समृद्ध और सशक्त भारत की रूपरेखा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के व्यापक आर्थिक प्रभाव को रेखांकित करते हैं। वर्ष 2018-19 के इकोनमिक सर्वे में वर्ष 2024-25 तक भारत को पांच ट्रिलियन डालर की आर्थिकी बनाने के लिए (चार प्रतिशत की अनुमानित मुद्रास्फीति के साथ) आठ प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि की आवश्यकता बताई गई थी।

May 27, 2024 - 20:07
May 28, 2024 - 17:05
 0
समृद्ध और सशक्त भारत की रूपरेखा

समृद्ध और सशक्त भारत की रूपरेखा

भापूरे सौ वर्ष हो जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उस पड़ाव तक पहुंचने से पहले देश को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है। इस संकल्प की पूर्ति के प्रयासों के लिए इस अवधि को अमृतकाल का नाम दिया गया है। चूंकि किसी भी राष्ट्र के विकसित होने की एक प्राथमिक कसौटी उसकी आर्थिक प्रगति से निर्धारित होती है तो इस पैमाने पर भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की दशा-दिशा पर दृष्टि डालनी होगी। वर्ष 2024 तक भारत की प्रति व्यक्ति आय लगभग 2,700 डालर तो प्रति व्यक्ति क्रय शक्ति क्षमता यानी पीपीपी आय करीब 10,120 डालर है। भारत की जीडीपी कुल 3.9 ट्रिलियन (लाख करोड़ डालर और (आधिकारिक विनिमय दरों पर करीब 14.6 ट्रिलियन डालर है।

ये आंकड़े भारत के व्यापक आर्थिक प्रभाव को रेखांकित करते हैं। वर्ष 2018-19 के इकोनमिक सर्वे में वर्ष 2024-25 तक भारत को पांच ट्रिलियन डालर की आर्थिकी बनाने के लिए (चार प्रतिशत की अनुमानित मुद्रास्फीति के साथ) आठ प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि की आवश्यकता बताई गई थी। इसी बीच कोविड महामारी ने उस योजना को बेपटरी कर दिया। इसके बावजूद भारत की आर्थिक आकांक्षाएं  उसी प्रकार कायम हैं, जिसमें सतत एवं समावेशी वृद्धि पर ध्यान केंद्रित हैं। देश की आर्थिक वृद्धि की गति के हिसाब से 2047 तक प्रति व्यक्ति आय कम से कम 10,000 डालर और आर्थिकी का आकार 20 ट्रिलियन डालर तक पहुंचने का अनुमान है।

इस वृद्धि से भारत निम्न मध्यम-आमदनी से निकलकर उच्च-मध्यम आय वाली श्रेणी में पहुंचकर उच्च निकट पहुंच जाएगा। इसी मानव विकास की श्रेणी में ऊंची छलांग के लिए भी रणनीति बनाई है। अभी भारत में जीवन प्रत्याशा 70.8 वर्ष है जो वर्ष 2047 तक बढ़कर 78 वर्ष है। यह उपलब्धि आशातीत सुधार से संभव है। इसके अतिरिक्त शिक्षा से जुड़े सुधार भी व्यापक रूप से प्रगति पर अपनी छाप छोड़ेंगे। उद्योगीकरण के साथ ही डिजिटल इकोनमी की वृद्धि को प्रोत्साहन देने वाली आर्थिक नीतियां भी उपयोगी सिद्ध होंगी। विकसित भारत के हासिल करने की दिशा में कुछ रणनीति आवश्यक लग रही हैं। इसमें सर्वप्रथम वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी को नहीं। इससे सक्षमता का स्तर और बढ़ेगा।


इसके साथ जीएसटी को छह, 12 और 18 प्रतिशत की तीन श्रेणियों में विभाजित करने से अनुपालन लागत एवं विवाद घटेंगे। रियायतों को समाप्त कर निजी एवं कारपोरेट करों को सरल बनाया जाए, जिससे समानता का स्तर बढ़ने के साथ ही मुकदमेबाजी घटेगी और पारदर्शी कर व्यवस्था बनेगी। इससे जीडीपी के अनुपात में करों की हिस्सेदारी 18 से बढ़कर 23 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है, जिससे सार्वजनिक वस्तुओं एवं सेवाओं और निवेश बढ़ने की राह खुलेगी। आर्थिक वृद्धि की गति बनाए रखने में के लिए निजी क्षेत्र के निवेश में निरंतरता आवश्यक है। वर्ष 2024 तक भारत सकल नियत पूंजी निर्माण करीब प्रतिशत के स्तर पर है। देश में उत्पादकता वृद्धि की दर पांच प्रतिशत है, जबकि जनसांख्यिकीय लाभांश के चलते बड़ी कामकाजी आबादी से भारी वृद्धि संभावनाएं और जगती हैं। जीडीपी करीब 20 प्रतिशत का योगदान देने वाले निर्यात को भी बढ़ाना होगा।

बुनियादी में सुधार, कारोबारी नियमनों का सुगम होना और लाभकारी व्यापार समझौतों से नियांत में वृद्धि के साथ ही एफडीआइ नीतियां बेहतर विकास की आधारशिला रखेंगी। इसलिए स्थानीय सरकारों का सशक्तीकरण समावेशी वृद्धि के लिए अपरिहार्य है। स्थानीय स्तर पर स्वायत्तता और विकेंद्रीकरण बढ़ाने से जिम्मेदार एवं जवाबदेह शासन को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय बुनियादी ढांचे एवं सेवाओं में सुधार से संतुलित क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित होने के साथ ही बड़े पैमाने पर हो रहे शहरी पलायन के बढ़ते दबाव को भी कम किया जा सकेगा। इस समय भारत का सार्वजनिक व्यय जीडीपी का 27 प्रतिशत है। इसलिए व्यय की प्राथमिकता तय करना और स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसी सामाजिक सेवाओं के साथ ही बुनियादी ढांचे पर ध्यान बेहतर परिणाम प्रदान कर सकता है। इस दिशा में विभिन्न सरकारी विभागों के बीच व्यय में तालमेल बिठाने के लिए सार्वजनिक व्यय परिषद का गठन उपयोगी होगा। इस रणनीतिक आवंटन से बुनियादी ढांचा और सामाजिक सेवाओं में सुधार के साथ ही उनकी गुणवत्ता एवं उन तक पहुंच की स्थिति सुधरेगी। वर्ष 2047 तक भारत की यात्रा परिवर्तन एवं अवसरों से भरी है।

व्यापक सुधारों  समावेशी वृद्धि और जनसांख्यिकीय एवं आर्थिक संभावनाओं का लाभ उठाकर एक समृद्ध एवं विकसित राष्ट्र का सपना साकार किया जा सकता है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए प्रतिबद्धता, रणनीतिक योजनाओं के साथ ही सही समन्वय आवश्यक होगा। उचित दृष्टि और दृढ़ता के साथ भारत एक वैश्विक लीडर के रूप में उभर सकता है। (देवराय प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के प्रमुख और सिन्हा परिषद में
ओएसडी अनुसंधान हैं) 

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

सम्पादक देश विदेश भर में लाखों भारतीयों और भारतीय प्रवासियों लोगो तक पहुंचने के लिए भारत का प्रमुख हिंदी अंग्रेजी ऑनलाइन समाचार पोर्टल है जो अपने देश के संपर्क में रहने के लिए उत्सुक हैं। https://bharatiya.news/ आपको अपनी आवाज उठाने की आजादी देता है आप यहां सीधे ईमेल के जरिए लॉग इन करके अपने लेख लिख समाचार दे सकते हैं. अगर आप अपनी किसी विषय पर खबर देना चाहते हें तो E-mail कर सकते हें newsbhartiy@gmail.com