संघ के प्रयास से हिंदू वाढा समुदाय की बदली तस्वीर, पूजा की जगह पढ़ते थे नमाज, शादी के बदले निकाह

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Mar 22, 2025 - 06:23
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संघ के प्रयास से हिंदू वाढा समुदाय की बदली तस्वीर, पूजा की जगह पढ़ते थे नमाज, शादी के बदले निकाह

वाढा हिंदू समुदाय की बदली तस्वीर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रयासों की प्रेरक कहानी

भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में कई ऐसे समुदाय हैं जो समय, परिस्थितियों और सामाजिक प्रभावों के चलते अपनी सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं से दूर हो गए। लेकिन जब कोई संगठन निःस्वार्थ भाव से इन समुदायों को उनकी जड़ों से जोड़ने का प्रयास करता है, तो उसका असर न केवल धार्मिक स्तर पर बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी देखने को मिलता है। ऐसा ही एक उदाहरण है गुजरात के पश्चिमी कच्छ के बन्नी इलाके में बसे वाढा हिंदू समुदाय का, जिसकी पहचान को पुनर्जीवित करने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

दशकों से विस्मृत परंपराएँ

पाकिस्तान सीमा से लगे इस मुस्लिम बहुल क्षेत्र में रहने वाला वाढा हिंदू समुदाय वर्षों से गरीबी, अशिक्षा और बहुसंख्यक मुस्लिम समाज के प्रभाव के चलते अपनी हिंदू परंपराओं से विमुख हो गया था। विवाह जैसे प्रमुख संस्कारों में हिंदू रीति के स्थान पर 'निकाह' पढ़ाया जाने लगा था। अंतिम संस्कार भी दाह संस्कार की बजाय दफनाने की इस्लामिक परंपरा के अनुसार किया जा रहा था। पहनावा, नाम और पूजा-पद्धति भी इस्लामिक रंग में ढल चुके थे।

संघ की पहल और सकारात्मक परिवर्तन

संघ के सेवा विभाग ने इस स्थिति की गंभीरता को समझते हुए परिवर्तन की मुहिम शुरू की। सबसे पहले शिक्षा के माध्यम से इस समुदाय में चेतना का संचार किया गया। जैसे-जैसे शिक्षा की पहुँच बढ़ी, समुदाय अपने मूल धर्म और संस्कृति के महत्व को समझने लगा। संघ द्वारा इस इलाके में मंदिर निर्माण, साफ-सफाई के प्रति जागरूकता अभियान, जीवन स्तर सुधारने हेतु पक्के मकानों का निर्माण जैसे कदम उठाए गए।

सबसे उल्लेखनीय पहल दिसंबर 2024 में देखी गई, जब पहली बार इस इलाके में हिंदू रीति से सामूहिक विवाह का आयोजन हुआ। वर्षों बाद फिर से वैदिक मंत्रों के साथ विवाह सम्पन्न हुए, जिसने न केवल इस समुदाय को सांस्कृतिक दृष्टि से सशक्त किया बल्कि आत्मगौरव भी लौटाया।

जीवन स्तर सुधारने के लिए ठोस कदम

संघ के वार्षिक प्रतिवेदन में सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने बताया कि बन्नी क्षेत्र के चार गांवों में 65 परिवारों को पक्का मकान मुहैया कराया गया है। यह पहल सिर्फ परंपरागत पहचान को लौटाने तक सीमित नहीं रही, बल्कि व्यावहारिक स्तर पर भी समुदाय के जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास किया गया।

बांग्लादेशी हिंदुओं के संघर्ष की सराहना

प्रतिवेदन में बांग्लादेश की स्थिति पर भी चिंता जताई गई। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर मजहबी कट्टरपंथियों के हमले निंदनीय हैं। संघ ने न केवल इन हमलों की आलोचना की, बल्कि बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनाने का भी संकेत दिया। साथ ही, प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद अपने धर्म और संस्कृति के लिए संघर्ष कर रहे बांग्लादेशी हिंदुओं के साहस की सराहना की गई।

संदेश स्पष्ट है...

यह पूरी घटना हमें यह सिखाती है कि यदि ठोस नीयत और निरंतर प्रयास किए जाएं, तो कोई भी समुदाय अपने मूल्यों और संस्कृति की ओर लौट सकता है। संघ ने यह साबित कर दिया कि सामाजिक सेवा, शिक्षा और सांस्कृतिक जागरूकता का संगम ही किसी भी समाज के पुनर्निर्माण की नींव बन सकता है।

बन्नी के वाढा हिंदू समुदाय की यह कहानी न केवल प्रेरणा देती है, बल्कि यह भी संदेश देती है कि भारतीय समाज की विविधता में भी एकता तभी बरकरार रह सकती है जब अपने मूल तत्वों को पहचानकर उन्हें सहेजा जाए।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,