नेताओं के मन की आवाज : कमल किशोर सक्सेना

राज्यसभा की सीटों  के लिए मतदान हुआ। इसमें कुछ मतदाताओं को आत्मा और मन की आवाज जिस अंदाज में सुनाई दी, उससे देश भर में ध्वनि प्रदूषण हो गया।

Mar 3, 2024 - 23:24
Mar 4, 2024 - 12:08
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नेताओं के मन की आवाज : कमल किशोर सक्सेना

नेताओं के मन की आवाज

नेताओं को जनता की समस्याएं भले न सुनाई दें, किंतु आत्मा या मन कौ आवाज तड़ से सुनाई दे जाती है

पिछले दिनों राज्यसभा की सीटों  के लिए मतदान हुआ। इसमें कुछ मतदाताओं को आत्मा और मन की आवाज जिस अंदाज में सुनाई दी, उससे देश भर में ध्वनि प्रदूषण हो गया। एक राज्य की सरकार की चूलें भी हिल गईं। इसे कहते हैं आत्मा के आवाज की ताकत, लेकिन कभी आपने विचार किया है कि क्या होती है आत्मा या फिर मन की आवाज ? यह समझने से पहले आत्मा के बारे में जानना जरूरी है। आत्मा अजर-अमर तो है, लेकिन उसके रूप-स्वरूप के बारे में कोई नहीं जानता। विज्ञान गूगल की खोज होने के पहले से गूगल का काम कर रहा है, किंतु 'वायस आफ आत्मा' टाइप करते ही वह भी हैंग हो जाता है।

नेताओं के मन की आवाज जनता की समस्याएं भले न सुनाई दें किंतु आत्मा की आवाज  तड़ से सुनाई दे जाती है - voice of the mind of leaders and the problems

मन की आवाज के बारे में भी पता नहीं चला कि वह कैसे सुनाई देती है। विज्ञान चाहे जितना बड़ा ज्ञानी बने, मगर यह भी नहीं जानता कि आत्मा है क्या। आदिकाल से जितने भी मनुष्यों का निर्माण हुआ या हो रहा है, उन सब में पंचतत्वों के साथ आत्मा भी फिट किया जाता रहा है। शरीर और आत्मा का बिछोह मौत के बाद ही होता है, मगर आत्मा कभी नहीं मरता, बस अपना रूप बदलता है। उसे किसी ने आज तक नहीं देखा, लेकिन उसकी आवाज सुनने की बात अक्सर सुनी जाती है। हालांकि यह कोई नहीं बताता कि वह आवाज कैसी है। मधुर है या कर्कश। साथ ही यह बात भी रहस्य है कि आत्मा कहता क्या है, जिसे सुनना जरूरी होता है।

या बिना कुछ कहे ही बहुत कुछ सुन लिया जाता है। राजनीति में आत्मा और मन की आवाज का बहुत महत्व है। हाईकमान से ज्यादा, कुर्सी से कम। अक्सर दलबदल, राज्यसभा या विधान परिषद के लिए मतदान के क्षणों में नेताओं का आत्मा बोल उठता और मन डोल जाता है। हालांकि विज्ञानी यह भी पता नहीं लगा सके हैं कि आत्मा कहां से बोलता है? आवाज निकलने के लिए जिस हलक की जरूरत होती है, वह भी आत्मा के पास होता है या नहीं? नेता लोग आत्मा और मन की आवाज सुनने के विशेषज्ञ माने जाते हैं। वैसे इस बात पर लोगों में मतभेद हो सकता है कि हर नेता के पास आत्मा होता है, लेकिन यह मान लिया जाता है कि जो व्यक्ति डेढ़ क्विंटल का शरीर धारण किए है, उसके पास दस-बीस ग्राम का आत्मा भी होगा और वह आत्मा न सही, मन की आवाज तो सुनता ही होगा। यही कारण है कि नेताओं को गरीबों का आर्तनाद, जनता की समस्याएं, घोटालों का

कोलाहल भले न सुनाई दे, किंतु आत्मा या मन की आवाज तड़ से सुनाई दे जाती है।

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हमारे एक गैर राजनीतिक मित्र ने कई बार अपने आत्मा और मन की आवाज सुनने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। आत्मा शरीर के भीतर होता है, यह तो उन्हें भी पता था, लेकिन कहां होता है, यह नहीं पता। माना यह जाता है कि शरीर से प्राण निकलने के साथ आत्मा भी साथ छोड़ देता है। कुछ लोग प्राण और आत्मा को एक ही मानते हैं। मेडिकल साइंस के अनुसार दिल की धड़कन बंद होने या दिमाग के निष्क्रिय होने पर मनुष्य को प्राण विहीन अर्थात मृत मान लिया जाता है।

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अतः मित्रवर ने सोचा कि आत्मा का निवास स्थान दिल या दिमाग में से किसी जगह होता होगा। दिल सीने में होता है। सीना, पेट और गले के बीच में। यह आकलन कर उन्होंने अपने कान सीने तक ले जाने की कई पुरजोर कोशिश की, मगर नाकाम रहे। फिर उन्होंने मन को टटोला। इस चक्कर में उन्हें पेट के भीतर होने वाली गुड़गुड़ाहट तो सुनाई दे गई, किंतु आत्मा या मन की कानाफूसी तक हाथ न लगी। यही हाल शरीर के टाप फ्लोर का भी रहा। दिमाग सिर के भीतर और कान बाहर होते हैं। फिर भी उन्हें कोई आवाज नहीं सुनाई दी। जबकि दोनों एक ही मकान में रहते हैं। मित्र ने अपने कानों को खींच खींचकर, आत्मा या मन की आवाज सुनने की कोशिश की। आवाज तो न सुनाई दी, उल्टे अब वह ऊंचा सुनने लगे हैं।

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