विकसित भारत के लिए समग्र दृष्टिकोण आवश्यक: RSS प्रमुख मोहन भागवत

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुग्राम में आयोजित 'विजन फॉर विकसित भारत (विविभा: 2024)' सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने पर्यावरण, विकास और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। इसरो अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ ने चंद्रमा पर मानव मिशन और स्पेस स्टेशन के लक्ष्य साझा किए, जबकि कैलाश सत्यार्थी ने समावेशी विकास की आवश्यकता पर चर्चा की।

Nov 16, 2024 - 06:07
Nov 16, 2024 - 06:21
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विकसित भारत के लिए समग्र दृष्टिकोण आवश्यक: RSS प्रमुख मोहन भागवत

विकसित भारत के लिए समग्र दृष्टिकोण आवश्यक: RSS प्रमुख मोहन भागवत

गुरुग्राम में शुक्रवार को आयोजित विजन फॉर विकसित भारत (विविभा: 2024) सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने किया। इस कार्यक्रम का आयोजन भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा एसजीटी विश्वविद्यालय में 15 से 17 नवंबर तक किया जा रहा है। उद्घाटन सत्र में इसरो अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी भी उपस्थित थे। सम्मेलन में देशभर के 1200 शोधार्थी शामिल हुए।

विकास और पर्यावरण का संतुलन ज़रूरी

मोहन भागवत ने कहा कि आज का समय भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में देखने की मांग कर रहा है। उन्होंने कहा, "दुनिया की केवल 4% आबादी 80% संसाधनों का उपभोग करती है। यह असंतुलन पर्यावरणीय समस्याओं को बढ़ावा दे रहा है।" उन्होंने जोर देकर कहा कि विकास को केवल आर्थिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि आत्मिक और भौतिक समृद्धि के साथ समग्र रूप में देखा जाना चाहिए।

भागवत ने कहा, "16वीं शताब्दी तक भारत हर क्षेत्र में अग्रणी था, लेकिन हम रुक गए और पीछे रह गए। अब हमें खुद के प्रतिमान खड़े करने होंगे और नकल से बचना होगा। अगर आज से काम शुरू करें तो 2047 तक विकसित भारत का सपना साकार होगा।"

स्पेस स्टेशन और चंद्रमा पर मानव मिशन लक्ष्य: इसरो अध्यक्ष

इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने चंद्रयान मिशन की सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत 2040 तक चंद्रमा पर मानव मिशन और अपना स्पेस स्टेशन तैयार करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के विजन को साकार करने के लिए इसे सही समय बताया।

समावेशी विकास की परिभाषा: कैलाश सत्यार्थी

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने सम्मेलन में कहा कि भारत को अपने मॉडल पर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "भारत की परंपराएं और जड़ें गहरी हैं। हमें अपनी विकास की परिभाषा तय करनी होगी। भारत को हाथ फैलाने की जरूरत नहीं है।"

सम्मेलन का उद्देश्य

तीन दिवसीय इस सम्मेलन में देश-दुनिया के विकास मॉडल, पर्यावरणीय चुनौतियों, और भारतीय दृष्टिकोण पर चर्चा की जा रही है। मोहन भागवत ने अपनी बात में जोड़ा कि अपने देश के लोगों को सही दिशा में प्रेरित करने के लिए कभी-कभी अनुशासन भी लागू करना पड़ता है।

यह सम्मेलन भारत के आत्मनिर्भर और विकसित भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हो रहा है।