"जब विराट कोहली विंबलडन में दिखे, तो सवाल उठा – टीम इंडिया का मैच क्यों नहीं देखा?"

"जब विराट कोहली विंबलडन में दिखे, तो सवाल उठा – टीम इंडिया का मैच क्यों नहीं देखा?, When Virat Kohli was seen at Wimbledon, the question arose why did he not watch Team India match

Jul 8, 2025 - 05:41
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"जब विराट कोहली विंबलडन में दिखे, तो सवाल उठा – टीम इंडिया का मैच क्यों नहीं देखा?"
"जब विराट कोहली विंबलडन में दिखे, तो सवाल उठा – टीम इंडिया का मैच क्यों नहीं देखा?"

"जब विराट कोहली विंबलडन में दिखे, तो सवाल उठा – टीम इंडिया का मैच क्यों नहीं देखा?"

विराट कोहली — एक ऐसा नाम जो सिर्फ क्रिकेट का हिस्सा नहीं, बल्कि भारतीय खेल भावना का प्रतीक बन चुका है। जब विराट ने हाल ही में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया, तो लाखों फैंस भावुक हुए। और अब जब भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट मैच चल रहा है और विराट उसी देश में मौजूद हैं, तो सवाल उठ रहा है — क्या उन्हें स्टेडियम जाकर टीम इंडिया का हौसला नहीं बढ़ाना चाहिए था?

विंबलडन में दिखे विराट और अनुष्का, सोशल मीडिया पर मचा शोर

सोमवार की रात विराट कोहली और अनुष्का शर्मा विंबलडन 2025 के एक मुकाबले में नोवाक जोकोविच को सपोर्ट करते नजर आए। यह तस्वीरें जैसे ही सोशल मीडिया पर आईं, फैंस के बीच यह चर्चा गर्म हो गई कि जब विराट इंग्लैंड में ही हैं, तो वह टीम इंडिया का मैच देखने स्टेडियम क्यों नहीं पहुंचे?

क्या विराट को टेस्ट मैच देखना चाहिए था?

इसमें कोई दोराय नहीं कि विराट कोहली टेस्ट क्रिकेट के सबसे बड़े आइकॉन्स में से एक हैं। उन्होंने न केवल टेस्ट में शानदार प्रदर्शन किया है, बल्कि टीम इंडिया की आक्रामक मानसिकता की नींव भी रखी। ऐसे में उनकी स्टेडियम में मौजूदगी का एक मनोवैज्ञानिक असर पड़ सकता था — चाहे वह ड्रेसिंग रूम में हों या दर्शकों के बीच।

उनकी एक झलक टीम के युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बन सकती थी। कई फैंस का मानना है कि विराट स्टैंड्स में दिखते तो यह दृश्य ‘लीजेंड अपने उत्तराधिकारियों को खेलते देख रहा है’ जैसा भाव जगाता।

संन्यास की पृष्ठभूमि में बढ़ी संवेदनशीलता

जब से विराट कोहली ने टेस्ट से संन्यास लिया है, हर उनका कदम कुछ ज्यादा ही गौर से देखा जा रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि शायद यह संन्यास पूरी तरह स्वेच्छा से नहीं था। क्या यह किसी दबाव में लिया गया फैसला था? क्या विराट अभी भी मानसिक तौर पर उससे उबर रहे हैं?

और शायद यही वजह है कि वह खुद को क्रिकेट से थोड़ा दूर रख रहे हैं। विंबलडन जैसे इवेंट में दिखना एक निजी पसंद हो सकती है, लेकिन फैंस और क्रिकेट प्रेमियों की भावनाएं अक्सर इन बातों को अलग नजर से देखती हैं।

क्या यह ‘ओवर रिएक्शन’ है?

कई लोगों का यह भी मानना है कि हर सेलेब्रिटी की हर गतिविधि को क्रिकेट के संदर्भ में देखना सही नहीं है। विराट और अनुष्का लंदन में अपने बच्चे के साथ शांत जीवन जी रहे हैं, और शायद वह जानबूझकर अपने पारिवारिक समय को क्रिकेट से दूर रख रहे हैं।

विंबलडन एक प्रतिष्ठित इवेंट है और विराट खुद एक बड़े स्पोर्ट्स लवर हैं। वहां जाना उनकी निजी पसंद हो सकती है। और जरूरी नहीं कि वह क्रिकेट से भावनात्मक रूप से कट गए हों।

क्या स्टेडियम जाना उनकी जिम्मेदारी थी?

यह सवाल दो हिस्सों में बंटा है:

  1. फैन का नजरिया: एक फैन के लिए विराट को टीम इंडिया के साथ जुड़े देखना गर्व और उत्साह की बात है। यह एक प्रतीकात्मक समर्थन होता जो युवाओं और साथी खिलाड़ियों को प्रेरित कर सकता था।

  2. विराट का नजरिया: विराट कोहली फिलहाल अपने जीवन के उस दौर में हैं जहां वह प्रोफेशनल और पर्सनल बैलेंस बना रहे हैं। टेस्ट से संन्यास के बाद वह अब शायद भावनात्मक रूप से कुछ दूरी बना रहे हैं ताकि टीम इंडिया की नई पीढ़ी को स्पेस मिल सके।

निष्कर्ष: हर चुप्पी एक दूरी नहीं होती

विराट कोहली का स्टेडियम में न दिखना एक बहस का मुद्दा जरूर हो सकता है, लेकिन इसे उनके इरादों या भावना से जोड़ना जल्दबाज़ी हो सकती है। उनका योगदान भारतीय क्रिकेट को इतना गहरा है कि एक मैच न देखने को लेकर उनके समर्पण पर सवाल खड़ा करना न्यायसंगत नहीं लगता।

विराट का टेस्ट मैच देखने जाना क्यों जरूरी था?
कोहली भले ही टेस्ट क्रिकेट से रिटायर हो चुके हों, लेकिन उनका ऑरा इतना बड़ा है जो ड्रेसिंग रूम से लेकर स्टेडियम तक महसूस किया जा सकता है. उनकी मौजूदगी टीम इंडिया को मनोवैज्ञानिक बढ़त दे सकती थी. अगर वह स्टैंड्स में नजर आते तो यह फैंस समेत युवा प्लेयर्स के लिए भी एक बड़ा भावनात्मक पल होता. जैसे ‘लीजेंड’ अपने उत्तराधिकारियों को खेलते देख रहा हो. 

जोकोविच को विराट ने कहा ‘ग्लैडिएटर’
पूर्व चैंपियन नोवाक जोकोविच ने ऑस्ट्रेलिया के एलेक्स डी मिनौर को 1-6, 6-4, 6-4, 6-4 से हराकर 16वीं बार विंबलडन क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली. 37 वर्षीय सर्बियाई खिलाड़ी ने शुरुआत में लय खो दी थी, लेकिन अपनी जुझारू शैली और अनुभव के दम पर वापसी की और तीन घंटे 18 मिनट तक चले मैच में जीत दर्ज की. क्वार्टर फाइनल में उनकी टक्कर इटली के युवा खिलाड़ी फ्लावियो कोबोली से होगी, जिन्होंने मारिन सिलिच को हराकर पहली बार विंबलडन के अंतिम-8 में जगह बनाई हैॉ. जोकोविच अब 25वें ग्रैंड स्लैम खिताब और आठवीं विंबलडन ट्रॉफी से सिर्फ तीन जीत दूर हैं. विराट कोहली ने भी जोकोविच की तारीफ करते हुए उन्हें ‘ग्लैडिएटर’ कहा यानी एक ऐसा योद्धा जो मुश्किल हालात में भी डटा रहता है और जीत के लिए आखिरी दम तक लड़ता है.

वह विंबलडन में थे, वह खुश दिखे, और शायद यही वह समय है जब उन्हें भी एक सामान्य इंसान की तरह जीने दिया जाना चाहिए — बिना हर हरकत के पीछे कोई व्याख्या खोजे।


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