सीएए पर घमासान, तृणमूल कांग्रेस सांसद ने भाजपा नेता के खिलाफ दर्ज कराई प्राथमिकी
तृणमूल की राज्यसभा सदस्य व अखिल भारतीय मतुआ महासंघ की अध्यक्ष ममताबाला ठाकुर ने उत्तर 24 परगना जिले
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सीएए पर घमासान, तृणमूल कांग्रेस सांसद ने भाजपा नेता के खिलाफ दर्ज कराई प्राथमिकी
तथागत राय ने सीएए के तहत नागरिकता देने से पहले खतना जांच की मांग की थी
कोलकाता: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस व विपक्षी भाजपा के बीच घमासान मचा है। बंगाल भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल तथागत राय ने सीएए के तहत नागरिकता देने से पहले धार्मिक पहचान के निर्धारण के लिए पुरुषों के निजी अंग की जांच (खतना परीक्षण) की मांग की थी। तथागत की टिप्पणी को अमानवीय बताते हुए तृणमूल की राज्यसभा सदस्य व अखिल भारतीय मतुआ महासंघ की अध्यक्ष ममताबाला ठाकुर ने उत्तर 24 परगना जिले के गाईघाटा थाने में प्राथमिकी कराई है।
ममताबाला ने आरोप लगाया है कि तथागत राय ने रविवार को एक्स हैंडल पर विवादित पोस्ट में पीएम नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को टैग करते हुए मांग की कि बांग्लादेश, पाकिस्तान व अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम पुरुषों को सीएए के तहत नागरिकता देने से पहले उनका खतना परीक्षण किया जाना चाहिए। माना जा रहा है कि राय का इशारा मुस्लिम समुदाय की ओर था, ताकि अवैध तरीके से भारत आया कोई मुस्लिम सीएए का लाभ न उठा सके। अपने पोस्ट पर कायम राय: दूसरी तरफ,
राय अपने पोस्ट पर कायम है। उन्होंने लिखा, सीएए से मुसलमानों को बाहर रखा गया है। भारत की नागरिकता चाहने वाले शरणार्थियों की धार्मिक पहचान के लिए खतना परीक्षण जरूरी किए जाने का सुझाव दिया। जो भी पुरुष इस प्रक्रिया में हिंदू पाए जाते हैं, उनके साथ आने वाली महिलाओं को भी हिंदू माना जाए। 'असम के मूल निवासियों पर नहीं पड़ेगा सीएए का प्रभाव'
तथागत राय।
गुवाहाटी, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, सीएए का असम के मूल निवासियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और लोस चुनाव में राजग राज्य की 14 में से 12 सीट पर जीतेगा। उन्होंने कहा, असम वासी अच्छी तरह से संरक्षित व सुरक्षित हैं, क्योंकि गत 10 वर्षों में भाजपा सरकार ने उन मूल जातीय लोगों को पट्टा (भूमि अधिकार), भूमि दस्तावेज दिए हैं जिनके पास पहले भूमि नहीं थी। केंद्रीय मंत्री ने बुधवार को एक इंटरव्यू में कहा, '
सीएए राष्ट्रीय कानून है। विपक्ष भड़काऊ बयानों से चाहे जो भी स्थिति पैदा कर रहा हो, इससे असम के नागरिकों पर असर नहीं पड़ने वाला है।' उन्होंने कहा कि अवैध प्रवासी (ट्रिब्यूनल द्वारा निर्धारण) अधिनियम 1983 कांग्रेस सरकार का थोपा भेदभावपूर्ण कानून था। अगर सुप्रीम कोर्ट इसे रद नहीं करता तो कोई संदिग्ध विदेशी नहीं पकड़ा जाता।
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