अभी कम नहीं होगी ईएमआइ, सीआरआर में कटौती से बाजार में आएंगे 1.16 लाख करोड़

केंद्रीय बैंक ने 11वीं बार नीतिगत दरों को 6.50 प्रतिशत पर बरकरार रखा, भविष्य में कटौती संभव बैंकों के लिए नकद आरक्षित अनुपात की दर को आधा प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत किया अभी कम नहीं होगी ईएमआइ, सीआरआर में कटौती से बाजार में आएंगे 1.16 लाख करोड़, EMI will reduced now Rs 116 lakh crore will come into the market due reduction CRR

Dec 7, 2024 - 19:46
Dec 7, 2024 - 19:53
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अभी कम नहीं होगी ईएमआइ, सीआरआर में कटौती से बाजार में आएंगे 1.16 लाख करोड़
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अभी कम नहीं होगी ईएमआइ, सीआरआर में कटौती से बाजार में आएंगे 1.16 लाख करोड़ EMI will reduced now Rs 116 lakh crore will come into the market due reduction CRR 

आरबीआइ ने लगातार 11वीं बार रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। मौद्रिक नीति समिति के दह सदस्यों में से दो ब्याज दरों में कटौती का समर्थन किया, लेकिन चार सदस्यों के विरोध की वजह से ऐसा नहीं हो सका। हालांकि बैठक के बार आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) की दर को 0.50 प्रतिशत कम करके चार प्रतिशत कम करने का एलान किया, जिससे भविष्य में नीतिगत ब्याज दरों के कम किए जाने का रास्ता खुल गया है।

 
सीआरआर में आधा प्रतिशत की कटौती से बैंकों के पास 1.16 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि उपलब्ध होगी, जिसका इस्तेमाल वह कर्ज वितरण में कर सकेंगे। इससे आम जनता व उद्योग जगत को पर्याप्त कर्ज मिल सकेगा। यह आर्थिक विकास में भी मदद करेगा और ब्याज दरों को स्थिर रखने में  भी सहायक होगा। एक हफ्ते पहले जारी सरकारी आंकड़ों में वर्ष 2024- 25 की दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर के घटकर 5.4 प्रतिशत रहने की बात सामने आई थी। इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि आरबीआइ ब्याज दरों को घटाकर विकास दर को आगे बढ़ाने की कोशिश करेगा।


हाल के दिनों में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी की तरफ से ब्याज दरों में कटौती की परोक्ष तौर पर मांग भी की गई थी। महंगाई को स्थिर रखकर ही तेज विकास की रखी जा सकती है नींव दास ने साफ संकेत दिया कि महंगाई को केंद्रीय बैंक हल्के में नहीं ले सकता। उन्होंने कहा, 'महंगाई जब बढ़ती है तो उससे उपभोक्ताओं के हाथ में खर्च करने के लिए कम पैसा बचता है और इसका नकारात्मक असर सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) की वृद्धि पर पड़ता है। अभी मौसम की अनिश्चितता, भू-राजनीतिक हालात और वित्तीय बाजार की अस्थिरता से महंगाई पर उल्टा असर पड़ना संभव है। एमपीसी इस बात को मानता है कि  महंगाई को स्थिर रखकर ही तेज विकास की नींव रखी जा सकती है। लेकिन एक स्तर के बाद अगर विकास की रफ्तार नीचे आती है तो उसे नीतिगत मदद (ब्याज दरों में कटौती) भी दी जा सकती है।'

डी-डालरीकरण की योजना नहीं: दास
मुंबई, पेट्रः आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि भारत के पास अपने व्यापार को 'डी-डालराइज' करने की कोई योजना नहीं है। वह अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस धमकी पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे कि अगर ब्रिक्स देश डालर से दूर जाने का विकल्प चुनते हैं तो उन पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा। ब्रिक्स मुद्रा पर दास ने कहा कि यह केवल एक विचार है। दास ने कहा कि भारत का प्रयास वोस्ट्रो खातों की अनुमति देने और स्थानीय मुद्रा में व्यापार लेनदेन निपटाने के लिए दो देशों के साथ समझौते करने तक सीमित हैं।
अगले कार्यकाल के प्रश्न को टाल गए दासः आरबीआइ गवर्नर के तौर पर दास का दूसरा कार्यकाल 10 दिसंबर को खत्म हो रहा है। सेवा विस्तार के बारे में पूछने  पर उन्होंने कहा कि मैं आपको कोई हेडलाइन नहीं देने जा रहा हूं। मुझे लगता है कि हम मौद्रिक नीति पर ही टिके रहे। 

जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान को घटाकर 6.6 प्रतिशत किया
आरबीआइ ने सालाना आर्थिक विकास दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है। वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट के 6.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत रहने की बात कही गई है। दास ने कहा कि मानसून सीजन की समाप्ति और सरकारी पूंजीगत व्यय में अपेक्षित तेजी से सीमेंट और लोहा सहित इस्पात क्षेत्रों को कुछ प्रोत्साहन मिल सकता है। खनन और बिजली भी मानसून से संबंधित व्यवधानों के बाद सामान्य होने की उम्मीद है।

औसत महंगाई दर के अनुमान को बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत किया
पहले आरबीआइ ने सालाना महंगाई की दर के 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया है। महंगाई की इस स्थिति के लिए खाद्य उत्पादों में महंगाई को ही जिम्मेदार ठहराया गया है। आरबीआइ गवर्नर ने कहा भी है कि आगे जब भी खाने-पीने की चीजों में कमी होगी तो महंगाई की स्थिति भी ठीया हो जाएगी। अगले वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में खुदरा महंगाई की दर के चार प्रतिशत के करीब पहुंचने की बात अब कही गई है।  

रेपो रेट पर आरबीआइ का रुख उम्मीद के मुताबिक है।
सीआरआर में आधा प्रतिशत की कटौती का स्वागत है। यह कदम सही समय पर और व्यावहारिक है। इससे ऋण और समग्र वृद्धि को समर्थन देने वाली नकदी की स्थिति को आसान बनाने में मदद मिलेगी। हर्षवर्धन अग्रवाल, प्रेसिडेंट, फिक्की
सीआरआर में कटौती का हमने अनुरोध किया था। हम तटस्थ रुख बनाए जाने से पूरी तरह संतुष्ट है। मुद्रास्फीति में कमी के साथ भविष्य में दरें घटने की उम्मीद कर सकते हैं। - चंद्रजीत बनर्जी, महानिदेशक,
सीआइआद

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