रामधारी सिंह 'दिनकर' की शिक्षा: संस्कृत और हिंदी साहित्य में गहरी रुचि

रामधारी सिंह 'दिनकर' की शिक्षा: संस्कृत और हिंदी साहित्य में गहरी रुचि Education of Ramdhari Singh Dinkar Deep interest in Sanskrit and Hindi literature

Apr 24, 2025 - 05:23
 0  23
रामधारी सिंह 'दिनकर' की शिक्षा: संस्कृत और हिंदी साहित्य में गहरी रुचि

रामधारी सिंह 'दिनकर' का जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के मुंगेर जिले के किघवाड़ा गांव में हुआ था। उनकी शिक्षा का सफर बहुत ही साधारण और संघर्षपूर्ण था, लेकिन उनके काव्य और साहित्यिक दृष्टिकोण को आकार देने में इस शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान था।

शिक्षा की शुरुआत और विद्यालय:

रामधारी सिंह 'दिनकर' ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव के छोटे से सरकारी स्कूल से प्राप्त की थी। यहां पर उन्होंने हिंदी और संस्कृत की प्रारंभिक जानकारी ली, जो उनके साहित्यिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बचपन से ही उन्हें कविता और साहित्य में रुचि थी, और उनका झुकाव संस्कृत की ओर था।

पटन विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा:

उनकी उच्च शिक्षा की यात्रा पटना विश्वविद्यालय से शुरू हुई। रामधारी सिंह 'दिनकर' ने संस्कृत और हिंदी साहित्य में गहरी रुचि ली थी। पटना विश्वविद्यालय में उन्होंने संस्कृत और हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण पाठ्यक्रमों का अध्ययन किया, जो उनके लेखन को समृद्ध करने में सहायक बने। विशेष रूप से संस्कृत साहित्य का अध्ययन रामधारी सिंह 'दिनकर' की कविता में स्पष्ट रूप से देखा जाता है।

दिनकर जी की शिक्षा के दौरान उन्होंने संस्कृत काव्य शास्त्र, महाकाव्य, पुराण, वेद और अन्य धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथों का अध्ययन किया। इस अध्ययन से उन्हें भारतीय संस्कृति, पुरानी काव्य परंपराओं, और साहित्यिक मूल्य की गहरी समझ मिली, जो उनके काव्य लेखन में परिलक्षित हुई।

शिक्षा में प्राप्त विषय:

  1. संस्कृत: रामधारी सिंह 'दिनकर' ने संस्कृत साहित्य का गहन अध्ययन किया। संस्कृत में उनकी गहरी रुचि और ज्ञान ने उन्हें महाकाव्य, पुराण और धार्मिक साहित्य पर विशेष ध्यान केंद्रित करने का अवसर दिया।

  2. हिंदी साहित्य: हिंदी साहित्य के विविध पहलुओं का भी उन्होंने अध्ययन किया, और इसमें उन्होंने कविता, नाटक, गद्य और आलोचना पर विशेष ध्यान दिया। यह अध्ययन उनके काव्य लेखन में बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ।

शिक्षा का प्रभाव:

रामधारी सिंह 'दिनकर' की शिक्षा ने उनके काव्य और विचारों को आकार दिया। उन्होंने भारतीय महाकाव्यों, जैसे महाभारत और रामायण, से प्रेरणा ली और उन्हें अपनी कविता का हिस्सा बनाया। उनकी रचनाएँ जैसे रश्मिरथी, उर्वशी, और कुरुक्षेत्र में संस्कृत साहित्य का गहरा प्रभाव देखा जाता है।

उनकी शिक्षा ने उन्हें भारतीय साहित्य और संस्कृति के मूल्य को समझने और उसे अपने लेखन में जीवित रखने का अवसर दिया। उनका यह समृद्ध शिक्षा अनुभव ही था, जिसने उन्हें भारतीय समाज और संस्कृति के प्रति गहरी संवेदनशीलता और सोच विकसित करने में मदद की।

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,