Parenting Myths: वो पेरेंटिंग मिथक जिन पर आसानी से भरोसा कर लेते हैं लोग

पेरेंट्स बनना एक खूबसूरत एहसास तो होता है. लेकिन हमे कई जिम्मेदारियों से बांध देता है. पेरेंट्स बनने के बाद माता-पिता का एक ही सवाल रहता है की बच्चें की परवरिश कैसे करें? इस वजह से पेरेंट्स कई मिथक पर भरोसा कर लेते हैं. चलिए जानते हैं कि कौन से वो पेरेंटिंग मिथक हैं , जिन पर माता-पिता आसानी से भरोसा कर लेते हैं.

Parenting Myths: वो पेरेंटिंग मिथक जिन पर आसानी से भरोसा कर लेते हैं लोग
Parenting Myths: वो पेरेंटिंग मिथक जिन पर आसानी से भरोसा कर लेते हैं लोग

पेरेंट्स बनना एक खूबसूरत एहसास है. लेकिन इसके साथ ही ये जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है. बच्चें की कैसा परवरिश करनी है, इसको लेकर सभी अपने-अपने अलग-अलग तर्क रखते हैं और नए पेरेंट्स को अपनी सलाह देते हैं. कोई कहता है कि बच्चों पर गुस्सा करना सही नहीं है तो कोई कहता है कि उन पर सख्ती न करें. कई ऐसे मिथक हैं जो पीढ़ियों से चले आ रहे हैं और पेरेंट्स इन्हें बिना सवाल किए मान भी रहे हैं.

लेकिन कई बार इन मिथक की वजह से पेरेंट्स खुद को कम समझने लगते हैं. क्योंकि पेरेंटिग का कोई फिक्स तरीका नहीं है. हर बच्चा अलग होता है और हर परिवार की सिचुएशन भी. ऐसे में अगर आप पेरेंटिंग मिथक पर भरोसा करते हैं तो चीजें खराब होने लगती हैं. इस आर्टिकल में चले जानते हैं कि कौन से हैं वो पेरेंटिंग मिथक .

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पेरेंटिंग से जुड़े कुछ मिथक

मिथक : अच्छे माता-पिता कभी गुस्सा नहीं होते

सच्चाई: गुस्सा आना एक नेचुरल भाव है. लेकिन कहा जाता है कि अच्छे पेरेंट्स वो हैं जो गुस्सा नहीं करते हैं. जबकि ऐसा नहीं है. क्योंकि अगर आप अपने गुस्से को अंदर ही दबा कर रखेंगे तो आपके और आपके बच्चें के रिश्ते में गलत इंपेक्ट पड़ सकता है. ऐसे में आप बच्चें पर गुस्सा करें लेकिन अलग हेल्दी तरीके से जाहिर करने की कोशिश करें. ताकि बच्चा आपकी बात को समझें.

मिथक: बच्चों की हर बात पर तारीफ करना

सच्चाई: कहा जाता है कि अच्छे पेरेंट्स वो होते हैं जो हर बात पर अपने बच्चे की तारीफ करते हैं. इससे बच्चे का कॉन्फिडेंस भी बढ़ता है. लेकिन ये सही नहीं है. क्योंकि जरूरत से ज्यादा तारीफ करने से बच्चा इसका आदि हो सकता है. इससे उनमें फिक्स्ड माइंडसेट बन सकता है.

मिथक: डिसिप्लिन का मतलब सजा देना

सच्चाई: ऐसा मिथक है कि बच्चों को डिसिप्लिन सिखाने का मतलब है उन्हें सजा देना. जबकि अनुशासन का असली मतलब होता है बच्चे को सही रास्ता दिखाना और उन्हें जिम्मेदार बनाना.

मिथक: एक परफेक्ट पैरेंट को हर सवाल का जवाब पता हो

सच्चाई: पेरेंट्स बनने का मतलब ये नहीं है कि आपको हर सवाल का जवाब पता होना जरूरी है. क्योंकि पेरेटिंग भी सीखने का प्रोसेस है. अगर आप बच्चों के सामने ये दिखाएंगे की आपको भी कुछ बातें नहीं पता और आप उन्हें अब भी सीख रहे हैं. ये बच्चों को भी सिखाता है कि सीखना कभी बंद नहीं होता.

मिथक: बच्चे को रोने न देना

सच्चाई: कहा जाता है कि अच्छे पेरेंट्स वहीं हैं जो अपने बच्चों की हर ख्वाहिश पूरी करते हैं और उन्हें किसी भी चीज के लिए मना नहीं करते हैं. लेकिन ऐसा करना सही नहीं है. क्योंकि अगर आप बच्चे को रोने नहीं देंगे, उसकी हर जिद पूरी करेंगे तो बच्चा इससे जिद्दी बन सकता है.

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