अटल जी ने अभिनंदन वैज्ञानिकों का कीजिए

परमाणु परीक्षण हुआ है | तब से हम विज्ञान, टेक्नोलॉजी, परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी बहुत आगे बढ़े हें । हमारे वैज्ञानिकों ने, इंजीनियरों ने वक्त के बदलने के साथ अपने ज्ञान को, अपनी जानकारी को आज की स्थिति का सामना करने लायक बनाए रखा है।

Aug 16, 2024 - 19:51
Aug 17, 2024 - 05:51
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अटल जी ने  अभिनंदन वैज्ञानिकों का कीजिए

अभिनंदन वैज्ञानिकों का कीजिए 

मैं आपका बहुत आभारी हूँ कि आप यहाँ आए और अपनी शुभकामनाएँ दीं। सचमुच में  अभिनंदन होना चाहिए वैज्ञानिकों का, उन इंजीनियरों का, जिन्होंने पोखरण में जो कुछ हुआ उसे सफलतापूर्वक करके दिखाया। देश में इस सवाल पर एक आम राय है और लगभग सभी पार्टियाँ इस बात से सहमत रही हैं कि देश की रक्षा के लिए, देश की स्वतंत्रता, संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए हमें सब कदम उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए। हमने जो भी कुछ किया है अपने बचाव के लिए किया है, देश की रक्षा के लिए किया है, किसीको खतरा पैदा करने के लिए नहीं किया है। 

१९७४ में पोखरण में एक अणु परीक्षण हुआ था। अब फिर परमाणु परीक्षण हुआ है | तब से हम विज्ञान, टेक्नोलॉजी, परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी बहुत आगे बढ़े हें । हमारे वैज्ञानिकों ने, इंजीनियरों ने वक्त के बदलने के साथ अपने ज्ञान को, अपनी जानकारी को आज की स्थिति का सामना करने लायक बनाए रखा है। ११ तारीख को यह परीक्षण प्रारंभ हुआ था जो आज समाप्त हो गया और उसपर विश्व अपनी प्रतिक्रिया कर रहा है। अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएँ हो रही हैं । हम ऐसी दुनिया में विश्वास करते हैं, जो परमाणु अस्त्रों से रहित हो; लेकिन ऐसी दुनिया एकतरफा नहीं होगी। आज तो दुनिया बँटी हुई है। कुछ देश ऐसे हैं, जो समझते हैं कि केवल उन्हींको अपनी रक्षा के लिए हर तरह के कदम उठाने का अधिकार है, बाकी देशों को इस तरह का कोई अधिकार नहीं है। यह हमें स्वीकार नहीं है। i

विज्ञान, टेक्नोलॉजी, न्यूक्लियर एनर्जी इनको किसी देश की सीमाओं में नहीं बाँध सकते। अंतरराष्ट्रीय नियम जो हो सब पर लागू होना चाहिए। सब मर्यादा में रहने चाहिए। अभी इस तरह के विश्व की रचना बाकी है । हम उस दिशा में प्रयत्न करते रहेंगे।

मैं आपसे एक ही बात कहना चाहता हूँ कि हमने जो कदम उठाया है सोच-समझकर उठाया है, किसी जल्दबाजी में नहीं उठाया, लोकप्रियता हासिल करने के लिए नहीं उठाया। देश की रक्षा का सवाल सर्वोपरि सवाल है। राजनीतिक भेदभाव से ऊपर है और यह हमारा मूलभूत अधिकार है, हमारा कर्तव्य भी है। हम अपने कर्तव्य का पालन करेंगे। और, हम उम्मीद करते हैं कि दुनिया और दुनिया के खासकर वे देश जो अभी तक परमाणु अस्त्रो पर अपना एकाधिकार  

समझते थे, वे इस बात को स्वीकार करेंगे कि विश्व की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि सब पर वह समान रूप से लागू हो और जो सबको सुरक्षा का आश्वासन दे, जो सबको संतुष्ट करे। अब हमसे कहा जा रहा है कि जो रास्ता आपने अपनाया है उसमें आपको तकलीफें उठानो पड़ेंगी। सहायता नहीं मिलेगी, कर्जा बंद हो जाएगा, और तरह की मदद मिलने में भी मुसीबतें होंगी, मुश्किलें होंगी। में नहीं समझता कि दुनिया के देश और जिन देशों के साथ हमारे मैत्रीपूर्ण संबंध हैं और जिन मैत्रीपूर्ण संबंधों को हम बहुत अधिक महत्त्व देते हैं, वे इस तरह का कोई कदम उठाएँगे। अगर इस तरह का कोई कदम उठाया जाता है तो हम भारतवासी, राष्ट्र के नागरिक के नाते, भारत माता के पुत्र-पुत्रियों के नाते इस तरह के कदमों का मुकाबला करेंगे । और, इसके लिए हमने कठिनाई का रास्ता चुना है। आप लोग आए, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद | उनका संदेश था 

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