आज रात आसमान में टूटते तारों की होगी बारिश, जानिए कब और कैसे देखें लिरिड मेटियर शॉवर

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Apr 24, 2025 - 05:42
Apr 24, 2025 - 06:01
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आज रात आसमान में टूटते तारों की होगी बारिश, जानिए कब और कैसे देखें लिरिड मेटियर शॉवर

आज रात आसमान में टूटते तारों की होगी बारिश, जानिए कब और कैसे देखें लिरिड मेटियर शॉवर

अप्रैल में दिखेगा लिरिड मेटियर शॉवर, वेगा तारे की दिशा से गिरेंगे टूटते तारे

हर साल अप्रैल के महीने में होने वाली लिरिड मेटियर शॉवर एक खगोलीय अद्भुत घटना है, जिसे आकाशगंगा के वीणा तारामंडल (Lyra Constellation) से जुड़ा माना जाता है। इस तारामंडल का सबसे चमकीला तारा "वेगा" है, जो रात के समय पूर्वोत्तर दिशा में साफ आकाश में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यह आकाश का पांचवां सबसे चमकीला तारा भी है।

खगोलविदों के अनुसार, लिरिड मेटियर शॉवर का मुख्य स्रोत धूमकेतु थैचर (C/1861 G1) है, जो 415 वर्षों में सूर्य की एक परिक्रमा करता है। यह उल्कावृष्टि इसी धूमकेतु के मलबे के कणों से उत्पन्न होती है। इस साल यह उल्कावृष्टि 22 अप्रैल की मध्यरात्रि से शुरू होकर 23 अप्रैल की सुबह तक चरम पर रहेगी। इस दौरान आप एक घंटे में 10 से 20 चमकते हुए उल्काओं को देख सकते हैं, जो पृथ्वी की सतह से करीब 100 किलोमीटर ऊपर 47 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से चमकेंगी।

लिरिड उल्कावृष्टि देखने के लिए किसी दूरबीन की आवश्यकता नहीं होती। इसे साधारण आंखों से भी देखा जा सकता है, बशर्ते आप किसी ऐसी जगह पर हों जहां प्रकाश प्रदूषण कम हो। उल्कावृष्टि को देखने के लिए खुले आकाश वाली सुरक्षित जगह चुनें, लेटकर आसमान की ओर देखें और रात के इस मनोहारी दृश्य का आनंद लें। यह उल्काएं आकाश के किसी भी हिस्से में दिख सकती हैं, लेकिन इनका रेडिएंट प्वाइंट लायरा तारामंडल की दिशा में होता है, इसी कारण इसका नाम 'लिरिड मेटियर शॉवर' पड़ा है।

आज रात आसमान में होगी टूटते तारों की बारिश जानिए कब और कैसे देखें Lyrid Meteor Shower 2025 

22 अप्रैल की आधी रात से 23 अप्रैल की भोर तक दिखाई देगा अद्भुत नज़ारा
गोरखपुर सहित पूरे भारत में नंगी आंखों से देख सकते हैं उल्कावृष्टि का यह रोमांचक दृश्य


अगर आप रात के आसमान में चमकते हुए टूटते तारे देखने का सपना देखते हैं, तो आज की रात आपके लिए खास हो सकती है। 22 अप्रैल की आधी रात से लेकर 23 अप्रैल की सुबह तक आप देख सकेंगे Lyrid Meteor Shower 2024 – यानी लिरिड उल्का बौछार, जिसमें हर घंटे 10 से 20 उल्काएं (meteors) आसमान में चमकती नजर आएंगी।

क्या है उल्कावृष्टि (Meteor Shower)

गोरखपुर के वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के खगोलविद अमर पाल सिंह के अनुसार, सौर मंडल में मौजूद धूल, पत्थर और लोहे के छोटे-छोटे कण जब पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, तो घर्षण के कारण ये जलने लगते हैं। यही जलते हुए कण हमें टूटते तारे या उल्काएं के रूप में दिखते हैं।

 किससे जुड़ी है यह खगोलीय घटना

लिरिड उल्कावृष्टि का संबंध Comet Thatcher (C/1861 G1) से है, जो हर 415 वर्षों में सूर्य की एक परिक्रमा करता है। इसके पीछे छोड़े गए मलबे के कण जब पृथ्वी के रास्ते में आते हैं, तो वे वायुमंडल में घर्षण से जलकर चमकने लगते हैं। यह दृश्य रात के अंधेरे में अद्भुत और रहस्यमय होता है।

कब और कैसे देखें लिरिड उल्कावृष्टि

  • तारीख: 22 अप्रैल की रात से 23 अप्रैल की सुबह तक

  • समय: आधी रात से तड़के 4 बजे तक सबसे अच्छा समय

  • कैसे देखें:

    • खुला आसमान चुनें (जहां प्रकाश प्रदूषण कम हो)

    • बिना दूरबीन के नंगी आंखों से देखें

    • आंखों को अंधेरे में ढलने देने के लिए मोबाइल का प्रयोग न करें

    • उत्तर-पूर्व दिशा की ओर देखें, जहां उल्काएं सबसे ज्यादा दिख सकती हैं

लिरिड उल्का वर्षा बहुत तेज़ या चमकदार नहीं होती, इसलिए इसे देखने के लिए धैर्य और अंधेरे वातावरण की ज़रूरत होती है। हालांकि अगर आसमान साफ रहा, तो यह नज़ारा बेहद रोमांचक और यादगार हो सकता है।


अगर आप खगोल विज्ञान में रुचि रखते हैं या बस एक रोमांचक आसमानी नज़ारे का आनंद लेना चाहते हैं, तो आज रात की लिरिड मेटियर शॉवर को मिस न करें। यह अनुभव आपको ब्रह्मांड के अद्भुत रहस्यों से जोड़ देगा।

22-23 अप्रैल की रात दिखेगा लिरिड उल्कावृष्टि का अद्भुत नजारा
गोरखपुर समेत देश के कई हिस्सों में 22 अप्रैल की आधी रात से 23 अप्रैल की भोर तक आसमान में तारों की बारिश देखने को मिलेगी। इस दौरान हर घंटे 10 से 20 तक टूटते तारे यानी उल्काएं चमकती नजर आएंगी। यह खगोलीय घटना लिरिड मेटियर शॉवर कहलाती है, जो हर साल अप्रैल के अंत में होती है। इसका संबंध धूमकेतु थैचर (C/1861G1) से है, जो 415 वर्षों में एक बार सूर्य की परिक्रमा करता है।

उल्काएं पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय घर्षण से जल उठती हैं, जिससे ये चमकती हैं। लिरिड शॉवर का रेडिएंट पॉइंट लायरा (वीणा) तारामंडल होता है, जिसमें सबसे चमकीला तारा वेगा है। यह उल्कावृष्टि 47 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से पृथ्वी की ओर आती है और लगभग 100 किमी की ऊंचाई पर चमकती है।

इसे देखने के लिए किसी दूरबीन की जरूरत नहीं, बस खुले और अंधेरे वाले स्थान पर लेटकर पूर्वोत्तर दिशा में आकाश देखें। यह खगोलीय दृश्य निश्चित रूप से रोमांचित करेगा।

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