HIV पायलट को DGCA ने दी उड़ान की इजाजत, पर लगा दी शर्त, HC पहुंचा मामला

मुंबई, अमेरिका में कमर्शियल पायलट की ट्रेनिंग लेने वाले HIV पॉजिटिव युवक ने बॉम्बे हाई कोर्ट में DGCA के भेदभावपूर्ण सर्टिफिकेट को चुनौती दी है। DGCA ने उसे अनुभवी पायलट के साथ उड़ान भरने की शर्त लगाई है। युवक का दावा है कि यह शर्त सिर्फ उसकी HIV स्थिति के कारण लगाई गई।

Mar 19, 2025 - 07:05
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HIV पायलट को DGCA ने दी उड़ान की इजाजत, पर लगा दी शर्त, HC पहुंचा मामला
: अमेरिका में कमर्शियल पायलट की ट्रेनिंग लेने वाला HIV पॉजिटिव युवक का मामला सुलझने का नाम नहीं ले रहा है। कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया लेकिन अब एक नया मुद्दा सामने आया है। युवक ने हाई कोर्ट को बताया कि DGCA (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) का सर्टिफिकेट भेदभावपूर्ण है। DGCA ने उसे कमांडर के तौर पर उड़ान भरने के लिए तो फिट बताया है। लेकिन साथ में एक अनुभवी पायलट रखने की शर्त लगा दी है। हाई कोर्ट ने इस मामले में अलग याचिका दायर करने को कहा है।अब युवक अपनी लाइसेंस पर लगी इस शर्त को चुनौती देने के लिए एक नई याचिका दायर करने की योजना बना रहा है। उसने कहा कि डीजीसीए की यह शर्त सिर्फ उसकी HIV स्थिति के कारण लगाई गई है।

हाई कोर्ट ने क्या कहा

जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस अद्वेत सेठना ने इस मामले पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा, 'अगर याचिकाकर्ता को बाद के घटनाक्रमों और नए प्रमाणन से कोई शिकायत है... तो याचिकाकर्ता को कानून के अनुसार इसे चुनौती देनी होगी।' कोर्ट ने कहा कि अगर पायलट को कोई और शिकायत है तो वह नई याचिका दायर कर सकता है।

2021 में आया था मामला

पायलट ने यह याचिका पिछले साल अपने पिता के माध्यम से दायर की थी। जुलाई 2021 में एक मेडिकल टेस्ट में उसे पायलट इन कमांड के तौर पर काम करने के लिए फिट पाया गया था। उसने सिविल कमर्शियल पायलट बनने के लिए DGCA की परीक्षाएं पास कर ली थीं। अक्टूबर 2021 में उसे HIV होने की जानकारी मिली। इसके बाद उसे उड़ान भरने के लिए अस्थायी रूप से अयोग्य का मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किया गया।

अमेरिका चला गया था युवक

दिसंबर 2021 में DGCA ने उसे पायलट इन कमांड के तौर पर स्थायी रूप से उड़ान भरने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। अपील करने पर, मई 2022 में DGCA ने उसे केवल सह-पायलट के रूप में उड़ान भरने के लिए फिट माना। इसके बाद वह अमेरिका चला गया।

DGCA का तर्क

DGCA ने 18 दिसंबर को जवाब दिया कि याचिकाकर्ता एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (ART) पर है। ART में ऐसी दवाएं शामिल हैं जिनके कई प्रतिकूल प्रभाव होते हैं। DGCA ने सिविल एविएशन मेडिसिन का हवाला दिया। इसमें ART शुरू करने के बाद रोग बढ़ने के खतरे की बात कही गई है। DGCA ने कहा, रोग बढ़ने के नतीजों, ART के अप्रत्याशित दुष्प्रभावों और बार-बार निगरानी की बाध्यताओं को ध्यान में रखते हुए, एक एरोमेडिकल डिस्पोजिशन किया गया है। जिसके अनुसार उसे एक योग्य अनुभवी पायलट के साथ पायलट इन कमांड के रूप में उड़ान भरने के लिए फिट घोषित किया गया है।

पायलट के वकील का तर्क

DGCA के वकील पीयूष शाह ने कहा कि याचिकाकर्ता ने मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था। उन्होंने कहा, इसके संबंध में हमने उसे एक अधिक अनुभवी पायलट के साथ पायलट इन कमांड के रूप में अनुमति दी है। पायलट के वकील, भूमिका व्यास और संग्राम चिनाप्पा ने कहा कि अगर उसे साथ में अधिक उड़ान घंटों वाले पायलट की आवश्यकता होगी, तो उसे कोई भी नौकरी पर नहीं रखेगा। व्यास ने कहा इससे वह बेरोजगार हो जाएगा। उन्होंने आगे कहा इसी तरह के पदों पर काम करने वाले व्यक्तियों, जिन्हें HIV नहीं है, उनके लाइसेंस पर ऐसी कोई शर्त नहीं है।जजों ने व्यास से पूछा कि क्या उनका क्लाइंट अब अमेरिका से लौट आया है। व्यास ने कहा कि हां, वह लौट आया है। जजों ने कहा कि याचिकाकर्ता को इस मामले में एक नई याचिका दायर करनी होगी।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,