क्या आप जानते हैं बगैर नींव के 1000 सालों से खड़ा मंदिर का नाम

शिव का ये भव्य मंदिर? जमीन पर क्यों नहीं पड़ती इसके गुंबद की परछाईं? ग्रेनाइट से बने पहले मंदिर की अनकही दास्तां

Mar 31, 2024 - 11:54
Mar 31, 2024 - 14:14
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क्या आप जानते हैं बगैर नींव के 1000 सालों से खड़ा मंदिर का नाम

तंजावुर मंदिर: भव्य वास्तुकला और अनसुनी रहस्यमय दास्तानें

तंजावुर के बृहदेश्वर मंदिर को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है। इसके माध्यम से अत्यंत भव्यता को दर्शाने वाले इस मंदिर के पीछे छिपी कई रहस्यमय दास्तानें हैं। इस लेख में हम इन रहस्यों की खोज करते हैं:

  1. 80 टन भारी पत्थर का रहस्य: मंदिर के शिखर पर लगे 80 टन के भारी पत्थर का उत्कृष्ट रहस्य क्या है? यह भारी पत्थर कैसे ले जाया गया और शिखर की परछाईं जमीन पर क्यों नहीं पड़ती?

  2. तैयारी का समय: मंदिर को बनाने में कितना समय लगा और इस भव्य इमारत को सात सालों में कैसे तैयार किया गया?

  3. पत्थरों का उपयोग: मंदिर के निर्माण में कैसे ग्रेनाइट पत्थरों का प्रयोग किया गया? इसे बनाने में किस तकनीक का उपयोग किया गया और कितने आदमी लगे थे?

  4. विशेषताएं और पूजा प्रणाली: मंदिर की विशेषताएं और इसमें स्थापित देवी-देवताओं की पूजा प्रणाली के बारे में अनसुनी बातें।

  5. रक्षा और जीर्णोद्धार: मंदिर को कैसे मुगलों के हमलों से बचाया गया और किस प्रकार की जीर्णोद्धार कार्यों किए गए?

  6. अन्य रहस्यमय तथ्य: मंदिर से जुड़े अन्य रहस्यमय तथ्य और उनके विज्ञानिक अनुसंधान।

  7. प्राचीन संस्कृति का आदान-प्रदान: मंदिर का भारतीय संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व।

इस प्रकार, तंजावुर के बृहदेश्वर मंदिर की विशालकाय और रहस्यमय दास्तानें हमें उस समय की शैली, विज्ञान और संस्कृति के प्रति समर्पित करती हैं जब यह निर्मित हुआ था।

तंजावुर मंदिर: शिखर पर लगा 80 टन भारी पत्थर, जिसकी जमीन पर नहीं पड़ती परछाईं
सैकड़ों-हजारों साल से बगैर नींव के कैसे खड़ा हुआ है शिव का ये भव्य मंदिर? जमीन पर क्यों नहीं पड़ती इसके गुंबद की परछाईं? ग्रेनाइट से बने पहले मंदिर की अनकही दास्तां. देश में कई ऐसे मंदिर हैं जो न सिर्फ लोगों की आस्था बल्कि अपनी भव्य इमारत और उसे जुड़े बड़े रहस्यों के लिए जाने जाते हैं.
 
एक ऐसा ही मंदिर तमिलनाडु के तंजौर में स्थित है, जिसे देखकर लोग दांतों तले अंगुलियां दबाने के लिए मजबूर हो जाते हैं. देवों के देव महोदव को समर्पित इस मंदिर के भीतर हर चीज अपने आप में अनोखी है. 1000 साल से ज्यादा पुराने इस मंदिर को बृहदेश्वर मन्दिर के नाम से जाना जाता है. यह विश्व का पहला ऐसा मंदिर है जो ग्रेनाइट पत्थरों से बनाया गया है. खास बात ये भी यह पत्थर इस क्षेत्र के 100 किमी के दायरे में कहीं नहीं पाया जाता है. आइए भोलनाथ के इस भव्य मंदिर से जुड़े 7 बड़े रहस्यों को जानते हैं कब और कितने समय में तैयार हुआ मंदिर तंजौर स्थित बृहदेश्वर मन्दिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में चोल शासकों ने करवाया था. 
 
जिसका पहले नाम राजजेश्वर था, लेकिन बाद में मराठा शासकों ने इसका नाम बृहदेश्वर कर दिया. उस जमाने में इस मंदिर को बनाने में 130,000 टन ग्रेनाइट पत्थर का इस्तेमाल हुआ था, जबकि यह इस क्षेत्र के आस-पास कहीं नहीं पाया जाता है. 13 मंजिल ऊंचे इस मंदिर की ऊंचाई 66 मीटर है और यह 16 फीट ऊंचे ठोस चबूतरे पर बना हुआ है. बगैर नींव वाले इस विशाल मंदिर को पत्थर के उपर पत्थर रखकर सात साल में तैयार किया गया था। इस मंदिर का कई बार निर्माण और जीर्णोद्धार हुआ है. मान्यता है कि मुगलों के हमले से यह मंदिर कई बार क्षतिग्रस्त हुआ, जिसकी बाद में हिंदू राजाओं ने न सिर्फ मरम्मत करवाई बल्कि कई अन्य निर्माण भी करवाये.
 
शैव परंपरा से जुड़े बृहदेश्वर मन्दिर के भीतर 12 फीट ऊंचा शिवलिंग स्थापित है. जिनके दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से यहां पर पहुंचते हैं. मंदिर में महादेव के साथ भगवान कार्तिकेय, माता पार्वती और नंदी की विशाल प्रतिमा की भी पूजा होती है. एक ही पत्थर को तराशकर 20,000 किलो वजनी नंदी की विशाल प्रतिमा का निर्माण तकरीबन सोलहवी शताब्दी में नायक राजाओं के द्वारा करवायी गई थी. मान्यता है कि यह भारत में दूसरी सबसे बड़ी नंदी की प्रतिमा है. मंदिर से जुड़ी ये बातें आज तक बनी हुईं हैं
 
रहस्य बेहतरीन वास्तुकला लिए हुए इस मंदिर से जुड़ी कई ऐसी बाते हैं, जिनके जवाब आज तक नहीं खोज जा सके हैं. जैसे मंदिर शिखर पर 80,000 किलो का भारी भरकम पत्थर कैसे ले जाया गया होगा? इस मंदिर के शिखर की परछाईं आखिर जमीन पर क्यों नहीं पड़ती? जिस बृहदेश्वर मंदिर को बनाने में 1,30,000 टन पत्थर का प्रयोग हुआ है, वह सिर्फ सात सालों में कैसे तैयार हो गया? आखिर इस मंदिर को बनाने में किस टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया होगा? इसे बनाने में आखिर कितने आदमी लगे होंगे? लेख फोर्मेट में लिखनी है
 
 
तंजावुर, तमिलनाडु के बड़े मंदिर से यह एक शांत झलक प्रदर्शित होती है। इसके अलावा, तंजावुर की विशिष्ट पेंटिंग शैली भी प्रसिद्ध है, जो सोने की पन्नी, फीता, और अर्ध कीमती पत्थरों जैसी सामग्री का उपयोग करके सुंदर सजावट बनाती है। #तमिलनाडु #मंदिर #तंजावुर #पेंटिंगशैली #विरासत #प्रेरणा

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार