nov 28, 2024 - 05:45
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अजमेर दरगाह में शिव मंदिर का दावा:   कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य माना, दरगाह कमेटी समेत 3 को नोटिस

अजमेर सिविल कोर्ट पश्चिम में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें दावा किया गया है कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर स्थित है। यह याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर की गई है। सिविल जज मनमोहन चंदेल की बेंच ने इसे सुनवाई योग्य मानते हुए संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश किए गए दावे में कहा गया है कि वर्तमान दरगाह परिसर में शिव मंदिर के प्रमाण मौजूद हैं। इसे ऐतिहासिक साक्ष्यों और दस्तावेजों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।

सेवानिवृत्त न्यायाधीश हरविलास शारदा द्वारा लिखी गई पुस्तक “अजमेर: हिस्टोरिकल एंड स्क्रिप्टिव” में उल्लेख है कि दरगाह की इमारत में मंदिर के मलबे का उपयोग किया गया था। याचिकाकर्ता के अनुसार दरगाह परिसर में मौजूद बुलंद दरवाजे पर हिंदू शैली की नक्काशी और मंदिरों से संबंधित अन्य प्रमाण पाए गए हैं।

याचिकाकर्ता की दलीलें

याचिका में कहा गया है कि दरगाह परिसर में एक गर्भगृह या तहखाना है, जहां शिवलिंग मौजूद है। यहां पुराने समय में ब्राह्मण परिवार द्वारा पूजा-अर्चना की जाती थी।

दरगाह के निर्माण में उपयोग हुए पत्थरों और मलबे को लेकर पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग की गई है। हिंदू सेना ने दरगाह कमेटी द्वारा अवैध कब्जे हटाने और क्षेत्र को मंदिर के रूप में पुनर्स्थापित करने की अपील की है।

नोटिस जारी

इस मामले में दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को पक्षकार बनाया गया है। कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी कर 20 दिसंबर तक अपने पक्ष रखने का निर्देश दिया है।

साक्ष्य और दावे

याचिका में 750 पृष्ठों का वाद पेश किया गया है, जिसमें ऐतिहासिक और सांस्कृतिक साक्ष्यों के आधार पर शिव मंदिर के दावे को पुष्ट किया गया है।

दरगाह के बुलंद दरवाजे की बनावट में हिंदू परंपरा की नक्काशी

जहां शिव मंदिर है, वहां झरना, पेड़ आदि जरूर होते हैं। मध्य प्रदेश की भोजशाला और काशी विश्वनाथ मंदिर के उदाहरण देते हुए एएसआई से दरगाह परिसर का सर्वेक्षण करने की अपील की गई है। 1911 में लिखी गई पुस्तक में उल्लेख है कि मौजूदा दरगाह के निर्माण में पुराने मंदिर के मलबे का उपयोग हुआ था। यह भी दावा किया गया है कि दरगाह के तहखाने में शिवलिंग मौजूद है।

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