गूगल प्ले स्टोर विवाद, क्या है विकल्प
भारत में बनाया गया एंड्रायड एप स्टोर है, जो गूगल प्ले स्टोर को टक्कर दे सकता है। लोग अब इडस एप स्टोर के जरिये भी एंड्रायड एप्स को डाउनलोड कर सकते हैं।
टेक अपडेट
एप स्टोर पर सख्ती
अक्सर देखा गया है कि बड़ी कंपनिया मनमानी करते हुए किसी भी एप को हटा देती है या उसकी सर्विस में कुछ कमी कर देती है, लेकिन अब इस पर सरकार ने भी अपना रुख काफी सख्त कर लिया है। अगर किसी एप को गूगल या फिर एपल हटाता है या मनमानी करता है जिससे यूजर को नुकसान होता है तो फिर इसकी शिकायत दूरसंचार मंत्रालय में कर सकते है। सरकार मदद भी उपलब्ध कराती है।
भारत का अपना एप स्टोर
फोनपे का इंडस एप स्टोर एक बेहतर आप्शन हो सकता है। यह भारत में बनाया गया एंड्रायड एप स्टोर है, जो गूगल प्ले स्टोर को टक्कर दे सकता है। लोग अब इडस एप स्टोर के जरिये भी एंड्रायड एप्स को डाउनलोड कर सकते हैं। इसमें 45 अलग-अलग कैटेगरी में करीब दो लाख से भी ज्यादा एप्स और गेम्स है। यूजर्स को हिंदी और इग्लिश समेत कुल 12 भाषाओं का सपोर्ट मिलेगा।
गूगल ने अपने प्ले स्टोर से 10 भारतीय एप्स को हटा दिया था, लेकिन विवाद बढ़ने और सरकार की आपत्ति के बाद कुछ एप्स फिर से प्ले स्टोर पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध हैं। आखिर क्यों इन एप्स को गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया था? क्या है यह विवाद और यूजर्स के पास क्या हैं विकल्प. गर एंड्रायड यूजर हैं, तो गूगल अ प्ले स्टोर जरूर परिचित होंगे। आमतौर पर एंड्रायड फोन यूजर डिवाइस के लिए यहीं से नये-नये एप को डाउनलोड करते हैं। इन दिनों कंपनियां अपने यूजर्स तक आसानी से पहुंचने के लिए अपने एप को गूगल प्ले स्टोर या फिर एपल एप स्टोर पर लिस्ट करती हैं। एप्स के जरिये उन्हें जो कमाई होती है उसमें गूगल का भी हिस्सा होता है। गूगल ने पिछले साल पालिसी में कुछ बदलाव किए थे, जिनमें सर्विस चार्ज को बढ़ाकर 26 प्रतिशत कर दिया गया। अब जिन कंपनियों ने नए सर्विस चार्ज के तहत चार्ज नहीं दिया, उन एप्स को गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया था। इनमें शादी डाट काम, नौकरी डाट काम, 99 एकड़ डाट काम जैसे लोकप्रिय एप्स भी शामिल थे। गूगल का कहना था कि गाइडलाइन का पालन नहीं करने के कारण यह एक्शन लिया गया।
क्या है गूगल प्ले बिलिंग सिस्टमः गूगल प्ले स्टोर पर एप को लिस्ट करना तो आसान है, लेकिन जब उससे कमाई होती है, तो कमीशन के तौर पर एक हिस्सा गूगल को देना होता है। यह चार्ज अलग-अलग है। ऐसे में गूगल प्ले बिलिंग सिस्टम उन डेवलपर्स के लिए एक जरूरी प्रक्रिया है, जिनके एप में डिजिटल कंटेंट खरीदने की सुविधा होती है।
गूगल डेवलपर्स से सभी तरह के डिजिटल कंटेंट की बिक्री पर करीब 11-26 प्रतिशत तक कमीशन लेता है। उदाहरण के लिए अगर आपने नौकरी डाट काम का सब्सक्रिप्शन लिया है, तो इससे कंपनी को फायदा होगा, लेकिन उसे इसका निर्धारित चार्ज गूगल को देना होगा। एपल का एप स्टोर भी ऐसे ही कार्य करता है। गूगल प्ले के बिलिंग सिस्टम में महीने का बजट तय करने, पेमेंट हिस्ट्री देखने और सब्सक्रिप्शन मैनेज करने का विकल्प होता है।
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