भारतीय संस्कृति और दर्शन के महत्व को भारत के रूप में एक विश्व गुरु बनने की मांग - भैय्या जी जोशी

भैय्या जी जोशी भारतीय संस्कृति और दर्शन के महत्व को भारत के रूप में एक विश्व गुरु बनने की मांग - भैय्या जी जोशी

Oct 24, 2023 - 18:01
Mar 18, 2024 - 10:17
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भारतीय संस्कृति और दर्शन के महत्व को भारत के रूप में एक विश्व गुरु बनने की मांग -  भैय्या जी जोशी

विजयदशमी और शस्त्र पूजन के अवसर पर भैय्या जी जोशी द्वारा किया गया है। उन्होंने भारतीय संस्कृति और दर्शन के महत्व को बताया है और भारत के रूप में एक विश्व गुरु बनने की मांग की है। विशेष रूप से, उन्होंने शक्ति की आराधना के महत्व को बताया है और यह भी कहा है कि भारत को अपने मूल्यों पर चलने का भाव बनाए रखना चाहिए। उन्होंने अहिंसा की महत्वपूर्ण भूमिका को भी उजागर किया है और भारतीय समाज को सभी के साथ चलने का भाव बनाए रखने का संकल्प लिया है।

विजयादशमी उत्सव व शस्त्र पूजन कार्यक्रम के अवसर पर आदरणीय भैय्या जी जोशी का उद्बोधन

 आज (विजयदशमी) ही के दिन 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना नागपुर स्थित मोहिते के बाड़े में विजयादशमी के दिन की गई थी। तब से लेकर आज तक इस दिवस को विजयदशमी उत्सव के साथ-साथ स्थापना दिवस रूप में भी मनाया जाता रहा है। इस अवसर शस्त्र पूजन भी किया जाता है। इसी क्रम में इन्दिरापुरम, गाजियाबाद स्थित शिप्रा माॅल ग्रीन बेल्ट में आयोजित कार्यक्रम का प्रारंभ भैय्या जी जोशी (अखिल भारतीय कार्यकारणी सदस्य) द्वारा शस्त्र पूजन कर किया गया। इस अवसर पर आदरणीय भैय्या जी जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज संघ के 98 वर्ष हो गये हैं। देश भर में 9 दिनों से दुर्गा की आराधना हो रही है। जो व्रत पूजा हम करते हैं वह शक्ति की आराधना है। भगवान राम ने लंका पर राज करने या केवल मां सीता को छुड़ाने नहीं गये थे बल्कि रावण रूपी राक्षसी, असुरी शक्ति का नास करने को गये थे। और फिर विभीषण को लंका का राजा बनाया, स्वयं राजा नहीं बने थे जब कि शक्ति से बन सकते थे।

हिंदू समाज की अवधारणा शक्ति की आराधना या संग्रह किसी को डराने या पराजित करने के लिए नहीं बल्कि सज्जन शक्ति की रक्षा करने के लिए करता है। गर्व की बात है कि अब विश्व भारत की सुनता है यह विश्व भर में कार्य कर रहे डॉक्टरों, इंजीनियर्स और विभिन्न पदों पर कार्यरत प्रबुद्ध भारतीयों के कारण है और उनका उस देश के लिए योगदान है। आज विश्व भर में 21 जून को विश्व योगदिवस के रूप में मनाते हैं और भारत के आयुर्वेद को भी मान्यता मिल रही है। इस्कॉन के माध्यम से विश्व भर में भगवान श्री कृष्ण की उपासना लोग कर रहे हैं। जी-20 में विश्व भर से लोग भारत आये और विभिन्न देशों के लोगों ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों का अनुभव किया। विज्ञान के क्षेत्र में भारत आज पूरा विश्व के समकक्ष है मंगलयान, चांद्रायण के सफलता के बाद विश्व के वैज्ञानिक भी भारत के वैज्ञानिकों की सराहना कर रहे हैं। देश के नेतृत्व ने भी विश्व पटल पर भारत की बात पूर्ण शक्ति से रखी है और भारत का मान बढ़ाया है। भारत में अंग्रेजों का राज्य था 150 वर्षों तक लोकमान्य तिलक जी के शब्दों में "हमें अच्छा राज्य नहीं, अपना राज्य चाहिए"।

अब भारत वर्ष से ग़ुलामी की बेड़िया टूट रही है समाप्त हो रही है। भगवान श्री राम का भव्य, दिव्य मंदिर अल्प समय में बनने वाला है और इससे राष्ट्र के मान-सम्मान बढ़ेगा। सभी का मानना है कि राम मंदिर राष्ट्र के पुनरुत्थान का प्रारंभ है इसलिए यह राष्ट्र मंदिर है। राम राज्य चाहिए तो राम के प्रति भक्ति चाहिए। आज के असुर कौन है, राक्षस कौन है यह समझ कर चलना पड़ेगा, आज पहचाना पड़ेगा और उनका सामना कैसे करना है।

अभी-अभी युद्ध का वातावरण बना है, हिंसा के वातावरण है परंतु भारत अहिंसा में विश्वास रखता है और सज्जन शक्ति का संरक्षण आवश्यक मानता है। यूक्रेन में फंसे भारतियों को वहां से भारत लाने का कार्य सेना और शासन ने किया है जो "वसुधैव कुटुंबकम्" का ही उदाहरण है। "बहुजन सिखाय बहुजन हिताए" न होकर, "सर्वजन सिखाये सर्वजन हिताए" की बात हम करते हैं। भोगवाद पशुता का गुणधर्म है, मनुष्य संयमशील भोग करता है। हम भोगवाद को सीमित करते जाएं। इस भोगवाद से सब मुक्त हो, यह तत्व ज्ञान हमारे मनीषियों ने रखा। भारत का समाज अपने मूल्यों पर चलता आया समाज है। सबको साथ लेकर चलने का भाव है। हमें मूल्यों के प्रति जागृत होना है। मूल्यों में अगर क्षरण आता है तो समाज समाज नहीं रहेगा। मूल्यों के प्रति समाज जागृत रहे तो हमारा चिन्तन, हमारा पुरुषार्थ विश्व गुरु के रूप में बड़ा होगा। भारत विश्वगुरु बनेगा यह तय है परंतु हम सभी को अपनी सहभागिता तय करनी होगी। भविष्य के भारत का चिंतन करना पड़ेगा, भगीरथ बन गंगा रूपी भारत माता को पुनः विश्व गुरु बनाने का संकल्प लेना है। भविष्य के भारत का निर्माण करना हमारी जिम्मेवारी है।... 

इस अवसर पर नित्य संघ के शाखाओं पर होने वाला योग-व्यायाम की प्रदर्शनी नगर शारीरिक शिक्षण प्रमुख रंजीव एवं सह-शारीरिक शिक्षण प्रमुख अमन के नेतृत्व में किया गया। गणगीत माधव; अमृत वचन अभिनव; एकल गीत सामुहिक रूप से मनीष (महानगर सेवा प्रमुख, हरनन्दी महानगर) हरिश्चन्द्र (भाग बौद्धिक शिक्षण प्रमुख, सुदर्शन भाग/ इन्दिरापुरम), ओम प्रकाश (नगर बौद्धिक शिक्षण प्रमुख, इन्दिरापुरम) व प्रार्थना अंकित द्वारा प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम में लगभग 600 स्वयंसेवक ने सहभागी बनें व इस अवसर पर पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र प्रचारक महेन्द्र, क्षेत्र विमर्श प्रमुख सुशील; मेरठ प्रान्त सह-प्रचारक विनोद, प्रान्त विद्या भारती मंत्री राम वरुण; विभाग प्रचारक रोहित, कार्यवाह देवेन्द्र प्रताप; हरनंदी महानगर संघचालक प्रदीप, महानगर प्रचारक ललित शंकर, कार्यवाह आशीष, सह-कार्यवाह अमरदीप, टावर प्रमुख ओमप्रकाश; सुदर्शन भाग संघचालक ऋषभ, कार्यवाह सर्वेश; इन्दिरापुरम मध्य नगर संघचालक कृष्णानन्द, नगर कार्यवाह अमरीश, व्यवस्था प्रमुख कपिल आदि के साथ-साथ स्थानीय लोग भी उपस्थित रहे। 

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार