होली के बाद होगी जुम्मे की नमाज: मुस्लिम धर्मगुरुओं ने लिया अहम फैसला, प्रशासन ने सराहा

Jumme namaz held after Holi Muslim religious leaders took important decision administration appreciated , होली के बाद होगी जुम्मे की नमाज: मुस्लिम धर्मगुरुओं ने लिया अहम फैसला, प्रशासन ने सराहा

होली के बाद होगी जुम्मे की नमाज: मुस्लिम धर्मगुरुओं ने लिया अहम फैसला, प्रशासन ने सराहा

होली के बाद होगी जुम्मे की नमाज: मुस्लिम धर्मगुरुओं ने लिया अहम फैसला, प्रशासन ने सराहा

बरेली: इस साल होली और रमजान का पहला जुम्मा एक ही दिन पड़ने के कारण मुस्लिम धर्मगुरुओं ने सौहार्द और भाईचारे को ध्यान में रखते हुए बड़ा फैसला लिया है। शहर की मस्जिदों में शुक्रवार को जुम्मे की नमाज दोपहर 2 बजे पढ़ी जाएगी ताकि होली का त्योहार शांतिपूर्वक मनाने के बाद नमाज अदा की जा सके।

सौहार्द की मिसाल बना बरेली

बरेली के प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरुओं और प्रशासन के बीच हुई चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया। आमतौर पर जुम्मे की नमाज दोपहर 12:30 से 1:30 बजे के बीच अदा की जाती है, लेकिन इस बार समय को आगे बढ़ाकर दोपहर 2 बजे कर दिया गया है। इससे दोनों समुदाय अपने-अपने धार्मिक अनुष्ठानों को पूरी श्रद्धा और शांति के साथ निभा सकेंगे।

एडीजी बरेली जोन डॉ. रमेश शर्मा ने इस पहल की तारीफ करते हुए कहा, "यह सौहार्द और भाईचारे की मिसाल है। हमें गर्व है कि बरेली के लोग एक-दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान कर रहे हैं। यह निर्णय समाज में एक सकारात्मक संदेश देगा।"

मस्जिदों में हुई घोषणा, विवाद से बचने की पहल

मुस्लिम धर्मगुरुओं ने यह सुनिश्चित किया कि इस फैसले की जानकारी सभी लोगों तक पहुंचे। इसके लिए मस्जिदों में घोषणा कर दी गई है और स्थानीय मुस्लिम संगठनों ने भी अपने स्तर पर लोगों को जागरूक किया है। ताकि किसी भी प्रकार के भ्रम या असमंजस की स्थिति न बने और त्योहार शांतिपूर्वक संपन्न हो सके।

प्रशासन अलर्ट, सुरक्षा के किए इंतजाम

होली और जुम्मे के एक ही दिन पड़ने से किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं। संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है, साथ ही ड्रोन कैमरों की मदद से निगरानी रखी जाएगी। डीएम और एसपी ने दोनों समुदायों से शांति बनाए रखने की अपील की है।

पहले भी हो चुके हैं ऐसे फैसले

यह पहली बार नहीं है जब धार्मिक सौहार्द बनाए रखने के लिए इस तरह का फैसला लिया गया हो। इससे पहले भी विभिन्न त्योहारों पर सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए धार्मिक स्थलों और संगठनों द्वारा समय में बदलाव किए गए हैं।

समाज में सकारात्मक संदेश

इस फैसले को लेकर मुस्लिम और हिंदू दोनों समुदायों में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस पहल से आपसी भाईचारा मजबूत होगा और त्योहारों की रौनक भी बनी रहेगी।

इस निर्णय से बरेली का यह कदम पूरे देश के लिए मिसाल बन सकता है, जहां लोग एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए सौहार्दपूर्ण वातावरण में अपने त्योहारों को मना सकें।

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