अयोध्या राम मंदिर का इतिहास जो सबको नहीं पता आज तक
इंडिया में दंगे हुए और हजारों लोगों की जान गई और ये एक ऐसा केस था जहां पर भगवान राम खुद अपना केस लड़ते हैं
मस्जिद को चारों तरफ से घेर लेते हैं और मस्जिद के अंदर कोल से राम लिख देते हैं वहीं लश्कर तैबा के पांच आतंकी अटैक करने के लिए घुस जाते हैं 500 मुस्लिम फॉलोअर्स को इकट्ठा करते हैं और हनुमान गढ़ी में हमला कर देते हैं एक गाय की हत्या कर दी जाती है अयोध्या के शाहजहांपुर विलेज में एक बंदर था व भी भगवा झंडा लेके गुंबद पे चढ़ गया था राम लला हम आए हैं मंदिर यहीं बनाएंगे एक ही टाइम पे जब अजान होती थी उसी टाइम पे शंख बचता था अगर मिट्टी भी पड़ी थी तो मिट्टी के ऊपर भी पुजारियों ने पूजा की लेकिन पूजा को रोका नहीं विवादित ढांचा को गिराने की पूरी प्लानिंग की गई और ऐसा इसलिए किया गया उमा भारती ने अपने बाल कटवा लिए ताकि उनको पहचाना ना जा सके पाकिस्तान क्या करता है वो अपने देश के अंदर 30 हिंदू मंदिर तोड़ देता कांग्रेस जो थी वो दोनों ग्रुप को सपोर्ट करने के चक्कर में आख बंद करके बैठी थी
जन्मभूमि इंडिया की हिस्ट्री का सबसे पुराना और कॉम्प्लिकेटेड मुद्दा है जिसको लेके अगर आज भी लोग बात करते हैं तो सेंसिटिव हो जाते हैं इस एक डिस्प्यूट की वजह से सिर्फ अयोध्या में ही नहीं या फिर एक स्टेट में ही नहीं बल्कि पूरे इंडिया में दंगे हुए और हजारों लोगों की जान गई और ये एक ऐसा केस था जहां पे भगवान राम खुद अपना केस लड़ते हैं प्रॉपर उनकी फाइल बनती है सुप्रीम कोर्ट के अंदर अब देखिए आई एम श्यर कि इस मुद्दे के बारे में आपको जरूर पता होगा लेकिन सुप्रीम कोर्ट के 1045 पेजेस की जो जजमेंट है उसमें कुछ ऐसी डिटेल्स है जिसमें आपको एक्चुअल रीजन समझ में आएगा कि क्यों ये लड़ाई 16th सेंचुरी से आज तक चली आ रही है पूरा ये जो जजमेंट है ये मैंने पढ़ा है और इस पूरी वीडियो में आप मेरे मुंह से एक भी चीज ऐसी नहीं सुनोगे जो सुप्रीम कोर्ट का जो जजमेंट है उससे बाहर हो या फिर गवर्नमेंट की रिपोर्ट्स न्यूज़ या फिर आर्कलॉजिकल सर्वे की जो रिपोर्ट थी उससे बाहर हो इस वीडियो को बनाने के पीछे का जो रीजन है
वो बस यही है कि एक बार के लिए हम लोग अपने बायस को साइड में रख के फैक्ट के बेसिस में देखें कि आखिर ये सारी चीजें हुई क्यों इनके पीछे रीजंस क्या थे और सुप्रीम कोर्ट एक्चुअल में क्या कहता है हम अपने राज में गंगा फसाद को फैलने और मंदिर वही बनाएंगे तो देखिए ये इंडिया के अंदर ये उत्तर देश उत्तर प्रदेश के अंदर ये एरिया है अयोध्या डिस्ट्रिक्ट पहले इसका नाम फैजाबाद डिस्ट्रिक्ट था अभी चेंज हो के अयोध्या डिस्ट्रिक्ट हो गया है तो अयोध्या डिस्ट्रिक्ट के के अंदर ये सरयू नदी से इधर ये वो 2.77 एकड़ का लैंड है और ये जो प्लॉट नंबर है इसका 583 है जिसको लेके इंडिया की हिस्ट्री का सबसे पुराना और सबसे बड़ा लैंड डिस्प्यूट शुरू हुआ और आज की डेट में यहां पे राम मंदिर बन रहा है और अभी आप न्यूज़ में ये वाला मैप देखते होंगे राम मंदिर के लिए ये जो पूरा ग्रीन पार्ट आप देख रहे हो ये 67.7 एकड़ का एरिया है लेकिन डिस्प्यूटेड एरिया जो है वो ये पूरा ग्रीन पार्ट नहीं है डिस्प्यूटेड एरिया जो है वो ये इधर 2.77 एकड़ का जो एरिया है इसको प्लॉट नंबर 583 भी कहते हैं ये यहां पे है इस के अंदर भी 0.31 एकड़ का जो एरिया है वो एक्चुअल डिस्प्यूट का एरिया है तो यहां पे ही ये राम मंदिर बन रहा है अब आप एक क्वेश्चन ये भी कह सकते हो कि 67.7 एकड़ का ये जो ग्रीन पार्ट है यहां पे पूरा क्यों नहीं बनाया गया इसी इलाके में क्यों बनाया गया तो देखिए थोड़ा सा वेट करिए अब ये सारी चीजें आपको स्टेप बाय स्टेप समझ में आ जाएंगी तो देखिए 500 बीसी का टाइम था और हिंदू पौराणिक बुक्स जैसे रामायण हो गई
भविष्य पुराण हो गए इनफैक्ट लोमेश रामायण जो थे उनकी स्क्रिप्ट्स हो गई इन सब की डिटेल्स को अगर जोड़ें तो जो अयोध्या था वो किंग किंगडम ऑफ कौसला की कैपिटल थी तो अब यहां से होता क्या है कि भगवान राम के बेटे महाराजा कुश जो थे वो अपने फादर भगवान राम के जन्म स्थान पे सबसे पहले अयोध्या में राम मंदिर बनवाते हैं और फिर इसके बाद पीढ़ी दर पीढ़ी इनके जो वंशज थे उन्होंने राज किया इस एरिया में तो ऐसे कर कर के इनकी पीढ़ी से 44 राजा आते हैं जिन्होंने इस एरिया में राज किया और जो आखिरी राजा थे वो थे बृहद बला जिन्होंने अयोध्या प राज किया अब इन्हीं के टाइम पे महाभारत स्टार्ट होती है और महाभारत की लड़ाई में बृहद बला जो थे उनको अभिमन्यु मार देते हैं और जब इनकी डेथ हो जाती है तो इनकी डेथ के बाद अयोध्या और जो राम मंदिर था उसकी हालत बहुत खराब हो जाती है टूटने जैसी हो जाती है अब इसके बाद ईयर 57 एडी में उज्जैन के जो सम्राट थे
महाराजा विक्रमादित्य ये शिकार के लिए अयोध्या पहुंचते हैं और जब ये अयोध्या पहुंचते हैं तो यहां पे संतों से मिलते हैं और जब इनको यहां की हिस्ट्री पता चलती है तो बहुत ज्यादा इंप्रेस हो जाते हैं तो उसके बाद ये क्या करते हैं कि ये राम मंदिर और ये जो पूरा अयोध्या शहर था इसको दोबारा से बनवाते हैं तो इनके टाइम पे राम मंदिर और पूरे अयोध्या का जो इंफ्रास्ट्रक्चर था वो बहुत ज्यादा डेवलप हुआ और इसके बारे में जो सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट है उसके पेज नंबर 673 थ में भी मेंशन किया गया है अब यहां तक तो सारी चीजें सही चल रही थी इसके बाद ईयर आता है 1526 जब बैटल ऑफ पानीपत होती है और मोहम्मद बाबर जो था वो इब्राहिम लोदी को बैटल ऑफ पानीपत में हरा देता है और इसके बाद फिर 20 अप्रैल 1526 में बाबर की एंट्री जो होती है वो भारत के अंदर होती है अब यहां से चीजें चेंज होती है कि उस टाइम पे ये होता था कि अगर कोई रूलर होता था अगर वो उस एरिया पे अपना कंट्रोल कर लेता था या फिर जीत जाता था तो वहां जो दूसरे रिलीजन होते थे उनके जितने भी रिलीजस स्ट्रक्चर होते थे उनको हटा के अपने फेथ के रिलीजस स्ट्रक्चर नवाता था अपने साम्राज्य की जो प्रेजेंस है उसकी डोमिनेंस दिखाने के लिए और इन सारी चीजों के बारे में मुगल्स के टाइम्स पे जो इंस्क्राइनॉक्स उसके बारे में थोड़ा सा वेट करिए अभी हम आगे डिस्कस करेंगे तो फिर मस्जिद बन जाता है और मस्जिद का जो नाम था वो रखा जाता है
बाबरी मस्जिद ये जो बाबरी मस्जिद बनी थी ये कोर्ट रामचंद्र फैजाबाद डिस्ट्रिक्ट जिसको अब अयोध्या डिस्ट्रिक्ट कहते हैं उसकी सदर तहसील परगानास में बनी थी उस टाइम के जो पेंटर्स थे उन्होंने इस मस्जिद की पेंटिंग बनाई थी रिवर से इस तरीके से दिखती थी वो इस मस्जिद की जो केशन है वो बहुत ही इंपॉर्टेंट है उसी की वजह से सारा कुछ हुआ है तो ये जो लोकेशन है इसको मैं मैप पे भी दिखा देता हूं ये मैप कोर्ट में यूज़ हुआ था ये मैप में ये जो एकस वा और लिखा है ये यहां पे मस्जिद बनवाई गई थी यह सीता रसोई और यह राम चबूतरा इसमें क्यों लिखा हुआ है ये सब आएगा अभी आगे अब जब ये बाबरी मस्जिद उस टाइम पे बनाई गई थी तो जो गांव के आसपास के जो लोकल लोग थे उन्होंने दबी आवाज में अपनी नाराजगी दिखाई थी कि ये रामलला की जन्मभूमि है लेकिन उस टाइम पे कुछ हुआ नहीं था अब देखिए क्या होता है कि जो मुगल्स थे वो पीढ़ी धर पीढ़ी रूल कर रहे थे
इंडिया के अंदर और ईयर 1857 तक मुगल्स का जो एरा था वो खत्म होने की कगार पे था और इस टाइम पे एक चीज हुई थी जो इस केस के लिए बहुत इंपोर्टेंट थी कि सात अंग्रेज थे जो इंडिया के नॉर्दर्न और वेस्टर्न पार्ट में ट्रेवल करने आए थे और वो अपने ट्रेवल ट्रैवल नोट्स बनाते थे उन ट्रैवल नोट्स में वो अयोध्या के बारे में लिखा करते थे राम मंदिर और कैसे लोग वहां पे पूजा करते हैं इन सारी चीजों के बारे में लिखते थे विलियम फस्टर ने अपनी बुक अर्ली ट्रेवल्स इन इंडिया में इस बारे में मेंशन किया और जजमेंट के भी पेज नंबर 663 में इसके बारे में आपको मिलेगा ये वो सात ट्रैवलर्स थे जिन्होंने अयोध्या में ट्रेवल करते टाइम कुछ नोट्स लिखे थे ये कुछ स्टेटमेंट्स हैं आप पॉज करके पढ़ लेना जो ट्रेवल करते टाइम इन्होंने लिखी थी इसमें जोसेफ टाइफ हेलर और विलियम फिंच का जो ट्रैवल नोट था वो बहुत ही इंपॉर्टेंट था इसमें कई चीजें लिखी हुई थी कि पहले राम मंदिर था कैसे वहां लोग इन्होंने पूजा करते हुए देखे ये सारी चीजें उसमें मेंशन थी ये उस पर्टिकुलर टाइम पे जोसेफ ने मैप बनाया था और ये सारी चीजें मैं इसलिए बता रहा हूं क्योंकि ये आगे चलके सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट में बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल प्ले करती हैं और मंदिर की एजिस्ट मेंस के रिटर्न प्रूफ की तरह काम करती हैं अब इधर मुगल्स जो थे वो इंडिया के अंदर वीक हो रहे थे और इसी टाइम पे सवाई जयसिंह जो थे वो भी राम मंदिर को लेके काफी परेशान थे उनका भी बहुत लगाव था
मंदिर से तो जब मुगल्स वीक हुए और ब्रिटिशर्स का दौर शुरू हो रहा था उस टाइम पे सवाई जयसिंह जो थे उन्होंने मस्जिद के जस्ट बाहर कुछ एरिया खरीदा और वहां पे एक राम चबूतरा बनवा दिया था ताकि जो जो हिंदू हैं वो अंदर तो जा नहीं सकते एटलीस्ट बाहर से ही वहां पे पूजा कर सके तो ये जो राम चबूतरे हिंदू पूजा करते थे जो मस्जिद थी उसके सेंट्रल डोम की तरफ मुंह करके ये ओरिजिनल मैप है इसमें एक्स वाईजी ये जो एरिया है ये मस्जिद थी और ये इधर ये राम चबूतरा सीता रसोई हनुमान द्वार ये इस पूरे एरिया में हिंदू पूजा करने लगे थे और अब आप ये सोच रहे होंगे कि ये जो एन एच ओ पी जे के एल ये वाली जो लाइन है ये क्या है ये बाउंड्री एक सिडेंट हुआ था उसकी वजह से ब्रिटिशर्स ने मजबूरी में बनाई थी अभी वो इंसिडेंट आएगा आगे तो अब क्या होता है कि चबूतरा बनने के बाद एक ही जगह पर एक तरफ नमाज अदा हो रही थी और दूसरी तरफ भगवान राम की पूजा हो रही थी अब इसके बाद मुगल्स जो थे उनका दौर खत्म हो चुका था और ब्रिटिशर आ चुके थे इंडिया के अंदर तो जब ब्रिटिशर्स आए तो इंडिया का जो ग्रुप था वो राम मंदिर को लेके अपनी बात उठाने लगा वो ये कहने लगे कि ये जो मस्जिद है इसकी जगह पे पहले राम मंदिर हुआ करता था और इसको लेके जो ब्रिटिशर्स थे उनको लोकल जो जनता थी वो बहुत ज्यादा परेशान करने लगी थी
सन 1838 में ब्रिटिशर्स ने अपने एडमिनिस्ट्रेटर रॉबर्ट मट गो मैरी मार्टिन जो थे उनकोकि पहले यहां पे क्या था और एक रिपोर्ट सबमिट करो इससे रिलेटेड अब मार्टिन अपना सर्वे पूरा करते हैं और तीन पार्ट में अपनी रिपोर्ट बनाते हैं इसमें मार्टिन ने बताया कि ये जो डिस्प्यूटेड लैंड है जिसमें हिंदू और मुस्लिम लड़ रहे हैं अभी जहां पे मस्जिद है इस पे पहले एक मंदिर था और इन्होंने कहा कि मंदिर तो था लेकिन मस्जिद जो बनाई गई है वो मंदिर को तोड़ के बनाई गई है या प्लेन एरिया पे बनाई गई है इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता और एग्जैक्ट लैंग्वेज क्या उन्होंने यूज करी थी ये आप पॉज करके एक बार पढ़ लेना जजमेंट के पेज नंबर 669 से 671 में मिल जाएगी आपको अब ये जो रिपोर्ट आती है इसको सुनके जो लोकल लोग थे वो अपनी आवाज और ज्यादा उठाते हैं उनका ये कहना था कि रामलला की जन्मभूमि है उसके ऊपर ये बाबरी मस्जिद बनाई गई है तो ये सारी बातें चलती रहती है और इसके बाद ईयर आता है 18530 संभालते थे
निर्मोही अखाड़ा से बिलोंग करते थे तो मार्टिन की रिपोर्ट आने के बाद एक अनरेस्ट थाई एरिया में इसके कुछ टाइम बाद हनुमानगढ़ी के जो साधु थे वो कहते हैं कि इस मस्जिद को राम मंदिर तोड़ के बनाया गया है और इस मस्जिद वाले एरिया पे वो लोग कंट्रोल लेने जाते हैं जिसकी वजह से लड़ाई हो जाती है और ये पहली रिकॉर्डेड लड़ाई थी इसकी वजह से हिंदू मुस्लिम टेंशन बढ़ जाती है और आने वाले 2 साल तक हिंदू और मुस्लिम के बीच में दंगे चलते हैं अब इसके 2 साल बाद ईयर 18552 मुस्लिम फॉलोअर्स को इकट्ठा करते हैं और हनुमानगढ़ी में हमला कर देते हैं लेकिन वहां पे पहले से ही 8000 बैरागी संत जो थे वो पहुंचे हुए थे काफी लड़ाई होती है और इसमें मुस्लिम पक्ष जो था उसको काफी नुकसान होता है और 75 मुस्लिम्स की जान चली जाती है सके बारे में सर्वपल्ली गोपाल की बुक एनाटॉमी ऑफ़ अ कॉफ्रेश उसमें इसके बारे में मेंशन है और जजमेंट के पेज नंबर 675 में भी इसके बारे में मेंशन है तो इन दंगों की वजह से काफी अनरेस्ट हो गया था और ब्रिटिशर्स जो थे वो भी इन सारी चीजों से बहुत परेशान हो गए थे तो उन्होंने क्या किया कि जो विवादित लैंड था
हिंदू और मुस्लिम्स के बीच में बांट दिया अब ब्रिटिशर्स को ऐसा लग रहा था कि इससे चीजें कंट्रोल में आ जाएंगी लेकिन ऐसा होता नहीं है तो ईयर 1857 में ब्रिटिशर्स क्या करते हैं कि यह जो विवादित एरिया था इसको डिवाइड करने के लिए ग्रिल और ब्रिक्स का यूज़ करके 6 से 7 फीट की एक वॉल बना देते हैं ये जो मैप के अंदर एन एच ओ पी जे के एल वाली लाइन आप देख रहे हैं ये वॉल ब्रिटिशर्स ने बनाई थी अब इसके बाद आउटर पोर्शन जो था उसमें हिंदू पूजा करने लगे थे और इनर पोर्शन जो था उसमें मुस्लिम जो थे वो नमाज पढ़ने लगे थे इस डिवीजन से कोई कुछ नहीं था ना तो हिंदू खुश थे ना मुस्लिम लेकिन उस टाइम पे लोगों को ब्रिटिशर्स की माननी पड़ती थी तो वो लोग मान के ऐसा करते हैं अब इसके बाद डेट आती है 28th ऑफ नवंबर 18581 दिन क्या होता है कि पंजाब के रहने वाले महंत निहंग सिंह फकीर अपने साथ 25 और निहंग सिंह को लेके डिस्प्यूटेड लैंड यानी राम जन्मभूमि पर पहुंचते हैं वहां पहुंच के डायरेक्ट मस्जिद में जाते हैं और मस्जिद के अंदर ही हवन और पूजा करने लगते हैं और जब ये पूजा कर रहे होते हैं 25 निहंग सिंह मस्जिद को चारों तरफ से घेर लेते हैं और मस्जिद के अंदर कोल से राम लिख देते हैं और गुरु नानक जी की भी पूजा करते हैं और जो राम चबूतरा था उसकी हाइट बढ़ा देते हैं वहां पे भगवान राम की फोटो लगा देते हैं और हवन और पूजा करने के लिए एरिया बढ़ा देते हैं
ये चीज मस्जिद के जो मुअज्जिन थे सैयद मोहम्मद खातिब उस एरिया के थानेदार शीतल दुबे को एक रिटन कंप्लेन करके बता बताते कि ये सारी चीजें चल रही हैं ये उस कंप्लेंट की ओरिजिनल कॉपी है एग्जैक्ट ये एप्लीकेशन लिखी गई थी इसके बाद जो अथॉरिटी होती है वो वहां पे पहुंचती है निहंग सिंह जो थे उनको वहां से बाहर निकाल देती है बीच बचाव करती है लेकिन जो कंफ्लेक्स का नाम ही नहीं ले रहा था एक ही टाइम पे जब अजान होती थी उसी टाइम पे शंख बचता था जिससे डे बाय डे टेंशन बढ़ती जा रही थी और बैक टू बैक कंप्लेंट्स फाइल हो रही थी दोनों तरफ से इसके बाद ईयर आता है एक तरफ से एंट्री होती है इसकी वजह से दिक्कत होती है तो दो तरफ से एंट्री होगी तो अथॉरिटी जो थी वो ये बात मान जाती है तो अब ये जो विवादित एरिया है यहां की जो एंट्री है वो दो तरफ से होने लगी अब इसके 6 साल तक चीजें कंट्रोल में रहती है लेकिन इसके बाद ईयर आता है
1983 अब जो राम चबूतरा था उसके जो पुजारी थे महंत रघुवर दास वो परमिशन मांगते कि ये जो राम चबूतरा है इसका मैं महंत हूं और यहां मैं इतने टाइम से पूजा कर रहा हूं मैं यहां पे 17 बा 21 फीट का एक मंदिर बनाना चाहता हूं लेकिन 19th ऑफ जनवरी 1885 को डेप्युटी कमी कमिशनर जो थे इस चीज को भी रोक देते हैं उनको ऐसा लगता है कि इस चीज से भी दंगे भड़क सकते हैं तो इस चीज को भी अलाव नहीं किया जाता है लेकिन महंत का कहना था कि ये जो आउटर पोर्शन है ये तो हमारा आपने हमें ही दे दिया है तो यहां पे कंस्ट्रक्शन कराने में क्या दिक्कत है अब इस चीज से गुस्सा होके इसके पाच दिन बाद 27th ऑफ जनवरी 1885 को महंत रघुवर दास जो राम चबूतरा के पुजारी थे वो कोर्ट में केस कर देते हैं लेकिन 18 मार्च 18864 हो जाएगी लेकिन इसके बाद फिर से 1 नवंबर को अपील करते हैं लेकिन इस बार कोर्ट कहता है कि जो महंत रघुवर दास हैं इनकी कोई ओनरशिप नहीं है इसके ऊपर यह पूजा करते हैं लेकिन इनका कोई हक नहीं है उस पे इसलिए वो कंस्ट्रक्शन नहीं करवा सकते अब इधर ये सारी छोटी-छोटी चीजें चल रही थी लेकिन इसके बाद डेट आती है
27th ऑफ मार्च 1934 इस पर्टिकुलर टाइम पे एक गाय की हत्या कर दी जाती है अयोध्या के शाहजहांपुर विलेज में बहुत ज्यादा दंगे होते हैं ये छोटे लेवल पे नहीं बहुत बड़े लेवल पर दंगे होते हैं इसमें लोग इतना ज्यादा गुस्सा हो जाते हैं कि मस्जिद के ऊपर अटैक कर देते हैं इस इस अटैक की वजह से मस्जिद की जो वॉल थी वो तोड़ देते हैं लोग और जो डोम था उसको डैमेज कर देते हैं लेकिन ब्रिटिश इंडिया गवर्नमेंट जो थी इसको दोबारा से सही करवा देती है अब ये जो इंसिडेंट हुआ था इसके बाद मुस्लिम जो थे वो भी सिक्योर फील नहीं कर रहे थे और दूसरी चीज मुस्लिम्स का मानना था कि वहीं पे पूजा हो रही है उसी जगह पे लोग जाके नमाज पढ़ रहे हैं तो शरीयत के अगेंस्ट में ये चीज जाती है कि इस तरीके से नमाज करना सही नहीं है तो मुस्लिम जो थे वो वहां पे नमाज करने को अवॉइड करते हैं लेकिन आउटर पोर्शन जो था जो हिंदुओं को मिला हुआ था वहां पे प्रॉपर पूजा होती थी भजन होता था सारी चीजें होती थी अब इसके बाद ईयर आता है 1947 हमारा देश आजाद हो जाता है और इसके दो साल बाद दिसंबर 1949 को अखिल भारतीय रामायना महासभा यह अपने जो हिंदू वाला एरिया था
जो आउटर पोर्शन था यहां पे 9 दिन का रामचरित मानस का पाठ रखते हैं और जब यह पाठ खत्म होने वाला होता है तो रात होती है 22 दिसंबर की रात को मस्जिद के अंदर रामलला की मूर्ति रख देते हैं और अगले दिन सुबह यानी कि 23 ऑफ दिसंबर 1949 को बहुत सारे हिंदुओं की लाइन लग जाती है दर्शन करने के लिए लोग कहते हैं कि यहां पर रामलला प्रकट हुए हैं लेकिन मुस्लिम जब ये सारी चीजें देखते हैं तो 29th ऑफ दिसंबर 1949 को सुन्नी सेंट्रल वर्क बोर्ड एफआईआर रजिस्टर कर देता है यहां से मुस्लिम्स की तरफ से कोई इंडिविजुअल कंप्लेन नहीं कर रहा था या फिर केस में नहीं जा रहा था बल्कि सुन्नी सेंट्रल वर्क बोर्ड जो था वही लड़ाई लड़ता है तो ये लोग कंप्लेन में कहते हैं कि ये जो हिंदू पक्ष है ये झूठ बोल रहा है रामलाला प्रकट नहीं हुए हैं बल्कि इन लोगों ने खुद ही मूर्ति रख दी है ताकि उस एरिया का यानी जो मस्जिद का जो सेंट्रल डोम है
वहां पे पोजीशन पाने के लिए अब दोबारा से दंगों जैसी सिचुएशन हो जाती है रामलला की जो मूर्ति थी उसके द करने दूर-दूर से लोग आ रहे थे और जो रूल्स वगैरह थे जो बनाए गए थे वो कोई से भी फॉलो नहीं हो रहे थे तो गवर्नमेंट क्या करती कि सिचुएशन खराब ना हो तो जो मस्जिद वाला पार्ट था जो इनर पोर्शन था उसको लॉक कर देती है और हिंदू जो थे वो आउटर वाले पोर्शन से दर्शन कर रहे थे और परेशान भी हो रहे थे कि रामलला को जेल में बंद कर दिया अब इसके बाद होम मिनिस्टर सरदार वल्लभ भाई पटेल और पीएम जवाहरलाल नेहरू यूपी के सीएम गोविंद वल्लभ पंत और यूपी के होम मिनिस्टर लाल बहादुर शास्त्री को कहते हैं कि जो मस्जिद के अंदर रामलला की मूर्ति है इसको हटवा दीजिए और यूपी के चीफ मिनिस्टर वैसा ही करते हैं वो ऑर्डर देते हैं मूर्ति को हटवाने का लेकिन उस टाइम के फैजाबाद के डेप्युटी कमिशनर जो थे केके नायर वो मना कर देते हैं कि वो बिल्कुल भी ऐसा नहीं कर सकते वो कहते कि आग से खेलने जैसा होगा चारों तरफ भीड़ है और कोई भी आदमी ऐसी गलती नहीं करेगा कि मूर्ति को उठा के बाहर कर दे लोग उसको पापी कहेंगे अटैक भी हो सकता है उसके ऊपर तो ये कोई सही डिसीजन नहीं है इससे पूरे शहर में दंगे भी स्टार्ट हो सकते हैं लेकिन जब उसके बाद भी प्रेशर बनाया जाता है तो केके नायर कहते हैं कि मुझे जॉब ही नहीं करनी है
वो रिजाइन मार देते हैं तो ये सारी चीजें लेटर के थ्रू डिस्कस हो रही थी और मल्टीपल डिस्कशन के बाद सरकार जो थी वो सिचुएशन को भांप लेती है और वो ये डिसाइड करती है कि मूर्ति को बाहर नहीं निकालेंगे लेकिन दोनों साइड नाराज ना हो जाए तो इसके लिए फथ ऑफ जनवरी 1950 को मजिस्ट्रेट से ऑर्डर करवाती है कि इस पूरे एरिया को अब आम जनता के लिए लॉक कर दिया जाए इनर और आउटर सारे पोर्शंस को बंद कर दिया जाए और इसमें बस एक चीज की जाती है कि जो पुजारी थे उनको सिर्फ अलाव किया जाता है कि जो आउटर पोर्शन में राम चबूतरा था वहां पे रामलला की पूजा और भोग लगाने के लिए वो अलाउ कर देती है और जो आम जनता रहती है वो दूर से दर्शन कर सकती है और इसके बाद ये डिसाइड होता है कि इनर पोर्शन किसका है
आउटर पोर्शन किसका है किसकी गलती है मालिकाना हक किसका है ये सारी चीजें अब कोर्ट से डिसाइड होंगी और जब तक कोर्ट से फैसला नहीं आ जाता सारी चीजें ऐसे ही चलेंगी अब ये सारी चीजें देख के 16th ऑफ जनवरी 1950 को गोपाल सिंह विशरद फैजाबाद कोर्ट में केस फाइल करते हैं कि मैं पूजा करना चाह रहा हूं और मुझे पूजा नहीं करने दी जा रही है वो भी उस पोर्शन में जो ऑलरेडी हम लोगों का है इसी के साथ-साथ 1959 में निर्मोही अकाला जो था वो भी एक अलग से केस फाइल कर देता है तो ये सारी चीजें देख के कोर्ट इन सब चीजों को सीरियसली लेता है और एक आर्डर देता है कि ये जो पूरा विवादित एरिया है इसका एक ऑफिशियल मैप रेडी किया जाए ये ऑर्डर 1स्ट ऑफ अप्रैल 1950 को दिया जाता है और 255th ऑफ जून 1950 को लोकल कमिशनर जो था
इस पूरे एरिया के दो साइड प्लान सबमिट करता है एक तो ये मैप और दूसरा ये बिल्डिंग के साथ विद लोकैलिटी ये मैप देते हैं अब जब ये डिसाइड होता है कि इसका सारा का सारा फैसला जो है वो कोर्ट से डिसाइड होगा तो बैक टू बैक केस डाले जाते हैं हिंदू पक्ष कहता है कि हमें अंदर जाके रामलला की पूजा करने दी जाए और मुस्लिम पक्ष जो था वो ये कहता है कि जो मूर्ति है इसको मस्जिद से बाहर निकाला जाए कोर्ट के अंदर ये जो मस्जिद वाला एरिया था उसको को विवादित ढांचा बोला गया और जो बाकी पूरा का पूरा लैंड था उसको विवादित एरिया बोला गया मुस्लिम्स की तरफ से सुन्नी वर्क बोर्ड जो था वो केस लड़ रहा था उनका कहना था कि ये जो मस्जिद है ये बाबर ने बनाई थी बाबर एक सुन्नी था और उस हिसाब से जो जमीन है वो सुन्नी सेंट्रल वर्क बोर्ड को बिलंग करती है अ ये जितने भी लोग केसेस कर रहे थे ये सारे केसेस इकट्ठे करके हाई कोर्ट में एक साथ ट्रांसफर कर दिए जाते हैं लेकिन डिले बहुत हो रहा था इस पूरे प्रोसेस में क्योंकि फैसला आना ही अपने आप में हारमोनी खराब कर देता था पूरे शहर की अब जो हिंदू संगठन थे जैसे वीएचपी आरएसएस वो इन सारी चीजों से खुश नहीं थे उनको लगा कि ऐसे तो कभी जमीन मिलेगी ही नहीं तो ये लोग इसके लिए अलग-अलग टीम बना के काम स्टार्ट कर देते हैं
अब इसी बीच में ईयर 1980 में जो जनता पार्टी थी वो डिजॉल्ड्रिंग है ये बहुत तेज हो जाए तो वीएचपी जो थी वो इंडिया के अंदर अलग-अलग हिस्सों में रथ यात्रा निकालने का प्लान बनाती है ताकि पूरे देश का सपोर्ट मिले और इसमें भी ये प्लान था कि ये लोग स्पीस देंगे जगह-जगह जाके और इस पूरे मुद्दे को इंडिया के कोने कोने तक पहुंचाएंगे ताकि गवर्नमेंट के ऊपर प्रेशर बने तो इनका प्लान जो था वो सितंबर 1984 में रथ यात्रा करने का था लेकिन इंदिरा गांधी जी की डेथ हो जाती है और देश का जो माहौल था वो काफी खराब हो जाता है तो ये जो यात्रा थी वो रोक दी जाती है इसी बीच इलेक्शन होते हैं और पहली बार बीजेपी इलेक्शन में खड़ी होती है इनफैक्ट बीजेपी का जो पहला मैनिफेस्टो था उसमें राम मंदिर के बारे में नहीं था तो इलेक्शन होता और पहली बार बीजेपी खड़ी हुई थी तो इनकी परफॉर्मेंस इतनी अच्छी नहीं रहती है सिर्फ दो सीटें मिलती हैं इनको और इसी वजह से अटल बिहारी वाजपेई को हटा के लाल कृष्ण आडवाणी जो थे उनको पार्टी का प्रेसिडेंट बना दिया जाता है अब इसके बाद नेक्स्ट ईयर अक्टूबर 1985 में बीएचपी इंडिया के अंदर 25 जगह प दोबारा से रथ यात्रा स्टार्ट करती है और जगह-जगह से लोगों का भारी सपोर्ट मिलता है बीएचपी को जिसको देख के हर कोई सरप्राइज हो जाता है और यही वो टाइम था
जब लाल कृष्ण आडवाणी ने बीजेपी को राम मंदिर के मुद्दे से जोड़ा तो अब राम मंदिर बनवाने के लिए आरएसएस बीजेपी वीएचपी एक साथ सामने आ रहे थे और लोगों का भारी सपोर्ट मिल रहा था और सेम ईयर 1985 में कांग्रेस भी फंसती है जब शाह भानू केस का जो सुप्रीम कोर्ट का फैसला था वो आता है उस फैसले से कई सारे मुस्लिम ग्रुप्स जो थे वो बहुत गुस्से में थे ये गुस्सा इतना ज्यादा था कि प्राइम मिनिस्टर राजीव गांधी जो थे वो संभाल नहीं पा रहे थे इसको तो उन्होंने क्या किया कि एक कानून बना के सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला था शाहबानो केस के लिए उसको पलट दिया था अब जैसे ही ये हुआ तो राजीव गांधी के ऊपर एलिगेशन लगे कि ये मुस्लिम अपीज मेंट की पॉलिटिक्स कर रहे हैं पूरा जो हिंदू बेल्ट था अब उसमें बीजेपी और बीएचपी की बातें ज्यादा हो रही थी इसके साथ-साथ 255th ऑफ जनवरी 1986 को लॉयर उमेश चंद पांडे जो थे इन्होंने अपील कर दी थी कि रामलला की जो पूजा करने के लिए हिंदुओं के ऊपर रिस्ट्रिक्शन लगी है उसको हटा दिया जाए तो इसको लेके लोगों में भी बहुत हल्ला होने लगता है
गवर्नमेंट भी प्रेशर में आती है तो ये सारी चीजें जो हो रही थी इसी बीच में अचानक से हाई कोर्ट के जज ऑर्डर दे देते हैं कि हिंदुओं के दर्शन के लिए रामलला के जो गेट है उसको खोल दिया जाए अब ये जो फैसला है ये तो बहुत नॉर्मल है लेकिन इस फैसले को लेके बहुत ज्यादा हल्ला होने लगता है क्योंकि जिस तरीके से इसको लागू किया गया था राजीव गांधी के ऊपर सवाल उठने लगे थे कि आने वाले इलेक्शन में हिंदू वोट बैंक को दोबारा से अपनी तरफ करने के लिए ये कदम उठाया गया क्योंकि जैसे ही हाई कोर्ट से ऑर्डर आया था उसी के 40 मिनट के अंदर ये ताला खोल दिया गया था और ये जो ताला खोला गया था इस पूरे प्रोसेस को लाइव टीवी पे टेलीकास्ट कराया गया था इनफैक्ट गवर्नमेंट ने कोर्ट को अशोर किया था कि अगर ताला खोला जाता है तो कोई लॉ एंड ऑर्डर की प्रॉब्लम नहीं होगी जबकि जब ताला लगाया गया था तो यही हवाला दिया गया था कि लॉ एंड ऑर्डर की प्रॉब्लम हो जाएगी इसलिए ताला लगाना जरूरी है लेकिन इस पर्टिकुलर टाइम पे बातें चेंज हो गई थी इस पूरे केस के अंदर जो जल्दबाजी हुई उससे जो इनकी इंटेंशन थी उसके ऊपर डाउट आया क्योंकि एक नॉर्मल कोर्ट प्रोसीजर की तरह नहीं चल रहा था
राजीव गांधी पे ब्लेम आया कि उन्होंने ये शाहबानो केस के डैमेज कंट्रोल करने के लिए और हिंदू अपीज मेंट के लिए किया है तो इससे जो राजीव गांधी थे वो दोनों तरफ से फंसे थे और जब ताला खोला जाता तो उसके बाद जो हिंदू ग्रुप्स थे वो फिर से राम मंदिर को बनाने की मांग को तेज कर देते हैं और ये सारी चीजें देख के मुस्लिम्स ने भी बाबरी मॉस्क एक्शन कमेटी बनाई जिसका काम इस मामले से डील करने की प्लानिंग बना के आगे बढ़ने का था क्योंकि इस मुद्दे ने पूरी तरीके से पॉलिटिकल एंगल ले लिया था लेकिन बाबरी मॉस्क एक्शन कमेटी जो थी वो कोई कोर्ट में जाके प्रेजेंट नहीं होती थी मुस्लिम्स की तरफ से कोर्ट में सुन्नी वर्क बोर्ड जो था वही एक पार्टी थी वहीं अपोजिट पार्टी थी निर्मोही अखाड़ा जो राम चबूतरे के ऊपर पुजारी पूजा करते थे
और तीसरी पार्टी 1989 में खुद रामलला बनते हैं एक्चुअली इंडिया में लॉ है कि अगर मंदिर वगैरह का कोई इशू होता होता है तो उसमें देवी देवता जो होते हैं वो भी केस लड़ सकते हैं अपने हक के लिए और सारी कागजी कारवाही वगैरह जो होती है वो उनके बिहाव पे उनका कोई भक्त कर सकता है तो ईयर 1989 में देवकी नंदन अग्रवाल जो कि फॉर्मर जज भी थे और वीएचपी के लीडर भी थे वो रामलला की तरफ से सारा डॉक्यूमेंटेशन वगैरह करते हैं और इनकी डेथ के बाद त्रिलोकीनाथ पांडे केस लड़ते हैं तो कहने का मतलब यह है कि इसको लेके केसेस तो बहुत फाइल हुए लेकिन मेन जो पार्टी थी वो तीन थी सुन्नी वक बोर्ड निर्मोही अखाड़ा और रामलला खुद जिनका नाम कोर्ट में रामलला विराजमान के नाम से लिया जाएगा अब ताला खुलने के बाद ईयर 1989 फरवरी में कुंभ का मेला था और इसमें ये ऐलान कर दिया गया था कि बहुत हो गया अब 9 महीने बाद नाइंथ ऑफ नवंबर 1989 को शिलान्यास होगा मतलब कि एक फाउंडेशन स्टोन जो है वो रख दिया जाएगा विवादित एरिया पे ये एक तरह से सिंबॉलिक एक्ट की तरह माना जाता है जिसका मतलब है कि यहां पे अब कंस्ट्रक्शन स्टार्ट होगा तो ये जो चीज थी वो गांव-गांव में बीएचपी ने प्रमोट की लोगों ने शिला पूजन किया जिसमें लोग ईंट पे राम लिख के अयोध्या ले जाने लगे कि इन ईंटों का यूज करके मंदिर बनेगा और 35 लाख से भी ज्यादा सिलाए जो थी वो इकट्ठा करके अयोध्या लाई गई थी लेकिन ये जो इवेंट इन्होंने प्लान किया था शिलान्यास का इसमें कोई दिक्कत ना आए कोई रुकावट ना आए
इसके लिए बीएचपी के लीडर्स ने 177th ऑफ अक्टूबर 1989 को होम मिनिस्टर बूटा सिंह से एश्योरेंस ले ली थी उन्होंने एश्योरेंस दी थी कि कोई दिक्कत नहीं होगी और जो सेंट्रल गवर्नमेंट था वो भी इसमें कोई आनाकानी नहीं करता है कोई रिस्ट्रिक्शन नहीं डालता है लेकिन ये जो इवेंट था इसमें दंगे होने की बहुत ज्यादा चांसेस थे क्योंकि इतने सारे लोग इकट्ठे हो रहे थे और उधर से मुस्लिम्स भी अगर आ जाते तो लड़ाई होने के चांसेस थे लेकिन 9 नवंबर 1989 को होम मिनिस्टर बूटा सिंह और यूपी के सीएम नारायण दत तिवारी इनकी मौजूदगी में शिलान्यास कर दिया जाता है और कोई दंगे नहीं होते कोई लड़ाई झगड़ा नहीं होता है एक-एक स्टेप करके वीएचपी और आरएसएस जो थी मंदिर बनाने के लिए वो आगे बढ़ा रही थी और इलेक्शन आने वाले थे तो ये सारी चीजें देख के बीजेपी भी इसमें कूदती है
नवंबर 1989 को लाल कृष्ण अडवाणी जो थे इन्होंने भी रथ यात्रा का अनाउंसमेंट कर दिया था और ये जो यात्रा थी वो वीएचपी की जो रथ यात्रा थी उससे अलग अनाउंस की गई थी इस रथ यात्रा को सितंबर 1990 को गुजरात के सोमनाथ टेंपल से स्टार्ट किया जाता है और ये जो पूरी रथयात्रा थी इसका पूरा अरेंजमेंट नरेंद्र मोदी जी ने किया था जिसके लिए उनकी बहुत तारीफ भी हुई थी चुनाव प्रवेश से विजयनाथ अवानी जी आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ है इस रथ यात्रा को अलग-अलग रीजन से हो के 10000 किलोमीटर का सफर तय करके अयोध्या पहुंचना था जब यह यात्रा शुरू होती है तो पूरे इंडिया में हल्ला होता है और बीजेपी पार्टी इस वजह से बहुत ज्यादा हाईलाइट हो जाती है इस यात्रा की वजह से पूरे इंडिया में राम मंदिर का मुद्दा उठ गया था और कई जगह पर दंगे भी होने लगे थे स्पेशली वहां प जहां प हिंदू और मुस्लिम का जो बैलेंस था वो बराबर नहीं था अब ये जो रथ यात्रा थी ये कुछ दिन बाद 22 ऑफ अक्टूबर 1990 को बिहार पहुंचती है जैसे ही अडवाणी बिहार पहुंचते हैं तो 22 ऑफ अक्टूबर 1990 को रात 3:00 बजे बिहार के समस्तीपुर में लालू प्रसाद यादव लाल कृष्ण अडवाणी को गिरफ्तार करवा देते हैं लालू प्रसाद यादव का कहना था कि ये स्टेप इसलिए लिया गया है क्योंकि इससे देश में दंगे हो रहे हैं और बिहार का भी माहौल खराब होगा तो इस यात्रा को यहीं पर रोक दिया जाता है
मैं श्री अडवाणी जी से अपील करना चाहता हूं अपनी यात्रा को स्थगित कर दें अगर अगर इंसान ही नहीं रहेगा तो मंदिर में घंटी कौन बजाएगा बीजेपी जो 1984 में दो सीटें जीती थी लालकृष्ण अडवाणी का इस राम मंदिर के मुद्दे से जुड़ने का जो फैसला था वो काम आया और 1989 के इलेक्शन में बीजेपी सीधे 85 सीट जीत जाती है यूपी राजस्थान एमपी हिमाचल प्रदेश बीजेपी की गवर्नमेंट बनती है इन स्टेट्स में और इसके बाद लाल कृष्ण अडवाण बीजेपी के अंदर भी और पूरे देश के अंदर बहुत बड़ा नाम बन गया था और राम मंदिर को बनवाना बीजेपी के मेनिफेस्टो तक में ऐड कर दिया गया था अब इस यात्रा को बिहार में रोक तो दिया जाता था लेकिन इस यात्रा को 13th ऑफ अक्टूबर 1990 को अयोध्या में पहुंच के जहां पे रामलला विराजमान थे वहां पे पहुंच के कंप्लीट होना था तो जब लाल कृष्ण आडवाणी की यात्रा बिहार में रुक जाती है तो जो बाकी के कर सेवक होते हैं वो अयोध्या पहुंचते हैं देखिए कर सेवक वो होते हैं जो कर सेवा करते हैं मतलब कि बिना स्वार्थ के अपने रिलीजन के लिए काम करना सेवा करना तो कर सेवक कहते हैं कि भले ही यात्रा बिहार में रोक दी गई है लेकिन वो अयोध्या जाएंगे और वहां जाके कर सेवा करेंगे लेकिन इस पर मुलायम सिंह जी ने कहा कि वो जो विवादित एरिया है वहां पे परिंदा भी पर नहीं मार सकता और अगर कोई आएगा तो अच्छा नहीं होगा होगा इसको जो कर सेवक थे उसको एज अ चैलेंज की तरह लिया और 30 अक्टूबर को कर सेवक जो थे वो अयोध्या का जो विवादित एरिया था वहां पहुंचते हैं वहां उनको पुलिस रोक देती है तो कर सेवक जो थे उसमें एक साधु था जो पहले ड्राइवर था तो वो साइड से पुलिस की बस को उठा के उसमें कर सेवक को भर के विवादित एरिया जो था वहां पहुंच जाता है और एक भगवा झंडा बाबरी मस्जिद पे लगाने की कोशिश करता है
लेकिन मुलायम सिंह के ऑर्डर पे जो कर सेवक थे उनके ऊपर पुलिस फायरिंग कर देती है जिससे 30 से ज्यादा कर सेवकों की जान चली जाती है अच्छा जब ये सारी चीजें हुई थी तो एक कोइंसिडेंस भी हुआ था एक बंदर था वो भी भगवा झंडा लेके गुंबद पर चढ़ गया था तो उसको भी कर सेवक ने भगवान हनुमान का रूप माना अब इसके बाद ईयर आता है 1991 और बीजेपी काफी स्ट्रांग हो गई थी पूरे ऑल ओवर इंडिया में बीजेपी के बारे में बात हो रही थी और यूपी के अंदर भी बीजेपी जीत जाती है 24th ऑफ जून 1991 को पहली बार बीजेपी की यूपी के अंदर सरकार बनती है और बीजेपी से कल्याण सिंह यूपी के सीएम बनते हैं और जो सेंट्रल गवर्नमेंट थी वहां पे कांग्रेस ही जीत के आई थी तो वहां पे पीवी नरसिंहा राव वो पीएम बने थे बीजेपी को सीट्स मिली थी जिससे हर कोई हैरान था और इसके बाद राम मंदिर की इपोर्ट इटें नेता लोगों को भी समझ में आने लगी थी कल्याण सिंह सीएम बनते ही अयोध्या जाकर शपथ लेते हैं और बोलते हैं रामलला हम आए हैं मंदिर यहीं बनाएंगे और यह नारा काफी फेमस भी होता है और कुछ दिन बाद सेथ ऑफ अक्टूबर 1991 को कल्याण सिंह एक बहुत बड़ा फैसला लेते हैं लैंड एक्विजिशन एक्ट 18944 के सेक्शन 4 6 एंड 17 के अंडर वो विवादित एरिया जो था और उसके आसपास का जो एरिया था वो अपने पास यानी कि स्टेट गवर्नमेंट के पास ले लेते हैं इस एक्ट में ये था कि स्टेट गवर्नमेंट चाहे तो टूरिज्म और डेवलपमेंट के लिए लैंड एक्वायर कर सकती है तो कल्याण सिंह ने
यानी कि स्टेट गवर्नमेंट ने पहले तो एरिया
अपने अंडर में लिया फिर एक ट्रस्ट था राम
जन्मभूमि नियास ये वीएचपी का ही ट्रस्ट था
जिसका ऑब्जेक्टिव था राम जन्मभूमि को
बनाना तो इस ट्रस्ट को ₹1 की लीज में ये
पूरी जमीन दे दी जाती है और ऐसा बोला गया
कि इस एरिया में श्री राम कथा पार्क बनाया
जाएगा टूरिज्म और डेवलपमेंट के लिए लेकिन
इसके तुरंत बाद मुस्लिम ग्रुप जो थे वो
कोर्ट पहुंच जाते हैं कि ये लोग मनमानी कर
रहे हैं ये अनकंस्टीट्यूशनल है तो इसके
बाद हाई कोर्ट जो थी इस फैसले के ऊपर स्टे
लगा देती है और ये जो जमीन वगैरह लीज पे
दी गई थी ट्रस्ट को उसपे होल्ड लग जाता है
और इसमें कोर्ट एक चीज और करता है कि इस
जमीन के ऊपर कोई भी कंस्ट्रक्शन अलाउड
नहीं होगा मतलब एक छोटा सा भी कंस्ट्रक्शन
इस विवादित एरिया के ऊपर कोई नहीं बनवा
सकता है क्योंकि दोनों ग्रुप्स की तरफ से
अलग-अलग ट्रिक्स खेल के पोजीशन लेने की
कोशिश की जा रही थी ये लोग पैसा लगा लगा
के आसपास के जो लैंड थे जो विवादित एरिया
था उसके आसपास का जो लैंड था वो सब भी
खरीद थे और इसके लिए बहुत सारे लोग फंड और
डोनेशन भी दे रहे थे अब इसके बाद ईयर शुरू
होता है 1992 और कल्याण सिंह यानी कि
बीजेपी की सरकार थी जनवरी 1992 को पहली
चीज ये होती है कि जो विवादित एरिया था
उसके आसपास बैरियर लगाए हुए थे तो उन
बैरियर्स को हटा दिया जाता है इससे पहले
किसी का भी उस एरिया में बिना परमिशन के
आना उतना आसान नहीं था लेकिन जब ये बैरियर
हट जाते हैं तो वहां आना जाना और पॉसिबल
हो जाता है तो ईयर के स्टार्टिंग में इन
बैरियर्स को हटा दिया जाता है और फैब के
मंथ में आरएसएस बीजेपी वीएचपी और बजरंग दल
एक मीटिंग करते हैं अब ये जो मीटिंग थी
इसको लेके कई चीजें बोली गई फॉर्मर
इंटेलिजेंस ब्यूरो के जो हेड थे मलय कृष्ण
धर्त इन्होंने क्लेम किया कि इस मीटिंग
में सिक्स्थ ऑफ दिसंबर 1992 यानी कि कुछ
महीने बाद विवादित ढांचा को गिराने की
पूरी प्लानिंग की गई और ऐसा इसलिए किया
गया ताकि कोर्ट में केस स्ट्रांग हो
क्योंकि अगर उस जमीन में मस्जिद रहेगी तो
जो कोर्ट है वो इनके हक में फैसला नहीं दे
पाएगा तो ये जो आईवी ऑफिसर थे मलॉय कृष्ण
धर इन्होंने क्लेम किया कि इनकी
सिक्योरिटी लगी हुई थी इन्होंने मीटिंग की
रिकॉर्डिंग भी की और अपने सीनियर को भी दी
लेकिन कुछ उससे हुआ नहीं इसमें मलॉय धर ने
कांग्रेस के जो नरसिंहा राव थे उनको भी
ब्लेम किया कि कांग्रेस जो थी वो दोनों
ग्रुप को सपोर्ट करने के चक्कर में आंख
बंद करके बैठी थी ये सारे जो एलिगेशन
इन्होंने लगाए हैं इनकी बुक ओपन सीक्रेट्स
इंडियाज इंटेलिजेंस इस में है और इसके बाद
कोबरा पोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन भी हुए थे
जिसमें बोला गया था कि 10 महीने पहले से
ही प्लानिंग स्टार्ट हो गई थी
youtube3 वो बहुत ज्यादा इंटेंस होती जाती
हैं 24th ऑफ मार्च 1992 को कल्याण सिंह
यूपी के सीएम बिना डरे पब्लिक स्टेटमेंट
देते हैं कि चाहे गवर्नमेंट रहे या ना रहे
राम मंदिर बनना चाहिए अब इस पूरे सिनेरियो
में दिक्कत ये थी कि जो हिंदू ग्रुप्स थे
उनका कहना था कि ये जो एरिया है उसमें
वहां पे उनको कंस्ट्रक्शन करके पूजा तो
करने दी जाए लेकिन कोर्ट से ऑर्डर ही नहीं
दे वहां पे कंस्ट्रक्शन ही नहीं हो सकता
था 7थ ऑफ जुलाई 1992 को पहली बार पब्लिकली
लोगों तक वीएचपी ने अपनी बात पहुंचाई और
इनडायरेक्टली कहा कि अगर कंस्ट्रक्शन नहीं
किया जा सकता तो विवादित ढांचा गिराया तो
जा सकता है उसपे तो कोर्ट ने कुछ नहीं कहा
है यह सब सुनके अयोध्या और पूरे इंडिया
में एक टेंशन सी बढ़ गई थी क्योंकि किसी
को पता नहीं था कि क्या हो जाएगा 24 ऑफ
सितंबर 1992 को वीएचपी कहती है कि ये ऐसे
ही नहीं चलता रहेगा आपके पास 3 महीने का
टाइम है गवर्नमेंट कुछ भी करके हमें
कंस्ट्रक्शन करने दे और अगर नहीं करने
दिया गया तो हम वेट नहीं करेंगे हम आगे
नेक्स्ट स्टेप लेंगे अब ये न महीने भी
निकल जाते हैं गवर्नमेंट को कारवाई नहीं
करती है जो नेगोशिएशन चल रहे थे वो भी
कोलैक्स हो जाते हैं तो 30 अक्टूबर को
धर्म संसद की मीटिंग होती है दिल्ली के
अंदर धर्म संसद में अलग-अलग हिंदू
ऑर्गेनाइजेशन स्ट्रेटेजी बनाती थी राम
मंदिर को बनाने के लिए इस मीटिंग में
डिसाइड हुआ कि सिक्स्थ ऑफ दिसंबर 1992 को
कर सेवा की जाएगी अयोध्या के अंदर अब कर
सेवा की जाएगी वहां पे इसका मतलब यह था कि
वहां जाके राम चबूतरा से थोड़ी दूर पर
एक-एक मुट्ठी मिट्टी लेके जाएंगे और भजन
और कीर्तन होगा लेकिन कई सारे लोगों को ये
डर था कि वहां पे जाके ये जो विवादित
ढांचा है उसको गिराने की प्लानिंग हो रही
है और इस मीटिंग के बाद पूरे देश में एक
टेंशन का माहौल था कि सिथ ऑफ दिसंबर 1992
को क्या होगा फिर आगे चलके जो कर सेवा का
प्रोग्राम था इसको रोकने की बात की गई तो
कल्याण सिंह यूपी के सीएम ने सुप्रीम
कोर्ट में एप्लीकेशन दी और यूपी विधानसभा
में गारंटी ली कि खाली कर सेवा होगी और
मस्जिद को कुछ नहीं होगा और उन्होंने यह
भी चीज ऐड करी कि ऐसे टाइम पे अगर हम कर
सेवा को रोकेंगे तो दंगे और उल्टा भड़क
जाएंगे अब ये सारी चीजें करने के बाद
कल्याण सिंह ने क्या किया उन्होंने
राइटिंग में सिक्योरिटी को बोला कि किसी
भी सिचुएशन में कर सेवक के ऊपर गोली नहीं
चल नी चाहिए प्रकाश सिंह जो डीजीपी थे
उन्होंने कहा कि यूपी गवर्नमेंट ऐसे
ऑफिसर्स लगा रही थी मंदिर के आसपास जो
उनके हिसाब से चल सरकार का यह प्रयास था
अयोध्या और उसके आसपास ऐसे अधिकारी लगे जो
उनके कहने के अनुसार चल सके अब फर्स्ट ऑफ
दिसंबर 1992 से ही पूरे देश से कर सेवक
अयोध्या पहुंचने लगे थे ढ लाख से भी
ज्यादा कर सेवक पहुंच गए थे और पूरी
अयोध्या जो थी वो एक छावनी की तरह बदल गई
थी और एक दिन पहले यानी कि फथ ऑफ दिसंबर
1992 को जो भीड़ थी स्टेज वगैरह बना दिया
गया था उसमें नेता लोग आके भाषण दे रहे थे
जिसमें अटल बिहारी वाजपेई और लालकृष्ण
अडवाणी जो थे उन्होंने भाषण में कहा कि
विवादित एरिया प कंस्ट्रक्शन नहीं किया जा
सकता लेकिन वहां पर बैठने के लिए उसको
संतल तो किया जा सकता है नुकीले पत्थर
निकले उन पर तो कोई नहीं बैठ सकता तो जमीन
को समतल करना पड़ेगा बैठने लायक पड़गा यज
का आयोजन होगा ऐसे ही लाल केश अडवाणी भी
बोलते हैं कि बलिदान देना होगा सरकार की
कुर्बानी अगर देनी पड़ेगी तो वो भी देंगे
बीजेपी आरएसएस वीएचपी बजरंग दल सबके नेता
पहुंच गए थे लेकिन कुछ नेता जिनकी दिक्कत
ल रही थी जिनका लग रहा था कि इनके भाषण
भड़काऊ हो सकते हैं उनको अलाव नहीं किया
गया था उनको रोका गया था जैसे उमा भारती
तो उमा भारती ने अपने बाल कटवा लिए ताकि
उनको पहचाना ना जा सके और वो भी अंदर जा
सके ये प्लान उनका सक्सेसफुल हुआ क्योंकि
सच में सिक्योरिटी को शुरू में पता नहीं
चल पाता है और वो पंडाल में पहुंच जाती है
अब डेट आती है सिथ ऑफ दिसंबर 1992 की एक
तरफ साइड में जो पंडाल लगे हुए थे स्टेज
लगे हुए थे वहां पे नेताओं के भाषण चल रहे
थे कर सेवक भी जो थे वो चुपचाप अपना भजन
कीर्तन कर रहे थे लेकिन जैसे ही 11:30
बजते हैं तो जितने भी कर सेवक थे वो विवाद
विवादित ढांचा जो था उसकी तरफ पहुंचने
लगते हैं फिर 155 होते-होते पता चलता है
कि जो विवादित ढांचा था उसका एक पार्ट
गिरा दिया जाता है फिर 330 होते-होते
दूसरा पार्ट गिरा दिया जाता है और फिर 449
पीएम पे एक ह्यूमन चेन बना के लकड़ी का एक
पोल लिया और उससे विवादित ढांचा को गिरा
दिया और रामलला की मूर्ति लक्ष्मण जी की
मूर्ति और हनुमान जी की जो मूर्ति थी वो
गर्भ ग्रह जो था वहां पे रख दी और टेंट से
मंदिर बना दिया अब इसके थोड़ी देर बाद
करीब 6:00 बजे यूपी के अंदर प्रेसिडेंट
रूल लगा दिया जाता है और 6:1 पे यूपी के
जिन्होंने गारंटी ली थी कि ऐसा कुछ नहीं
करेंगे वो रिजाइन कर देते हैं और जो लोकल
पुलिस थी वो खुद एफआईआर करती है दो एफआईआर
की जाती हैं एक लीडर के खिलाफ और एक जो एक
पूरी क्रिमिनल एक्टिविटी थी उसके खिलाफ अब
ये इंसिडेंट तो हो जाता है लेकिन इस
इंसिडेंट के बाद सिर्फ अयोध्या ही नहीं
पूरे देश में दंगे होते हैं मुंबई
अहमदाबाद गुजरात दिल्ली यूपी के स्टेट
बिहार ऑल ओवर इंडिया में दंगे होते हैं
2000 से ज्यादा लोगों की जान चली जाती है
और खरबों रुपए की संपत्ति जो है वो बर्बाद
हो जाती है इंडिया के बाहर भी यह बात
पहुंचती है और पाकिस्तान क्या करता है वो
अपने देश के अंदर 30 हिंदू मंदिर तोड़
देता है बांग्लादेश के अंदर 11 हिंदू
मंदिर तोड़ दिए जाते हैं और गल्फ कंट्रीज
जो थी वो भी विरोध करने लगती हैं और इस
मुद्दे को यूएन में ले जाने की बात होती
है इस इंसीडेंट के बाद जो केस चल रहा था
राम जन्मभूमि के मालिकाना हक को लेके अब
उसके साथ एक केस जो क्रिमिनल एक्टिविटी का
था वो भी जुड़ गया था तो टोटल दो केस हो
गए थे अभ जो सारी चीजें हुई इतना बड़ा
नुकसान हुआ इसके पीछे क्या साजिश थी और
कौन-कौन इंवॉल्व था इसके लिए एक इंक्वायरी
बैठती है और एक कमेटी बनाई जाती है जिसका
नाम था लिब्रान अयोध्या कमीशन ये कमीशन
अपनी पूरी इंक्वायरी करता है और अपनी
रिपोर्ट सबमिट करता है पूरी जांच होने के
बाद उस रिपोर्ट में मेंशन किया जाता है कि
जो पूरा एक्ट था वो स्पॉन्टेनियस नहीं था
बल्कि एक प्लान तरीके से किया गया था
इसमें कई सारे बीएचपी और बीजेपी के लीडर
का नाम था कई सारे कर सेवक थे उनका नाम था
लेकिन 2020 आते-आते स्पेशल सीबीआई कोर्ट
ने कहा कि ये प्री प्लान नहीं था और
लीडर्स को छोड़ दिया जाता है इस इंसीडेंट
के बाद आरएसएस और वीएचपी पे बैन भी लगता
है और बीजेपी भी जिन-जिन स्टेट्स में
सरकार बनाई थी उसने उसको डिस्मिस कर दिया
जाता है और फिर आगे चलके जो बैन था वो हट
जाता है अब सिक्स्थ ऑफ दिसंबर 1992 में जो
ये सारी चीजें हुई थी इसको लेके पूरे
इंडिया में एक अनरेस्ट था और अब सेंट्रल
गवर्नमेंट हरकत में आती है और इसके अगले
महीने 255th ऑफ जनवरी 1993 को एक एक्ट
लेके आती है अयोध्या एक्ट ऑफ 1993 इसमें
क्या होता है कि ये जो पूरा एरिया आप देख
रहे हो 67.7 एकड़ इसमें से ये 2.77 एकड़
डिस्प्यूटेड लैंड जो होता है इस 2.77 एकड़
में भी 0.31 एकड़ जो है वो एक्चुअल
डिस्प्यूटेड एरिया माना जाता है जहां पे
मूर्ति रखी गई थी तो इस 2.77 एकड़ के
एरिया को छोड़ के बाकी का एरिया सेंट्रल
गवर्नमेंट ने अपने अंडर में ले लिया और जब
ये एरिया अपने अंडर में लिया तो इसमें
दुकानें कमर्शियल प्रॉपर्टीज ये सारे घर
वगैरह जो थे जैसे अतिक्रमण होता है जब
हाईवे वगैरह पास होता है तो उनको
गवर्नमेंट रेट के जो पैसे दे दिए जाते हैं
ठीक वैसे ही किया गया तो ये जो जगह थी ये
पूरी तरीके से खाली करा दी गई और सेंट्रल
गवर्नमेंट इस पूरे एरिया को अपने पास ले
लेती है ऐसा इसलिए करती है क्योंकि वीएचपी
और वर्क बोर्ड इस एरिया के अंदर पॉलिटिक्स
खेल रहे थे वो विवादित एरिया जो था उसके
आसपास की जमीनें खरीद के अपने नाम कर रहे
थे और लोग डोनेशन देके इसमें हेल्प कर रहे
थे तो इसके बाद ये जो पूरा एरिया ग्रीन
वाला है ये गवर्नमेंट के पास आ जाता है
लेकिन 2.77 ये वाला जो डिस्प्यूटेड एरिया
था इस पे अभी कोर्ट को फैसला लेना था
कोर्ट जिसको बोलती यह पर्टिकुलर एरिया
उसको मिलता सेंट्रल गवर्नमेंट इसमें एक
चीज और करती है कि जितने भी केस चल रहे थे
इस विवादित ढांचे से रिलेटेड इन सबको रद्द
कर देती है लेकिन ये इतना आसान नहीं था
इसके खिलाफ लोग कोर्ट चले गए थे उन्होंने
कहा कि ये अनकंस्टीट्यूशनल है 2 साल ये
केस चलता है और ये जितने भी केस रद्द किए
गए थे इनको दोबारा से स्टार्ट किया जाता
है तो जहां पे सारे लोग पहले खड़े थे वहीं
पे आके दोबारा खड़े हो जाते हैं तो अब
इसके बाद ये था कि इसका जो फैसला है वो
होना कोर्ट सही है तो 2003 में हाई कोर्ट
में केस स्टार्ट होता है और सबसे पहले
आर्कियोलॉजिस्ट की टीम बुलाई जाती है कि
अब जो साइंटिफिक तरीके हैं और जो फैक्ट्स
हैं उनको ढूंढा जाने लगता है तो 12th ऑफ
मार्च 2003 को एएसआई की टीम सर्वे स्टार्ट
करती है पहले जीपीआर सर्वे किया जाता है
मतलब कि ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार इसमें
बिना कोई गड्ढा खदे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक
वेव जो होती हैं वो भेजी जाती हैं तो उससे
पता चलता है कि जमीन के अंदर कुछ है कि
नहीं और उसके हिसाब से खुदाई होती है ऐसा
नहीं होता कि एक तरफ से अगर सर्वे स्टार्ट
हो गए तो सारी की सारी जमीन खो खोद दी
जाती है तो पहले जीपीआर सर्वे किया गया था
उसके बाद जहां-जहां इमेजेस आई थी वहां पे
छ महीने तक खुदाई चलती है ट्रांसपेरेंसी
के लिए दो जुडिशियस ऑफिसर्स को रखा जाता
है जितने टाइम सर्वे होता है पूरे टाइम वो
लोग वहीं रहते हैं और एक क्लियर
इंस्ट्रक्शन रहते हैं कि जीपीआर में भले
ही कुछ भी आए लेकिन किसी भी कीमत पे गर्भ
ग्रह वाला जो एरिया था जहां पे रामलला
विराजमान थे उसको नहीं छेड़ना है वहां पे
खुदाई नहीं करनी है अब इसके बाद एएसआई की
रिपोर्ट आती है तो पहली चीज इस रिपोर्ट
में ये बताई जाती है कि बाबरी मस्जिद के
नीचे एक स्ट्रक्चर मिला है लेकिन वो
इस्लामिक नहीं है दूसरी चीज इसमें ये बोली
जाती है कुछ ऐसे स्ट्रक्चर मिले हैं जिससे
ये लगता है कि पहले यहां पे कोई प्राचीन
मंदिर रहा हो और तीसरी चीज एएसआई ये बोलती
है कि हम ये तो कंफर्म नहीं कर सकते कि जो
बाबरी मस्जिद बनाई गई है वो राम मंदिर को
तोड़ के ही बनाई गई है कि नहीं लेकिन ये
कह सकते हैं कि बाबरी मस्जिद को खाली जमीन
प नहीं बनाया गया था अब इधर ये सारी चीजें
चल रही थी वहीं पे विवादित जमीन जो थी
वहीं लश्करे तैबा के पांच आतंकी अटैक करने
के लिए घुस जाते हैं फ्थ ऑफ जुलाई 2005 को
टेंपरेरी जो मंदिर बनाया था उसपे ये लोग
अटैक करने का ट्राई करते हैं इसमें एक
सिविलियन की जान चली जाती है कई लोग जख्मी
हो जाते हैं लेकिन सीआरपीएफ इन पांचों
आतंकियों को मार देती है अब इसके बाद 2010
में ये सारे प्रूफ देखे जाते हैं दोनों
ग्रुप्स अपनी-अपनी दलीलें देते हैं और
2010 में हाई कोर्ट सारी चीजें देखने के
बाद अपना फैसला सुनाता है इस जजमेंट में
कोर्ट कहता है कि हां उस जगह पर राम लला
का जन्म हुआ था और बाबरी मस्जिद के नीचे
कोई भी इस्लामिक स्ट्रक्चर से रिलेटेड कोई
चीज नहीं मिली है दूसरी चीज हाई कोर्ट
2.77 जो डिस्प्यूटेड लैंड था उसको तीन
पार्ट में बांट देती है और सेंट्रल एरिया
जो था वो राम जन्मभूमि नियास यानी खुद राम
भगवान को दिया जाता है दूसरे हिस्से में
राम चबूतरा और जो सीता रसोई थी वो
निर्मोही अखाड़ों को दिया जाता है और
तीसरा जो बचा हुआ हिस्सा होता है वो
सुन्नी वक्त बोर्ड को दे दिया जाता है अब
ये डिसीजन तो आ जाता है लेकिन इस डिसीजन
से कोई भी जो पार्टी थी वो खुश नहीं थी और
इसकी वजह से 2011 में ये लोग सुप्रीम
कोर्ट चले जाते हैं तो जब ये केस सुप्रीम
कोर्ट में जाता है तो शुरू के 6 साल तो इस
परे सुनवाई नहीं की जाती है फिर अगस्त
2017 में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
स्टार्ट होती है जिसको ये पांच जज देखते
हैं सबसे पहली चीज सुप्रीम कोर्ट ये कहता
है कि ये जो हाई कोर्ट का फैसला है ये सही
नहीं है तो वो इस पे स्टे लगा देता है और
फिर सुप्रीम कोर्ट सारी चीजें देख के अपना
फैसला सुनाता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
चार चीजों पे बेस्ड था पहला एएसआई की
रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई की
रिपोर्ट मानी जिसमें ये निकल के आया था कि
मस्जिद से पहले वहां पे नॉन इस्लामिक
ढांचा था तो इससे सुन्नी वक बोर्ड का जो
मेन क्लेम था कि मस्जिद खाली जमीन प बनाई
गई थी वो वीक हो गया था दूसरा था इंग्लिश
ट्रैवलर्स जो शुरू में हमने डिस्कस किए थे
कि अंग्रेज आए थे तो उन्होंने ट्रेवल
नोट्स बनाए थे जो कि कोर्ट के अंदर एक
रिटर्न प्रूफ की तरह उन्होंने काम किया
जिसमें किस तरीके से पूजा होती थी राम के
बारे में क्या-क्या बात हुई थी वो सारी
चीजें थी तीसरा था एडवर्स पोजीशन हिंदुओं
ने विवादित जो जगह थी वहां पे कभी भी पूजा
करना रोका ही नहीं और कोर्ट के अंदर
पोजीशन जो होता है वह किंग होता है अगर
मिट्टी भी पड़ी थी तो मिट्टी के ऊपर भी
पुजारियों ने पूजा की लेकिन पूजा को रोका
नहीं और वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम जो थे वो
ईयर 1934 हो या फिर 1949 के बाद से वो
वहां पे नमाज पढ़ने गई नहीं चौथी चीज थी
क्रॉस एग्जामिनेशन ऑफ विटनेसेस जैसे कोर्ट
के जजमेंट के पेज नंबर 1029 पे भी पढ़ना
आप उसमें जज विटनेस परमहंस राज से कहते
हैं कि आपको ये नहीं लगता कि जो सेंटर
एरिया है जहां पे आप कह रहे हो कि रामलला
का जन्म हुआ हुआ है तो ऐसा नहीं हो सकता
कि क्या पता कुछ हाथ साइड में यानी कि
लेफ्ट में या फिर कुछ हाथ राइट में वहां
पे जन्म हुआ हो तो वो कहते हैं कि एक
उंगली भी इधर-उधर नहीं एग्जैक्ट जो मस्जिद
थी उसका जो सेंट्रल डोम है उसके अंदर गर्भ
ग्रह है जहां पे रामलाला विराजमान है
एग्जैक्ट वहीं पे है और इसमें 1 पर भी
डाउट नहीं है तो जितने भी पुजारी आए कोई
भी अपनी बात से हिला नहीं तो ये सारी
चीजें देख के 9थ ऑफ नवंबर 2019 को फैसला
आता है 2.77 लैंड पूरा का पूरा रामलला
विराजमान यानी कि राम भगवान को दे दिया जा
जाता है ना तो निर्मोही अखाड़ा को ना ही
सुन्नी वक बोर्ड को दिया जाता है पूरा का
पूरा रामलला विराजमान को जाता है एक तरह
से राम भगवान को ही जमीन दे दी गई थी और
सुन्नी वर्क बोर्ड जो था उसको 5च एकड़
जमीन डिस्प्यूटेड लैंड जो था उससे 25 किमी
दूर एक धानी आपु विलेज है अयोध्या
डिस्ट्रिक्ट में वहां पे दे दी जाती है
निर्मोही अखाड़ा जो इतने सालों से केस लड़
रहा था उसको कुछ नहीं मिलता है अब आप
इसमें ये भी कह सकते हैं कि रामलला
विराजमान जो है उनको पूरा एरिया मिल गया
लेकिन उसको मैनेज कौन करेगा वहां पे जो
कंस्ट्रक्शन का काम होगा वो कौन कराएगा तो
इसके लिए ये जो 2 पॉ 77 एकड़ एरिया है
सिर्फ इसकी बात कर रहा हूं मैं पूरे 67.7
एकड़ की बात नहीं कर रहा हूं तो इस 2.77
एकड़ डिस्प्यूटेड लैंड के लिए सुप्रीम
कोर्ट का ऑर्डर फॉलो हुआ जिसमें यह हुआ कि
सेंट्रल गवर्नमेंट ने एक ट्रस्ट बनाया
जिसका नाम था श्री राम जन्मभूमि तीर्थ
क्षेत्र इसको 15 मेंबर मैनेज करेंगे लेकिन
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस ट्रस्ट में
एक मेंबर निर्मोही अखाड़ा का भी रखना होगा
तो इन 15 लोगों में एक निर्मोही अखाड़ा के
मेंबर थे बाकी के जो लोग थे वो स्पिरिचुअल
लीडर गवर्नमेंट के जो
राम मंदिर का जितना भी काम देखा जा रहा है
वो सारा का सारा श्री राम जन्मभूमि तीर्थ
क्षेत्र जो है वो करवा रहा है और ये जो
बाकी का ये जो ग्रीन एरिया है इसके
डेवलपमेंट के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट का
प्लान है इसको धार्मिक स्थल की तरह डेवलप
किया जाएगा जैसे वैष्णव देवी में
श्रद्धालु आते हैं उनको फैसिलिटेट किया
जाता है ठीक वैसे ही किया जाएगा अच्छा इस
सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट में एक चीज और
हुई थी तो जब ऐसे जजमेंट दिए जाते हैं तो
उसमें हमेशा एक ऑथर होता है यानी कि जिसने
सारे जजेस के एस्पेक्ट्स और ओपिनियन को
ध्यान में रखते हुए जजमेंट लिखाया लेकिन
राम मंदिर जजमेंट में ऑथर का का नाम कभी
डिस्क्लोज ही नहीं किया गया अगर आप जजमेंट
के आखिरी में देखोगे एक एडेंडम है जिसका
फंट भी अलग है जिसमें पांच में से एक जज
ने मेजॉरिटी डिसीजन को मानते हुए अपनी
एकदम अलग रीजनिंग दी है जिसे लीगल भाषा
में कॉन्करिंग जजमेंट बोलते हैं और उसमें
ये लिखा है कि डिस्प्यूटेड स्ट्रक्चर
भगवान राम मंदिर का है हिंदू बिलीव्स के
हिसाब से अभी करंट की बात करें तो फिफ्थ
ऑफ अगस्त 2020 को प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र
मोदी जी ने फाउंडेशन स्टोन और भूमि पूजन
करवाया था और आप 2024 में यानी कि इसी 22
जनवरी को यहां पे रामलला विराजमान होंगे
फिलहाल अभी टोटल तीन फ्लोर में से ग्राउंड
फ्लोर रेडी हुआ है बाकी सेकंड फ्लोर जो है
और जो थर्ड फ्लोर है अभी उस परे काम चल
रहा है कहा जा रहा है किय जो पूरा मंदिर
है वो दिसंबर 2024 में पूरा हो जाए
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