PM Oli की मीठी बोली, China दौरे से पहले Prachand के विरोध के जवाब में Comrade ने India से निकटता की खाईं कसमें

कम्युनिस्ट पार्टी माले के नेता, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली खुद को दुनिया भर के कम्युनिस्टों का आका मानने वाले चीन की यात्रा पर क्यों जा रहे हैं, यह कोई छुपी बात नहीं है। नेपाल के कम्युनिस्ट नेताओं को बीजिंग देश चलाने को लेकर पूरा दिशानिर्देश देता रहा है और वे सब मानते भी रहे हैं। […]

Nov 15, 2024 - 13:54
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PM Oli की मीठी बोली, China दौरे से पहले Prachand के विरोध के जवाब में Comrade ने India से निकटता की खाईं कसमें

कम्युनिस्ट पार्टी माले के नेता, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली खुद को दुनिया भर के कम्युनिस्टों का आका मानने वाले चीन की यात्रा पर क्यों जा रहे हैं, यह कोई छुपी बात नहीं है। नेपाल के कम्युनिस्ट नेताओं को बीजिंग देश चलाने को लेकर पूरा दिशानिर्देश देता रहा है और वे सब मानते भी रहे हैं। पूर्व हिन्दू राष्ट्र नेपाल में भारत विरोधी भाव को भड़काने में कम्युनिस्ट ड्रैगन का बहुत बड़ा हाथ रहा है।


हिमालयी राष्ट्र नेपाल के प्रधानमंत्री कम्युनिस्ट चीन के दौरे पर जाने को तैयार हैं। अगले माह के पहले हफ्ते में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली बीजिंग पहुंचेंगे। उनकी इस यात्रा को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने भारत के संदर्भ में नेपाल के प्रधानमंत्री को घेरा तो उन्होंने साफ कहा कि वे चीन भले जा रहे हैं लेकिन भारत के साथ रिश्ते वैसे ही मीठे बने रहेंगे।

पक्के कामरेड कम्युनिस्ट पार्टी माले के नेता, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली खुद को दुनिया भर के कम्युनिस्टों का आका मानने वाले चीन की यात्रा पर क्यों जा रहे हैं, यह कोई छुपी बात नहीं है। नेपाल के कम्युनिस्ट नेताओं को बीजिंग देश चलाने को लेकर पूरा दिशानिर्देश देता रहा है और वे सब मानते भी रहे हैं। पूर्व हिन्दू राष्ट्र नेपाल में भारत विरोधी भाव को भड़काने में कम्युनिस्ट ड्रैगन का बहुत बड़ा हाथ रहा है।

दिसंबर के पहले हफ्ते में बीजिंग जा रहे ओली पर पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड ने इस लिए भी तंज कसा है क्योंकि एक परंपरा रही है कि नेपाल का प्रधानमंत्री शपथ लेने के बाद, पहला विदेश दौरा भारत का ही करता रहा हैं। दुनिया जानती है कि भारत के साथ नेपाल के सांस्कृतिक—राजनीतिक संबंध प्राचीन काल से ही रहे हैं। अब परंपरा से विमुख होकर ओली का जाना राजनीतिक तौर पर तंज के निशाने पर आना ही था। इसीलिए प्रचंड के भारत से संबंधों के सवाल पर प्रधानमंत्री ओली ने अपनी तरफ से जवाब दिया है।

केपी शर्मा ओली का कहना है कि उनका चीन का दौरा नेपाल—भारत संबंधों में कोई खटास लाने के लिए नहीं हो रहा है। भारत के साथ नेपाल के संबंध पहले की तरह मधुर बने रहने वाले हैं। ​काठमांडू में कल एक कार्यक्रम में उन्होंने उनकी पहली सरकारी यात्रा भारत के बजाय चीन की हो रही है तो इसका यह मतलब न निकाला जाए कि भारत से संबंधों से समझौता करके वे इस यात्रा पर जा रहे हैं। भारत—नेपाल संबंधों को इस यात्रा से कोई ठेस नहीं पहुंचेगी।

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड

केपी शर्मा ओली की आगामी चीन यात्रा पर निशाना साधते हुए पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड का आरोप था कि ओली सरकार अपनी विदेश नीति में संतुलन नहीं रख पाई है। प्रचंड का संकेत नेपाल—भारत संबंधों और उसमें चीन को तीसरे पक्ष के नाते देखने की ओर था। प्रचंड जानते हैं कि उनके कार्यकाल में भारत के साथ उनके देश ने अनेक परियोजनाएं शुरू की थीं और भारत से उन्हें हर प्रकार की मदद भी मिली थी। भारत ने नेपाल को हमेशा एक महत्वपूर्ण पड़ोसी देश ही नहीं, सांस्कृतिक रूप से बेहद निकट ही देखा है।

प्रचंड के उक्त बयान के बाद कल ओली का कहना था कि नेपाल संप्रभु राष्ट्र हैं। उनकी ओर से यह तो कभी कहा ही नहीं गया कि वे भारत नहीं जाएंगे। यह सही है कि परंपरा ऐसी रही है कि नेपाल के प्रधानमंत्रियों पद पर बैठने के बाद सबसे पहले भारत का दौरा किया है। यहां बता दें कि ओली संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें अधिवेशन में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क जा चुके हैं। वहां उनकी भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित चीन के विदेश मंत्री वांग यी व कई अन्य वैश्विक नेताओं से भेंट हुई थी।

प्रधानमंत्री ओली ने यह भी कहा कि यूएन बैठक के लिए उनके अमेरिका जाने का यह अर्थ नहीं था कि वे सबसे पहले अमेरिका ही जाने के इच्छुक थे। उनका कहना ​है कि नेपाल के दो तरफ दो बड़े पड़ोसी हैं और उनके देश को दोनों से ही मधुर संबंध बनाकर चलना है।

इसी के साथ उनका कहना था कि उनके चीन दौरे से नेपाल— भारत संबंधों पर कोई आंच नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि उनके देश के भारत के साथ प्रगाढ़ ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध हैं और ये पुराने काल से ही ऐसे रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि गत अनेक वर्ष से नेपाल की राजनीति में उथलपुथल का दौर ही रहा है और पूर्व हिन्दू राष्ट्र के कम्युनिस्ट नेता चीन से बौद्धिक खाद—पानी लेने के लिए बीजिंग का दौरा करते रहे हैं। अनेक बार तो पूरा मंत्रिमंडल उठकर ‘मार्गदर्शन’ के लिए पांच—पांच दिन के लिए बीजिंग जाकर बड़े ओहदेदार कम्युनिस्ट नेताओं से मिलता रहा है। दरअसल चीन नहीं चाहता कि नेपाल भारत से नजदीकी बनाए या उससे संबंधों को महत्व दे। लेकिन नेपाल भी जानता है कि भारत नेपाल के साथ सदियों से निकट रहा है। भारत ने समय—समय पर पड़ोसी धर्म के उच्च मानदंड सामने रखे हैं।

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