राम का आदर्श चरित्र-एक शैक्षिक विषय
राम का आदर्श चरित्र-एक शैक्षिक विषय, नैतिकमूल्य विहीन शिक्षा समाज , राम के आदर्श चरित्र से सांस्कृतिक, नैतिक, राजनीतिक शिक्षा
राम का आदर्श चरित्र-एक शैक्षिक विषय
भारतीय उपमहाद्वीप के निवासियों हेतु ही नहीं अपितु इंडोनेशिया,मलेशिया,जावा, सुमात्रा, बोर्नियो,बाली द्वीप, श्रीलंका(सिंहल द्वीप), थाइलैंड(स्याम), सिंगापुर सहित विश्व के अनेक देशों के निवासियों को राम का आदर्श चरित्र शिक्षा प्रदान करता रहा है। शिक्षा का मूल उद्देश्य होता है व्यक्ति को पशुता से मानवता की ओर ले जाना।
नैतिकमूल्य विहीन शिक्षा समाज
मातृभाषा सिखाकर भाषाविहीन पशुता से मानवता की ओर ले जाने वाली मां को शिशु का प्रथम शिक्षक कहा जाता है। शिक्षा-व्यवस्था का मूल तत्व व्यक्ति के नैतिक चरित्र का विकास होता है क्योंकि नैतिकमूल्य विहीन शिक्षा समाज के सभी वैज्ञानिक,आर्थिक,भौतिक, सामाजिक,सांस्कृतिक प्रगतियों के होते हुए भी समाज को नष्ट कर देता है।राम का आदर्श चरित्र युगों से भारतीय उपमहाद्वीप सहित विश्व के अनेक देशों के निवासियों को शिक्षा प्रदान करता रहा है। इसलिए राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ,उत्तर प्रदेश(माध्य.) राम के पुनरागमन कार्यक्रम में स्वयं को संयोजित करते हुए गौरव की अनुभूति करता है।
राम के आदर्श चरित्र से सांस्कृतिक, नैतिक, राजनीतिक शिक्षा
विदेशी आक्रांताओं को यह पता था कि राम के आदर्श चरित्र से सांस्कृतिक, नैतिक, राजनीतिक शिक्षा प्राप्त जनता पर शासन स्थायी रूप से करना असम्भव है इसीलिए उन्होंने राममंदिर विध्वंस किया और उनसे प्रभावित लोगों ने राममंदिर निर्माण में बाधा बनने का प्रयास किया।
२२ जनवरी २०२४ को अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा
सांस्कृतिक,नैतिक तत्वों को बचाये रखने के लिए ही भारत की जनता ने पांच सौ वर्षों तक संघर्ष करके आज राम का प्राण प्रतिष्ठा का सुनहरा अवसर प्राप्त किया है। दिनांक २२ जनवरी २०२४ को अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा राम से रामत्व की ओर बढ़ने की प्रक्रिया है। जनता में रामत्व ही रामराज्य स्थापित कर सकता है।रामराज्य कैसा ?
सब नर करहिं परस्पर प्रीति,
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति।
विचार लेखक के हें
आशीष मणि त्रिपाठी
प्रदेश महामंत्री
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ,उ.प्र.(मा.)
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